आगरा। किसान दिवस के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में किसानों ने प्रशासनिक अधिकारियों की उपेक्षा और समस्याओं को अनसुना करने के विरोध में एक घंटे तक बहिष्कार किया। किसान नेताओं ने आरोप लगाया कि जिले के अधिकारी यूपी सरकार के निर्देशों के बावजूद किसानों की वास्तविक समस्याओं को नजरअंदाज कर रहे हैं। किसान दिवस का शुभारंभ सीडीओ प्रतिभा सिंह के पहुंचने और किसानों से फोन पर संवाद करने के बाद ही संभव हो सका।
किसानों ने उठाए गंभीर आरोप
किसान आयोग के सदस्य ऋषि कुमार ने अधिकारियों को चेतावनी दी कि किसानों की समस्याओं का समाधान किया जाए। उन्होंने कहा कि 26 नवंबर 2025 को लखनऊ में कृषि मंत्री सूर्यप्रताप साही की बैठक आयोजित की जाएगी और जो अधिकारी किसानों की बात नहीं सुनेगा, उसके खिलाफ आगरा से कार्रवाई शुरू की जाएगी।
किसान नेता श्याम सिंह चाहर ने आरोप लगाया कि नहर विभाग के अधिशासी अभियंता और जिले के अधिकारी नहरों की सफाई में घोटाले में शामिल हैं। उन्होंने बताया कि आगरा की नहरों, माइनरों और रजवानों की कुल लंबाई 620 किलोमीटर है, लेकिन सफाई के लिए सरकार द्वारा दिए गए 10 करोड़ रुपये का गबन किया जा रहा है।
किसान नेता मोहन सिंह चाहर ने डीएपी (DAP) की कमी और बिक्री में घोटाले की बात कही। उनका कहना था कि किसानों को फसल बोने के लिए डीएपी नहीं मिली और विभाग के अधिकारियों एवं समिति सचिवों ने डीएपी 1350 से 1700 रुपये तक बेचकर किसानों के साथ धोखाधड़ी की।
किसान नेता सोमवीर यादव ने भी नहर सफाई में ठेकेदारों द्वारा किए जा रहे 10 करोड़ रुपये के घोटाले की जांच कराने की मांग की।
किसान उत्पादक पुष्पेन्द्र जैन ने उद्यान विभाग के आलू बीज वितरण में फर्जीवाड़े और नकली बीज देने की जानकारी दी और इसकी जांच की मांग की।
किसान नेता लाखन सिंह त्यागी ने पशु चिकित्सक द्वारा फर्जी टीकाकरण और दवाओं में घोटाले की भी शिकायत की।
किसान संघ नेता मोहन सिंह चाहर ने बाजरा खरीद केंद्रों पर किसानों के साथ अन्याय और अधिकारी-माफिया गठजोड़ के खिलाफ आवाज उठाई।
किसान नेता मुकेश पाठक ने बिजली विभाग पर आरोप लगाया कि किसानों को केवल 10 घंटे बिजली मिल रही है, जिससे कृषि कार्य प्रभावित हो रहे हैं।
कार्यक्रम का आयोजन और मौजूदगी
किसान दिवस में सैकड़ों किसान उपस्थित थे। कार्यक्रम में केवल कृषि अधिकारी वी. के. सिंह और उप निदेशक कृषि उपस्थित थे, जबकि सीडीओ प्रतिभा सिंह बाद में पहुंचकर किसानों से संवाद कर स्थिति को नियंत्रित किया।किसानों ने यह स्पष्ट किया कि यदि उनकी मांगों पर तत्काल कार्रवाई नहीं हुई, तो आगे की गंभीर चेतावनी और आंदोलन की योजना बनाई जाएगी।
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