आगरा न्यूज : आगरा में किसान दिवस बैठक में सिंचाई और सहकारिता घोटालों पर उठा बवाल

आगरा: किसान दिवस पर मंगलवार को विकास भवन में हुई जिलास्तरीय समीक्षा बैठक में खेती और सिंचाई से जुड़े कई गंभीर सवालों ने अधिकारियों को कठघरे में खड़ा कर दिया। बैठक में जिलाधिकारी अरविंद कुमार बंगारी, सीडीओ प्रतिमा सिंह और 18 विभागों के अफसर मौजूद थे।


बैठक में किसान नेता श्याम सिंह चाहर ने नहर विभाग पर सीधा आरोप लगाया कि विभाग के रिकॉर्ड में 5 नवंबर 2025 से नहरों में पानी छोड़े जाने का उल्लेख है, लेकिन अधिकांश क्षेत्रों में किसानों को पानी मिला ही नहीं। उनका कहना था कि जिले में नहरों, रजवाहों और माइनरों की कुल लंबाई 620 किलोमीटर है, जबकि विभाग इसके केवल 505 किलोमीटर होने का दावा कर रहा था। तथ्य सामने आने के बाद विभागीय अधिकारी को अपनी गलती माननी पड़ी। चाहर ने सिल्ट सफाई और स्किपिंग कार्यों में बड़े पैमाने पर मिलीभगत और धांधली का आरोप लगाया तथा इसकी जांच उच्च स्तर से कराने की मांग की।

जिलाधिकारी ने इन शिकायतों को गंभीर मानते हुए तीन सदस्यीय जांच समिति गठित करने के निर्देश दिए और स्पष्ट कर दिया कि जांच पूरी होने तक इन कामों से जुड़े किसी भी भुगतान को मंजूरी नहीं मिलेगी।

किसान नेता भूरी सिंह जाट ने बताया कि एआर कार्यालय ने दो महीने पहले चार सदस्यों की एक जांच टीम गठित की थी, लेकिन उससे कोई परिणाम नहीं निकला। इस पर जिलाधिकारी ने एडीएम स्तर के अधिकारी को भी जांच में जोड़े जाने के आदेश दिए।

इसी दौरान किसान नेता मुकेश पाठक ने सहकारी समितियों में करोड़ों रुपये के वित्तीय घोटाले का मुद्दा उठाया। उनका कहना था कि किसानों की छात्रवृत्ति, शेयर और अन्य योजनाओं से जुड़े लगभग 20 करोड़ रुपये जमा थे, जिनमें से बड़ी राशि चोरी-छिपे निकाली गई। पिनाहट, शमशाबाद, अछनेरा और फतेहपुर सीकरी सहित कई क्षेत्रों में लगभग 200 करोड़ रुपये की गड़बड़ी का आरोप लगाया गया। पाठक ने कुछ दस्तावेज बैठक में प्रस्तुत किए और इस पूरे मामले की उच्चस्तरीय जांच की मांग की।

किसान मजदूर नेता चौधरी दिलीप सिंह ने बताया कि बाजरा खरीद केंद्रों पर किसानों की खरीद रोककर ठेकेदारों और बिचौलियों को लाभ पहुंचाया जा रहा है। उनका आरोप था कि लगभग 200 रुपये प्रति क्विंटल की कमीशन व्यवस्था चल रही है, जिससे खेरागढ़, अछनेरा, अकोला और जगनेर जैसे क्षेत्रों में किसान परेशान हैं।


लाखन सिंह त्यागी ने आरोप लगाया कि समितियों पर 1350 रुपये वाली डीएपी खाद किसानों को 1700 रुपये में बेची गई, जिससे किसानों पर अतिरिक्त आर्थिक बोझ पड़ा।

ताज सोसायटी के महासचिव लक्ष्मीनारायण बघेल ने कहा कि खेती के इस संवेदनशील मौसम में किसानों को कम से कम 12 घंटे बिजली की आवश्यकता है, लेकिन आपूर्ति लगातार बाधित रही, जिससे फसलें सूखने लगी हैं।

मोहन सिंह चाहर ने कहा कि सरकार किसानों के पक्ष में नीतियां ला रही है, लेकिन जिले में कार्यरत अधिकारी अपनी लापरवाही से सरकार की छवि को नुकसान पहुंचा रहे हैं।

बैठक में महताब सिंह, पुष्पेंद्र सिंह चाहर, सुरेंद्र सिंह, मुकेश कुमार, जयप्रकाश नारायण सिंह, अब्देस कुमार, उदय सिंह चाहर, रामगोपाल शर्मा, कुलदीप, पुष्पेंद्र जैन, अशोक कुमार, तेजवीर सिंह सहित अनेक किसान उपस्थित रहे।

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