आगरा: समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव एवं राज्यसभा सांसद रामजीलाल सुमन ने मोदी सरकार द्वारा संसद में प्रस्तुत 130वें संविधान संशोधन विधेयक की तीव्र आलोचना करते हुए कहा है कि यह विधेयक केवल प्रतिपक्ष के नेताओं के खिलाफ इस्तेमाल करने का औजार है।
विधेयक के प्रमुख प्रावधान और आलोचना
विधेयक के अनुसार, यदि कोई मुख्यमंत्री या मंत्री 5 वर्ष या उससे अधिक की सजा वाले अपराध में पंजीकृत मुकदमे के तहत 30 दिन तक कारागार में निरुद्ध रहता है, तो उसे पद से हटा दिया जाएगा। रामजीलाल सुमन ने कहा कि यह कदम पूरी तरह तानाशाही है और प्रतिपक्षी सरकारों को अपदस्थ करने का साधन मात्र है।
उन्होंने यह भी कहा कि विधेयक में प्रधानमंत्री को हटाने का प्रावधान है, लेकिन यह केवल दिखावा है और व्यावहारिक रूप से असंभव। क्या कोई प्रधानमंत्री स्वयं को हटाने की सलाह देगा? यह सवाल विधेयक की वास्तविकता पर शक करता है।
संघीय ढांचे पर हमला
रामजीलाल सुमन ने मोदी सरकार और उनके करीबी संगठन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) का हवाला देते हुए कहा कि आरएसएस का आदर्श हिटलर है, और यह विधेयक भारत के संघीय ढांचे पर हमला है।
प्रवर्तन निदेशालय और सीबीआई का दुरुपयोग
सुमन ने कहा कि प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) और सीबीआई द्वारा पंजीकृत अपराधों में 95 प्रतिशत केस प्रतिपक्ष के नेताओं के खिलाफ हैं। उन्होंने उच्चतम न्यायालय के 7 अगस्त के आदेश का हवाला देते हुए कहा कि ईडी को ठग जैसा व्यवहार नहीं करना चाहिए और कानून के दायरे में काम करना होगा।
राज्यसभा में लिखित प्रश्न के उत्तर में सरकार ने स्वीकार किया कि पिछले 10 वर्षों में 193 प्रतिपक्षी नेताओं पर ईडी ने मुकदमे पंजीकृत किए, जिसमें सिर्फ दो मामलों में दोष सिद्ध हुआ। इसका अर्थ है कि आर्थिक अपराधों में सजा का औसत बहुत ही न्यून है।
अपराध सिद्ध होने से पहले ही दोषी मानने का प्रावधान
विधेयक के अनुसार, अपराध पंजीकृत होते ही न्यायालय से सजा प्राप्त होने की आवश्यकता नहीं है, और व्यक्ति को दोषी मान लिया जाएगा। सुमन ने केजरीवाल सरकार में लोकनिर्माण मंत्री सत्येंद्र जैन के मामले का उदाहरण देते हुए कहा कि स्वास्थ्य खराब होने के बावजूद उन्हें 18 महीने जेल में रखा गया और उनकी सामाजिक प्रतिष्ठा धूमिल हुई। चार साल बाद सीबीआई ने क्लोजर रिपोर्ट देकर कहा कि उनके खिलाफ कोई अपराध नहीं बनता।
उन्होंने सवाल उठाया कि सत्येंद्र जैन को हुए मानसिक और शारीरिक उत्पीड़न और सामाजिक प्रतिष्ठा को क्षति पहुँचाने की जिम्मेदारी किसकी होगी।
विधेयक में सुधार की मांग
सुमन ने कहा कि बेहतर होता कि विधेयक में यह प्रावधान होता कि यदि पंजीकृत मुकदमे में अपराध सिद्ध नहीं होता तो प्रताड़ना के लिए जिम्मेदार सरकार और अधिकारियों के खिलाफ भी मुकदमा दर्ज कर प्रभावी कार्रवाई की जाए।
प्रतिपक्षी नेताओं के साथ अन्याय
उन्होंने आरोप लगाया कि प्रतिपक्ष के 25 बड़े नेताओं के खिलाफ आर्थिक अपराधों में मुकदमे चल रहे थे, लेकिन उन्हें भाजपा में शामिल कर लिया गया और 23 नेताओं के खिलाफ मुकदमे ठंडे बस्ते में डाल दिए गए।
मोदी सरकार की तानाशाही पर निशाना
रामजीलाल सुमन ने कहा कि असल उद्देश्य चुनी हुई सरकारों को अस्थिर करना, विपक्षी नेताओं को जेल में डालना और विपक्षी पार्टियों को तोड़ना है। उन्होंने मोदी सरकार को निरंकुश बताया और कहा कि देश की जनता को इनके वास्तविक चरित्र को पहचानकर इस काले कानून के खिलाफ जनविद्रोह करना चाहिए।
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