प्राकृतिक खेती और गौ सेवा के लिए आगरा में नई पहल: गौ आधारित खेती को बढ़ावा देने हेतु संगोष्ठी एवं गौशाला निरीक्षण में जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों की सक्रिय भागीदारी
आगरा (ब्यूरो) गौसेवा आयोग के सदस्य रमाकांत उपाध्याय ने बुधवार को जनपद आगरा के शमशाबाद विकासखंड में आयोजित ब्लॉक स्तरीय संगोष्ठी में भाग लेकर प्राकृतिक खेती और गौ आधारित कृषि मॉडल को विस्तार देने के लिए अनेक महत्वपूर्ण घोषणाएं और योजनाएं साझा कीं। इस संगोष्ठी में विकासखंड अधिकारी, ग्राम प्रधानों और किसानों ने सहभागिता की।
प्राकृतिक खेती के लाभों पर चर्चा:
संगोष्ठी में प्राकृतिक खेती के महत्व, उसके पर्यावरणीय और आर्थिक लाभों तथा इसकी दीर्घकालिक टिकाऊ प्रभावों पर चर्चा की गई। "हर घर गाय, किसान बचाए ज़मीन और पर्यावरण" अभियान के अंतर्गत उपस्थित जनों ने प्राकृतिक खेती को अपनाने का संकल्प लिया।
प्रमुख योजनाएं और प्रावधान:
- मुख्यमंत्री सहभागिता योजना के तहत गौशालाओं से गोवंश किसानों को गोबर व गोमूत्र उपयोग हेतु दिया जाएगा।
- प्रति गोवंश ₹50 सीधे किसान के खाते में सरकार द्वारा दिया जाएगा।
- अधिक गोवंश रखने पर कैटल शेड निर्माण की सुविधा।
- प्रत्येक किसान के घर बायोगैस प्लांट सब्सिडी पर स्थापित किया जाएगा।
- किसान को गैस व जैविक खाद की सतत आपूर्ति घर पर ही मिलेगी।
- गोमूत्र से प्राकृतिक यूरिया की प्राप्ति सुनिश्चित होगी।
- भूमि की उर्वरता, जल स्रोतों की शुद्धता और पर्यावरण की रक्षा होगी।
- किसानों को खरीदारी की आवश्यकता नहीं, जिससे आर्थिक बचत होगी।
- कैंसर जैसी बीमारियों से बचाव, विषमुक्त खाद्य उत्पादन को बढ़ावा मिलेगा।
- खेती में जल की खपत कम होगी, पानी की बचत होगी।
गौशालाओं का किया औचक निरीक्षण
जनपद आगरा के फतेहाबाद क्षेत्र स्थित ग्राम पैतीखेड़ा गौवंश आश्रय स्थल का निरीक्षण भी किया गया। निरीक्षण के दौरान गौवंशों की संख्या, भूसा, हरा चारा, पेयजल, स्वच्छता व्यवस्था, CCTV कैमरे, ईयर टैगिंग, लाइटिंग, गर्मी से सुरक्षा, शेड निर्माण आदि का गहन अवलोकन किया गया।
अधिकारियों को निर्देशित किया गया कि:
- गौशालाओं की सुविधाएं निरंतर उपलब्ध रहें।
- पशुओं की नियमित जांच सुनिश्चित की जाए।
- देखभाल, पोषण और स्वच्छता की सतत निगरानी रखी जाए।
यह पहल क्यों है महत्वपूर्ण?
यह अभियान कृषि में लागत को घटाने, किसान को आत्मनिर्भर बनाने और ग्रामीण क्षेत्रों में सतत समृद्धि लाने की दिशा में एक ठोस कदम है। गोवंश आधारित खेती न केवल उपज को शुद्ध बनाएगी, बल्कि देश की जल, जीवन, जमीन, पर्यावरण और स्वास्थ्य रक्षा में भी अहम भूमिका निभाएगी।
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