Agra News:Agra woman arrested from Nuh on charges of cyber fraud

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आगरा की महिला साइबर ठगी के आरोप में नूंह से गिरफ्तार

फर्जी सिम कार्ड और बैंक खातों के जरिये साइबर अपराधियों को देती थी मदद, कोर्ट ने भेजा जेल

आगरा। हरियाणा के नूंह जिले की साइबर अपराध शाखा ने आगरा की एक महिला नगमा बेगम को फर्जी सिम कार्ड और बैंक खातों के जरिए साइबर अपराध में सहयोग करने के आरोप में गिरफ्तार किया है। महिला को नूंह बस स्टैंड से उस समय पकड़ा गया, जब वह अपने सहयोगियों से मिलने पहुंची थी।

गिरफ्तारी के समय पुलिस ने नगमा बेगम के पास से चार मोबाइल फोन, तीन फर्जी सिम कार्ड, विभिन्न बैंकों के छह एटीएम कार्ड, दो पासबुक, और छह चेक बुक बरामद कीं। प्राथमिक पूछताछ के बाद पुलिस ने उसे अदालत में पेश किया, जहां से 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया।

नूंह में सहयोगियों से मिलने पहुंची थी नगमा बेगम

नूंह पुलिस के जिला प्रवक्ता कृष्ण कुमार के अनुसार, 9 जुलाई को साइबर शाखा को सूचना मिली थी कि एक महिला नूंह क्षेत्र में साइबर अपराधियों को फर्जी बैंक खाता और सिम कार्ड उपलब्ध कराने के लिए आई है। सूचना के आधार पर पुलिस ने नूंह बस स्टैंड पर छापा मारा और महिला को गिरफ्तार किया।गिरफ्तार महिला ने पूछताछ में बताया कि वह मूल रूप से कटरा हज्जाम, माल का बाजार, गुदरी मंसूर खां, आगरा की निवासी है, और वर्तमान में नौ लक्खा, राजपुर चुंगी, सदर (आगरा) में रह रही है।

साइबर अपराधियों को बेचती थी सिम और खाते

पुलिस के अनुसार, नगमा बेगम अलग-अलग व्यक्तियों के नाम पर फर्जी दस्तावेज बनाकर सिम कार्ड और बैंक खाता खुलवाती थी, जिन्हें वह साइबर अपराधियों को बेचती थी। जब्त किए गए मोबाइलों में लगे सिम कार्ड विभिन्न लोगों के नाम पर पंजीकृत पाए गए हैं। महिला साइबर गिरोह से जुड़ी हुई थी, इसकी गहन जांच जारी है।

राजनीतिक संपर्क भी आए सामने

गिरफ्तार महिला के मोबाइल फोन से समाजवादी पार्टी (सपा) के वरिष्ठ नेताओं के साथ खींची गई कई तस्वीरें भी मिली हैं। इनमें वह स्वर्गीय मुलायम सिंह यादव, शिवपाल सिंह यादव और अन्य सपा नेताओं के साथ मंच साझा करते हुए दिखाई दे रही है। स्थानीय सपा नेताओं के अनुसार, वह कभी सपा महिला मोर्चा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की सदस्य रही हैं।वर्ष 2012 में सपा सरकार बनने के बाद नगमा बेगम स्वयं को उत्तर प्रदेश खादी ग्रामोद्योग बोर्ड का निदेशक और राज्यमंत्री दर्जा प्राप्त अधिकारी बताने लगी थीं। इसके लिए वह एक फर्जी पत्र भी दिखाया करती थी, जिसकी जांच में प्रमाणिकता न मिलने पर उसे अमान्य कर दिया गया था। इसके बाद सपा नेतृत्व द्वारा उनकी सरकारी गाड़ी से लाल बत्ती हटवा दी गई थी।

ठेकेदारी से लेकर साइबर ठगी तक का सफर

सपा सरकार के दौरान नगमा बेगम ने सरकारी भवन निर्माण के कई ठेके लिए थे। लेकिन सत्ता परिवर्तन के बाद उनकी ठेकेदारी बंद हो गई। इसके बाद कुछ वर्षों तक वह गुजरात के अहमदाबाद में भी रहीं। हाल के वर्षों में नगमा का रहन-सहन अचानक बदला, जिससे उस पर संदेह गहराया।

परिवार के सदस्यों में भी दूरी रही। देवर तनवीर ने मीडिया को बताया कि वह नगमा बेगम से अलग रहते हैं और उन्हें इस मामले की कोई जानकारी नहीं है।

पूर्व में भी रही हैं विवादों में

नगमा बेगम के खिलाफ पूर्व में भी चेक बाउंस के मामले दर्ज हो चुके हैं। पुलिस अब यह पता लगाने में जुटी है कि उसके नेटवर्क में और कौन-कौन लोग शामिल हैं। साथ ही यह भी जांच की जा रही है कि वह कितने फर्जी खातों और सिम कार्डों की आपूर्ति कर चुकी है।

पुलिस कर रही गहन जांच

नूंह साइबर अपराध शाखा महिला से पूछताछ के आधार पर उसके संपर्क सूत्रों और नेटवर्क का विस्तार से पता लगाने में जुटी है। पुलिस का मानना है कि यह एक संगठित गिरोह का हिस्सा हो सकता है, जो अलग-अलग राज्यों में साइबर ठगी के लिए सिम और बैंक खातों की अवैध व्यवस्था करता है।

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