Agra News:Special plantation done using Mianwaki method, gave the message of environmental protection

मियांवाकी पद्धति से किया विशेष पौधारोपण, दिया पर्यावरण संरक्षण का संदेश

Agra News:Special plantation done using Mianwaki method, gave the message of environmental protection
पालीवाल पार्क में पौधरोपण करते ईको क्लब के सदस्य

आगरा । आज दिनांक 7 अगस्त 2025 को पालीवाल पार्क स्थित ईको क्लब, आगरा के तत्वावधान में वर्ष 2025 का पर्यावरण संरक्षण एवं संतुलन हेतु विशेष पौधारोपण अभियान सफलतापूर्वक सम्पन्न हुआ। यह आयोजन सुबह 6 बजे से 8 बजे तक चला, जिसमें मियांवाकी पद्धति और बायोडायवर्सिटी आधारित तकनीक के माध्यम से पौधरोपण किया गया।

गौरतलब है कि ईको क्लब द्वारा गत 14 वर्षों से निरंतर प्रतिदिन प्रातः 5 से 8 बजे तक हरियाली संवर्धन एवं स्वच्छता को केंद्र में रखकर सेवा कार्य किया जा रहा है, जो पर्यावरण प्रेमियों के लिए अनुकरणीय उदाहरण है।

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बुधवार को कार्यक्रम में 36 बांस, 12 नीम, 12 पीपल, 5 बरगद, 5 बेलपत्र, 50 तुलसी, और 12 पाखड़ सहित कई औषधीय व छायादार पौधों का रोपण किया गया। पौधारोपण में तकनीकी दक्षता का परिचय देते हुए एक सदस्य द्वारा मात्र 5 मिनट में एक पौधा लगाया गया, जिससे लव बर्ड्स और तितलियों जैसे जीवों को आकर्षित कर उन्हें स्थायी आश्रय प्रदान किया जा सके।
आगरा। हिन्दी न्यूज। टूडे। न्यूजट्रैक। उत्तर प्रदेश।

ईको क्लब, पालीवाल पार्क में मियांवाकी तकनीक (जो जापानी पद्धति पर आधारित है, जिसमें सीमित क्षेत्र में विभिन्न प्रजातियों के पौधे लगाए जाते हैं) और बायोडायवर्सिटी संरक्षण के तहत जो कार्य किया गया है, उसने आगरा के इस हिस्से को प्राकृतिक जैवविविधता के आकर्षण का केंद्र बना दिया है। लगभग 80 से 95 प्रजातियों के पक्षी, जिनमें से कई बाहर से लाकर बसाए गए हैं, अब इस स्थल को स्थायी निवास के रूप में अपना चुके हैं। पक्षियों के लिए भोजन, पानी और प्राकृतिक वातावरण की विशेष व्यवस्था के कारण अब ये पक्षी न केवल टिके हैं, बल्कि उनका संख्या में भी विस्तार हो रहा है।

पौधारोपण में सहभागिता निभाने वाले ईको क्लब सदस्यों में सतीश गुप्ता, अनिल कटारा, सनी कश्यप, राजू भाई, राजकुमार अरोरा और चतुर्भुज तिवारी का विशेष योगदान रहा।पालीवाल पार्क स्थित ईको क्लब अब केवल आगरा का नहीं, बल्कि पूरे उत्तर भारत का प्रेरक हरित मॉडल बनता जा रहा है। इन प्रयासों से यह स्पष्ट है कि अगर सामूहिक इच्छाशक्ति और तकनीकी सहयोग एकजुट हों, तो शहरी क्षेत्र में भी प्राकृतिक पारिस्थितिकीय संतुलन सफलतापूर्वक स्थापित किया जा सकता है।

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