Govardhan mountain News:Demand to declare Govardhan mountain as UNESCO world heritage intensifies, Letter sent to Prime Minister Modi

गोवर्धन पर्वत को यूनेस्को विश्व धरोहर घोषित कराने की मांग तेज,प्रधानमंत्री मोदी को भेजा पत्र

Govardhan mountain News:Demand to declare Govardhan mountain as UNESCO world heritage intensifies,  Letter sent to Prime Minister Modi

रिपोर्ट: बृज खंडेलवाल |

गोवर्धन पर्वत को विश्व धरोहर का दर्जा दिलाने की मुहिम ने फिर पकड़ी रफ़्तार ब्रज मंडल हेरिटेज कंजर्वेशन सोसायटी और रिवर कनेक्ट अभियान के बृज खंडेलवाल ने भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को भावनात्मक अपील वाला विस्तृत पत्र भेजा है, जिसमें यूनेस्को (UNESCO) की विश्व धरोहर सूची में गोवर्धन पर्वत को शामिल करने की तत्काल पहल की माँग की गई है।

पत्र में न केवल गोवर्धन की आध्यात्मिक, सांस्कृतिक और पारिस्थितिकीय महत्ता का उल्लेख किया गया है, बल्कि इसके संरक्षण में हो रही लापरवाही और संकटपूर्ण हालातों की भी विस्तार से चर्चा की गई है। पत्र में स्पष्ट कहा गया है कि गोवर्धन केवल एक पर्वत नहीं, यह भारत की आध्यात्मिक आत्मा है। इसकी रक्षा हम सबका साझा कर्तव्य है।”

गोवर्धन: एक जीवंत धरोहर

श्रीमद्भागवत महापुराण में वर्णित श्रीकृष्ण की लीला जब उन्होंने बाल अवस्था में अपनी अंगुली पर गोवर्धन पर्वत उठाकर इंद्र के प्रकोप से ब्रजवासियों की रक्षा की थी आज भी जनमानस में गहराई से बसी है। यह पर्वत भक्ति, प्रकृति और लोक परंपराओं का जीवंत संगम है। 21 किलोमीटर लम्बी परिक्रमा पर नंगे पांव चलने वाले श्रद्धालु आज भी यहाँ गीत, आँसू और प्रार्थनाओं के साथ आस्था समर्पित करते हैं। यह कोई बीते युग की स्मृति नहीं, बल्कि भारत की आध्यात्मिक चेतना और पर्यावरणीय सहअस्तित्व का प्रतीक है। गोवर्धन पर्वत और उसके चारों ओर स्थित राधा कुंड, श्याम कुंड, प्राचीन वनक्षेत्र, और सैकड़ों मंदिर, इसे एक जीवंत सांस्कृतिक परिदृश्य में बदलते हैं।

संरक्षण संकट: जल, जंगल और ज़मीन पर दबाव

पर्यावरणविदों और शोधकर्ताओं ने चेतावनी दी है कि गोवर्धन की पारिस्थितिकीय स्थिति गंभीर क्षरण की ओर बढ़ रही है:

  • पारंपरिक वनस्पतियाँ विलुप्त हो रही हैं
  • जल स्रोतों में प्रदूषण और अवैध अतिक्रमण
  • तीर्थयात्रियों की भीड़ से मिट्टी की कठोरता और भू-संरचना पर दबाव
  • कुंडों में गाद भराव, वनों की कटाई, और अवैध निर्माण तेज़ी से बढ़ रहे हैं

पर्यावरणविद् डॉ. देवाशीष भट्टाचार्य ने कहा

“गोवर्धन केवल एक पर्वत नहीं  यह आस्था, सहिष्णुता और प्रकृति से जुड़ाव का प्रतीक है। यूनेस्को की मान्यता इसकी पारिस्थितिक नाज़ुकता की रक्षा करेगी।”

प्रधानमंत्री को भेजे गए पत्र में क्या है ख़ास?

पत्र में बृज मंडल हेरिटेज कंजर्वेशन सोसायटी के सदस्य बृज खंडेलवाल ने प्रधानमंत्री मोदी से माँग की है कि भारत सरकार संस्कृति मंत्रालय और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग (ASI) को निर्देशित करे कि वे गोवर्धन पर्वत को यूनेस्को की टेंटेटिव सूची में शामिल करने का आधिकारिक प्रस्ताव भेजें।

पत्र में कहा गया:

  • यह स्थल यूनेस्को के तीन मानदंडों पर खरा उतरता है:
    • मानदंड (i): मंदिर और कला-शिल्प मानवीय रचनात्मकता का उदाहरण
    • मानदंड (iii): श्रीकृष्ण भक्ति परंपरा का जीवंत प्रमाण
    • मानदंड (v): मानव और प्रकृति के सह-अस्तित्व का प्रतीक
  • यूनेस्को की मान्यता से मिलेगा:
  • अंतरराष्ट्रीय संरक्षण सहयोग
  • तकनीकी सहायता
  • सतत पर्यटन विकास योजना
  • स्थानीय रोजगार और सशक्तिकरण

वैज्ञानिक प्रयास और विफल योजनाएँ

कुछ वर्ष पूर्व, अमेरिका की यूनिवर्सिटी ऑफ इलिनॉय, अर्बाना-शैंपेन की प्रोफेसर अमिता सिन्हा की टीम ने गोवर्धन की पारिस्थितिकीय स्थिति पर अध्ययन किया था। उन्होंने कहा था कि यह एक अद्वितीय धार्मिक स्थल है, लेकिन जल स्रोत सूख चुके हैं, हरियाली लुप्त हो रही है।”

टीम ने:

  • जलग्रहण मानचित्र तैयार किया
  • वनस्पतियों का सर्वेक्षण किया
  • तीर्थयात्रियों व स्थानीयों से साक्षात्कार किया

ब्रज फाउंडेशन को यह रिपोर्ट सौंपी गई, लेकिन यह प्रस्ताव सरकारी फाइलों में दब कर रह गया।

अब क्यों है यह पहल महत्वपूर्ण?

  • हाल ही में शांति निकेतन और होयसला मंदिरों को यूनेस्को की सूची में शामिल किया गया है। इससे प्रेरित होकर गोवर्धन के संरक्षक भी सक्रिय हुए हैं।
  • रिवर कनेक्ट अभियान के साथ-साथ वृंदावन के कई संगठनों और साधु-संतों ने भी केंद्र सरकार से तत्काल कदम की माँग की है।

धरोहर संरक्षक डॉ. मुकुल पंड्या का कहना है

“हर साल 1 करोड़ से अधिक श्रद्धालु आते हैं। यदि समय रहते ठोस प्रयास हुए, तो गोवर्धन पवित्रता और पारिस्थितिक संतुलन का वैश्विक उदाहरण बन सकता है।”

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