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सीतापुर में हुई एसटीएफ-पुलिस की संयुक्त मुठभेड़ में मारे गए बदमाशों से बरामद किए कारतूस, मोबाइल व अन्य सामान |
सीतापुर। बीती रात जनपद सीतापुर के थाना पिसावां क्षेत्र में उत्तर प्रदेश एसटीएफ की नोएडा यूनिट और सीतापुर पुलिस की संयुक्त टीम ने बड़ी कार्रवाई को अंजाम दिया। यह कार्रवाई एक लंबे समय से फरार चल रहे दो खतरनाक इनामी अपराधियों के खिलाफ की गई, जो पत्रकार राघवेंद्र बाजपेयी की हत्या के केस में वांछित थे। पुलिस और बदमाशों के बीच मुठभेड़ के दौरान दोनों अपराधी गोली लगने से घायल हो गए और इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई।
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मुठभेड़ के बाद खेत में पड़ी बाइक, मौके पर तफ्तीश करती एसटीएफ की टीम |
बदमाशों ने पुलिस पर की फायरिंग, जवाबी कार्रवाई में मारे गए
मुठभेड़ बीती रात 6/7 अगस्त 2025 को थाना पिसावां क्षेत्र में उस समय हुई जब पुलिस को दोनों अपराधियों की मौजूदगी की पुख्ता सूचना मिली। संयुक्त टीम ने मौके पर घेराबंदी की, लेकिन खुद को घिरता देख बदमाशों ने पुलिस पर अंधाधुंध फायरिंग शुरू कर दी। पुलिस ने भी मोर्चा संभाला और जवाबी कार्रवाई की, जिसमें दोनों अपराधी गंभीर रूप से घायल हो गए। घायल अवस्था में उन्हें तुरंत सीएचसी पिसावां ले जाया गया, जहाँ से हालत गंभीर होने पर जिला अस्पताल सीतापुर रेफर कर दिया गया। अस्पताल में इलाज के दौरान डॉक्टरों ने दोनों को मृत घोषित कर दिया।
नाम बदले, जुर्म नहीं
मुठभेड़ में मारे गए दोनों बदमाशों की पहचान राजू तिवारी उर्फ रिजवान पुत्र कृष्ण गोपाल उर्फ करीम ख़ान और संजय तिवारी उर्फ शिब्बू उर्फ शकील ख़ान पुत्र कृष्ण गोपाल उर्फ करीम ख़ान, निवासी अटवा, थाना मिसरिख, जनपद सीतापुर के रूप में हुई है।पुलिस रिकॉर्ड के अनुसार, दोनों अपराधी लंबे समय से फरार चल रहे थे और उन पर 1-1 लाख रुपये का इनाम घोषित था। आश्चर्यजनक तथ्य यह भी है कि दोनों सगे भाई थे और दोनों ने अपना धर्म और नाम बदलकर पुलिस को भ्रमित करने की कोशिश की थी, लेकिन उनकी आपराधिक पहचान पुलिस के राडार पर बनी रही।
पत्रकार हत्याकांड में थी संलिप्तता, पुलिस के लिए बड़ी सफलता
दोनों अपराधी सीतापुर में पत्रकार राघवेंद्र बाजपेयी की हत्या के मुख्य आरोपी थे। इस जघन्य हत्याकांड ने पूरे प्रदेश को झकझोर दिया था। पत्रकार की हत्या के बाद पुलिस पर भारी दबाव था और विपक्ष द्वारा शासन की कार्यशैली पर कई सवाल उठाए गए थे। इन दोनों बदमाशों की गिरफ्तारी या मुठभेड़ पुलिस के लिए बड़ी सफलता मानी जा रही है, जिसने पत्रकार हत्याकांड की जांच को निर्णायक दिशा दी है।
पुराने अपराधों से खौफनाक इतिहास, एसआई और नेता की हत्या भी कर चुके
पुलिस के मुताबिक, बदमाश राजू तिवारी उर्फ रिजवान ने वर्ष 2006 में थाना लखीमपुर खीरी क्षेत्र में सब-इंस्पेक्टर परवेज अली की धारदार हथियारों से हत्या कर दी थी, और उसके बाद सरकारी रिवॉल्वर लूट ली थी।वहीं दूसरा बदमाश संजय तिवारी उर्फ शकील ख़ान ने 2011 में मचरहेता थाना क्षेत्र में देवी सहाय शुक्ल की गोली मारकर हत्या कर दी थी। इन दोनों पर हत्या, लूट, डकैती, रंगदारी सहित कुल दो दर्जन से अधिक मुकदमे दर्ज हैं। दोनों को अपराध की दुनिया में बेहद खतरनाक और योजनाबद्ध तरीके से वारदात करने वाले अपराधियों के रूप में जाना जाता था।
एसटीएफ ने रची थी गोपनीय रणनीति
सूत्रों के अनुसार, दोनों अपराधी पिछले कई वर्षों से भेष बदलकर अलग-अलग जिलों में छिपे हुए थे। इनकी गिरफ्तारी को लेकर एसटीएफ और जिला पुलिस लंबे समय से प्रयासरत थी। हाल ही में एसटीएफ को दोनों के पिसावां क्षेत्र में छिपे होने की गुप्त सूचना मिली थी, जिसके बाद पूरी योजना गोपनीय रूप से तैयार की गई और समय पर कार्रवाई कर दोनों को मुठभेड़ में ढेर किया गया।
पुलिस महकमे में सराहना, एसटीएफ को बधाई
वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों ने इस मुठभेड़ को लेकर एसटीएफ नोएडा यूनिट और सीतापुर पुलिस टीम की सराहना की है। पत्रकारों की सुरक्षा और कानून व्यवस्था को लेकर उठते सवालों के बीच यह कार्रवाई सरकार और पुलिस की सख्ती का स्पष्ट संदेश है कि किसी भी हाल में अपराधियों को बख्शा नहीं जाएगा।
इलाके में चर्चा
इस मुठभेड़ की खबर फैलते ही पूरे सीतापुर जिले में चर्चा का विषय बन गई। आम जनता ने इसे सकारात्मक कदम बताया है और उम्मीद जताई है कि इससे अपराधियों में भय उत्पन्न होगा और आम जन को सुरक्षा का एहसास मिलेगा।
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