आगरा। प्रदेश में वर्ष 2027 तक बाल श्रम उन्मूलन के लक्ष्य को साकार करने के लिए आज आगरा में मंडलीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला का उद्घाटन दीप प्रज्ज्वलन के साथ किया गया।
मंडलायुक्त ने कार्यशाला में उपस्थित सभी अधिकारियों को संबोधित करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री ने वर्ष 2027 तक पूरे प्रदेश को बाल श्रम मुक्त करने का आह्वान किया है। बाल श्रम सभ्य समाज में स्वीकार्य नहीं है। बच्चे ऊर्जा से भरपूर होते हैं, और यदि उन्हें सही दिशा, शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाएं मिलें तो वे समाज और राष्ट्र के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।
स्वतंत्रता के बाद बाल श्रम और पुनर्वास के लिए कई प्रयास हुए हैं, लेकिन आज भी सड़कों पर भिक्षावृत्ति करते और खेल तमाशे में लगे बच्चे मिलते हैं। उनके पुनर्वास के लिए प्रभावी कार्य करना आवश्यक है। बाल मजदूरी को कारखानों और फैक्ट्रियों में खतरनाक परिस्थितियों में होने से रोकना सबसे बड़ी प्राथमिकता होनी चाहिए।
गरीबी बाल श्रम का एक प्रमुख कारण है। विभिन्न सरकारी योजनाओं और लोककल्याणकारी कार्यक्रमों के माध्यम से बच्चों और उनके परिवारों के पुनर्वास की रणनीति तैयार करना और सभी संबंधित विभागों को समन्वित करना जरूरी है। 2047 तक विकसित भारत देखने के लिए बाल श्रम जैसी बुराई को समाप्त करना अनिवार्य है।
कार्यशाला में बताया गया कि प्रदेश के चिन्हित मंडलों में बाल श्रम उन्मूलन और पुनर्वासन पर कार्ययोजना के विषय में यह आठवीं कार्यशाला है। इसमें श्रम विभाग, महिला कल्याण और बाल विकास विभाग, शिक्षा विभाग, कौशल विकास (आईटीआई), पंचायती राज विभाग, ग्राम्य विकास विभाग, समाज कल्याण, अल्पसंख्यक कल्याण विभाग, स्थानीय निकाय/डूडा, पुलिस विभाग, एएचटीयू, सूचना और जनसंपर्क विभाग, अध्यक्ष बाल कल्याण समिति और मंडल के सभी जिलों से बाल श्रम उन्मूलन व पुनर्वास में लगे गैर सरकारी संगठनों के प्रतिनिधि शामिल हुए।
कार्यशाला में विशेषज्ञों ने कार्ययोजना के महत्व और बच्चों के पुनर्वास के लिए विभिन्न दृष्टिकोण साझा किए। डॉ. हेलन आर. सेकर, कोऑर्डिनेटर एनआरसी (बाल श्रम) और पूर्व वरिष्ठ फैकल्टी वी.वी. गिरी संस्थान, नोएडा ने विस्तार से बाल श्रम उन्मूलन की रणनीति और मॉनिटरिंग प्रक्रिया पर प्रेजेंटेशन प्रस्तुत किया। यूनिसेफ प्रतिनिधि सैयद मंसूर कादरी ने बच्चों के संरक्षण और पुनर्वास के लिए आवश्यक दिशा-निर्देश दिए।
कार्यशाला का उद्देश्य सभी संबंधित विभागों को प्रभावी कार्ययोजना तैयार करने और उसे सटीक रूप से लागू करने के लिए मार्गदर्शन प्रदान करना था। साथ ही बच्चों और उनके परिवारों को प्रदेश में संचालित प्रमुख योजनाओं और कार्यक्रमों से जोड़ने का प्रयास किया गया।
कार्यशाला में अपर आयुक्त प्रशासन, CMO, उप श्रमायुक्त, DD बाल विकास, जिला सूचना अधिकारी, स्टेट कोऑर्डिनेटर यूपी और यूनिसेफ प्रतिनिधि सहित संबंधित विभागों के मंडलीय अधिकारी उपस्थित रहे।
मंडलायुक्त ने सभी विभागों के अधिकारियों से अपेक्षा जताई कि वे बाल श्रम उन्मूलन के लिए प्रभावी योजना बनाएं और उसकी समयबद्ध कार्यान्वयन सुनिश्चित करें। इसके साथ ही बच्चों और उनके परिवारों की सामाजिक, शैक्षिक और आर्थिक स्थिति सुधारने के लिए सभी विभागों में समन्वय स्थापित किया जाए।
कार्यशाला में यह भी चर्चा हुई कि बच्चों को खतरे वाली परिस्थितियों में कार्य करने से बचाने के लिए स्थानीय अधिकारियों और पुलिस विभाग को सतत निगरानी और तत्काल कार्रवाई के लिए सक्रिय रहना होगा।इस अवसर पर विशेष रूप से यह बताया गया कि बाल श्रम केवल बच्चों का व्यक्तिगत संकट नहीं है, बल्कि यह पूरे समाज के विकास में बाधक है। इसलिए सभी विभागों, संगठनों और नागरिकों का दायित्व है कि वे मिलकर इसे समाप्त करने में योगदान दें।
बाल श्रम उन्मूलन की दिशा में आज की कार्यशाला ने मंडल के सभी अधिकारियों और एनजीओ प्रतिनिधियों को आवश्यक जानकारी और दिशा-निर्देश दिए। इसके माध्यम से बच्चों के पुनर्वास, शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में बेहतर योजना बनाई जाएगी।
मंडलायुक्त ने कार्यशाला के समापन पर सभी अधिकारियों और उपस्थित विशेषज्ञों को उनके योगदान के लिए धन्यवाद दिया और कहा कि इस तरह के कार्यक्रम नियमित रूप से आयोजित किए जाएँ ताकि बच्चों की सुरक्षा और उनके अधिकार सुनिश्चित किए जा सकें।
कार्यशाला के दौरान यह भी तय किया गया कि आगामी महीनों में बाल श्रम उन्मूलन की गतिविधियों की समीक्षा के लिए लगातार बैठकें आयोजित की जाएँगी। सभी विभागों को अपने क्षेत्रीय कार्यक्रमों की रिपोर्ट प्रस्तुत करनी होगी ताकि कार्ययोजना का प्रभावी मूल्यांकन किया जा सके।
कार्यशाला में उपस्थित सभी प्रतिनिधियों ने बाल श्रम उन्मूलन और बच्चों के पुनर्वास की दिशा में जारी प्रयासों की सराहना की। उन्होंने कहा कि सरकार और समाज की संयुक्त कोशिश से ही बाल श्रम जैसी बुराई को समाप्त किया जा सकता है। कार्यशाला ने यह स्पष्ट किया कि बच्चों को शिक्षा, स्वास्थ्य और सुरक्षा प्रदान करना केवल नैतिक दायित्व नहीं, बल्कि समाज और राष्ट्र के भविष्य के लिए अनिवार्य है।
मंडलायुक्त ने कार्यशाला में उपस्थित सभी अधिकारियों और प्रतिनिधियों से कहा कि बाल श्रम उन्मूलन के लिए बनाई गई कार्ययोजना का समयबद्ध कार्यान्वयन सुनिश्चित करना उनका प्राथमिक दायित्व है। इसके साथ ही सभी विभागों में समन्वय स्थापित कर योजना को प्रभावी बनाना होगा।
कार्यशाला के माध्यम से प्रदेश में बच्चों के पुनर्वास, शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में कार्यों को गति देने के लिए एक ठोस रोडमैप तैयार किया गया। इसमें सभी विभागों की जिम्मेदारियां स्पष्ट की गईं और उनके कार्यों की निगरानी सुनिश्चित करने का प्रस्ताव रखा गया।
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