बटेश्वर। उत्तर भारत के सुप्रसिद्ध बटेश्वर पशु एवं लोक मेला की तैयारी जोर-शोर से चल रही है। इतिहास की पृष्ठभूमि में यह मेला सदियों से लग रहा है और पूरे उत्तर भारत में अपनी विशेषता के लिए मशहूर है। माना जाता है कि यह मेला पहले 18वीं सदी में शुरू हुआ था, तब से यह न केवल पशु व्यापार का केंद्र रहा बल्कि लोक कला, संस्कृति और पारंपरिक खेलों का संगम भी रहा है।
इस साल मेला 14 अक्टूबर 2025 से शुरू होगा। मेला क्षेत्र में तैयारी को लेकर रविवार को नए एसीपी बाह रामकेश गुप्ता ने चौकी प्रभारी बटेश्वर इंद्र कुमार और मेले के कोतवाल सतीश कुमार के साथ अटल गेस्ट हाउस में सुरक्षा एवं व्यवस्था की बैठक कर आवश्यक दिशा-निर्देश दिए।
बैठक में एसीपी रामकेश गुप्ता ने बताया कि मेले में लगी दुकान, झूले, खेल तमाशा, सर्कस आदि के दौरान किसी प्रकार की असुविधा नहीं हो, इसके लिए सुरक्षा के विशेष इंतजाम किए जा रहे हैं। भीड़-भाड़ वाले क्षेत्रों में सीसीटीवी कैमरों के माध्यम से निगरानी रखी जाएगी। साथ ही, नागा संतों और अन्य धार्मिक यात्रियों की सुरक्षा को भी प्राथमिकता दी जाएगी।
एसीपी ने स्पष्ट किया कि पानी, बिजली और व्यापारियों की सुरक्षा के लिए जिम्मेदार अधिकारी समय-समय पर भ्रमण करेंगे। बैठक में तय किया गया कि गलत तरीके से रखी गई गिट्टी, सीमेंट और बालू को हटाया जाएगा ताकि दुकानदारों को परेशानी न हो। बैठक में स्थानीय मंदिर प्रबंधक अजय भदौरिया, पुजारी जयप्रकाश गोस्वामी, अशोक गोस्वामी, शिव कुमार शर्मा सहित अन्य लोग मौजूद रहे।
इस बीच, पशु मेले के लिए आगरा और आसपास के घोड़ा व्यापारी अपने पशुओं के साथ बटेश्वर में डेरा डाल चुके हैं। व्यापारी मूलचंद और यादराम ने बताया कि उन्होंने गलती से इंटरनेट पर 2024 की जानकारी देख कर तैयारी शुरू कर दी थी।साफ-सफाई कार्य अभी शुरू हुआ है, और किसान अपनी बाजरे की फसल कटाई में व्यस्त हैं। मेले की खासियत यह है कि यहाँ पशु व्यापार के साथ-साथ लोक कला, खेल तमाशा और पारंपरिक व्यंजन भी देखने को मिलते हैं, जो इसे उत्तर भारत का प्रमुख सांस्कृतिक मेला बनाते हैं।