खेरागढ़। थाना खेरागढ़ क्षेत्र में उटंगन नदी में मूर्ति विसर्जन के दौरान हुए दर्दनाक हादसे में नदी में डूबे 13 युवकों में से अब तक 8 को निकाला जा चुका है। अभी चार युवकों की तलाश जारी है। गौरतलब है कि हादसे के दौरान ग्रामीणों की मदद से एक युवक को सकुशल बचा लिया गया था। स्थानीय लोगों ने नदी के रुख को मोड़ दिया है। इसके साथ ही अस्थाई बांध निर्माण भी कर दिया है।
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खेरागढ़ की उटंगन नदी में रेस्क्यू ऑपरेशन करतीं एनडीआरएफ, एसडीआरएफ की टीमें |
रेस्क्यू ऑपरेशन जारी:
घटना के तुरंत बाद एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, सेना की 50 पैरा ब्रिगेड की यूनिट 411 पैरा फील्ड कम्पनी, फ्लड कंपनी पीएसी, स्थानीय पुलिस और गोताखोरों ने राहत एवं बचाव कार्य शुरू कर दिया था। अभी तक 8 शवों को निकालने में ही सफलता मिल सकी है। इनमें से 2 शव सोमवार को निकाले गए हैं। सभी शवों को पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया है।
आधुनिक उपकरणों का इस्तेमाल:
रेस्क्यू टीमों ने जेसीबी मशीनों और अन्य आधुनिक उपकरणों की मदद से नदी में खोज जारी रखी। सभी टीमें युद्धस्तर पर कार्यरत हैं। शेष 4 युवकों की तलाश में टीमें पूरी लगन, दक्षता और आपसी समन्वय के साथ लगातार लगी हुई हैं।पुलिस कमिश्नर आगरा, श्री दीपक कुमार ने जिलाधिकारी और स्थानीय जनप्रतिनिधियों के साथ स्टीमर बोट से घटनास्थल का निरीक्षण किया। उन्होंने मौके पर मौजूद टीमों को आवश्यक दिशा-निर्देश दिए।राहत और बचाव कार्य अभी भी युद्धस्तर पर जारी हैं। प्रशासन स्थिति पर लगातार नजर बनाए हुए है।
कुसियापुर गांव में मातम, 4 दिन से नहीं जले चूल्हे
उटंगन नदी में डूबे सभी युवक आगरा की खेरागढ़ तहसील के कुसियापुर गांव के रहने वाले हैं। यह गांव आगरा से लगभग 45 किमी दूर और राजस्थान बॉर्डर से सिर्फ 500 मीटर पहले स्थित है। 2500 आबादी वाले इस गांव में चार दिन से सन्नाटा पसरा हुआ है। न तो बच्चों की हँसी सुनाई दे रही है और न ही गलियों में आवाजाही। गांव में अधिकांश महिलाएं ही दिखाई दे रही हैं।
सभी पुरुष नदी किनारे डूबे युवकों को बचाने और शव बरामद करने में जुटे हुए हैं। जिन परिवारों के लड़के नदी में डूबे, उनके घरों में सिर्फ रोने की आवाजें गूँज रही हैं। रिश्तेदार और गांववाले सांत्वना देने पहुंच रहे हैं।
गांव के तमाम घरों में चूल्हे नहीं जले हैं। घरों में खाना नहीं पक रहा, और मातम का माहौल व्याप्त है।पड़ोसी गांव डुंगरपुर के लोग भी दुख बांटने आए हैं। वे रिक्शे में बड़े भगोनों में पूड़ी-सब्जी लेकर कुसियापुर के हर घर तक पहुंचा रहे हैं। मना करने के बावजूद वे खाना घर-घर पहुंचाकर चले जाते हैं।पूरा गांव गमगीन है और लोग हादसे की भयानकता को अभी भी सह नहीं पा रहे हैं।
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