कार्यशाला में राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष विजया रहाटकर, केंद्रीय मंत्री प्रोफेसर एस.पी. सिंह बघेल, और उत्तर प्रदेश राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष डॉ. बबीता चौहान मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहीं।
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केंद्रीय मंत्री प्रो. एसपी सिंह का बुके देकर स्वागत करतीं राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष |
महिलाओं को मिला संवाद और सशक्तिकरण का मंत्र
राज्य महिला आयोग अध्यक्ष डॉ. बबीता चौहान ने कहा,
"संवाद से ही बदलाव संभव है। अपने हक़ के लिए आवाज़ उठाना हर महिला का अधिकार ही नहीं, दायित्व भी है।"
उन्होंने बताया कि उत्तर प्रदेश महिला अपराधों के मामलों में 98.60% निस्तारण दर के साथ पूरे भारत में प्रथम स्थान पर है। डॉ. चौहान ने महिला प्रतिनिधियों को कम्यूनिकेशन स्किल, सोशल मीडिया के प्रभावी उपयोग और केंद्र व राज्य सरकार की योजनाओं की जानकारी लेकर अपने क्षेत्रों में कार्यान्वयन की अपील की।
“पार्षद से संसद तक” की यात्रा
कार्यक्रम में केंद्रीय मंत्री एस.पी. सिंह बघेल ने कहा कि यह प्रशिक्षण महिला प्रतिनिधियों के लिए कोचिंग क्लास जैसा है, जो उन्हें “साधारण पत्थर से प्रेरणादायक मूर्ति” बना सकता है।
“यह पार्षद से सांसद बनने का मंच है, आज की प्रतिनिधि कल भारत की संसद का हिस्सा बन सकती हैं।”
उन्होंने महिलाओं को पंचायतों और निकायों में योजनाओं को प्रभावी ढंग से लागू करने की प्रेरणा दी।
“पंचायत से पार्लियामेंट तक” का अभियान
राष्ट्रीय महिला आयोग अध्यक्ष श्रीमती विजया रहाटकर ने आयोग की मुहिम “पंचायत से पार्लियामेंट तक” पर प्रकाश डाला। इसके अंतर्गत महिला प्रतिनिधियों को दिल्ली स्थित संसद भवन के सेन्ट्रल हॉल में राष्ट्रपति, सांसदों और मंत्रियों से संवाद कराया जाता है जिससे उनमें आत्मविश्वास और जानकारी दोनों का विकास होता है।
उन्होंने महिलाओं को लखपति दीदी योजना, जल जीवन मिशन, ग्राम संघों और सेल्फ हेल्प ग्रुप से जुड़कर काम करने का आह्वान किया।
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कार्यशाला में अपने विचार रखतीं उत्तर प्रदेश राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष डॉ. बबीता सिंह चौहान |
समीक्षा बैठक में महिला अपराधों पर गंभीर मंथन
कार्यशाला के बाद सर्किट हाउस में मंडल स्तरीय अधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक हुई, जिसमें महिला आयोग अध्यक्ष ने बताया कि प्रदेश में अधिकतर शिकायतें जमीन-जायदाद से जुड़ी होती हैं। उन्होंने निर्देश दिया कि जिलों में महिला मामलों के लिए एक सक्षम नोडल अधिकारी नियुक्त किया जाए।
पुलिस विभाग को समयबद्ध कार्रवाई सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए, ताकि पीड़िता को न्याय समय पर मिल सके।
2024 में दर्ज 4811 प्रकरणों में से 3727 का समाधान हुआ, जबकि केवल 329 मामलों में एफआईआर दर्ज की गई।
- महिला अपराधों के निस्तारण में यूपी नंबर 1: 98.60%
- “पार्षद से संसद” तक की तैयारी
- संवाद, सोशल मीडिया और योजनाओं की जानकारी पर ज़ोर
- महिला अपराधों पर समीक्षा और साइबर सुरक्षा जागरूकता
बैठक में यह जानकारी भी सामने आई कि यदि साइबर क्राइम की शिकायत एक घंटे के भीतर टोल फ्री नंबर 1930 पर की जाती है, तो पीड़ित को धनराशि वापस दिलाने में मदद की जा सकती है।
महिला आयोग ने पुलिस प्रशासन को नई प्रवृत्तियों के प्रति संवेदनशील और जागरूक रहने की सलाह दी, विशेषकर उन मामलों में जहां महिलाएं अब शारीरिक से अधिक मानसिक और सामाजिक शोषण का शिकार हो रही हैं।
ये रहे मौजूद
समीक्षा बैठक में फिरोजाबाद के जिलाधिकारी रमेश रंजन, अपर आयुक्त राजेश यादव, अपर पुलिस आयुक्त रामबदन सिंह, उपायुक्त प्रोटोकॉल पूनम सिरोही, एसीपी सुकन्या शर्मा सहित मंडल स्तरीय कई अधिकारी उपस्थित रहे।
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