निरीक्षण की शुरुआत अस्पताल की बंद पड़ी लिफ्ट से हुई, जिसकी शिकायत मरीजों व तीमारदारों ने की। मरीजों को तीसरी मंजिल तक सीढ़ियों के सहारे चढ़ना पड़ता है, जिससे विशेष रूप से प्रसूताओं को भारी परेशानी होती है। निरीक्षण में मेटरनिटी विंग में गर्मी के चलते मरीज बेहाल मिले, जहां केवल दो कूलर लगे थे और उनमें से एक खराब मिला। शौचालयों के टूटे दरवाजे, आरओ वाटर की व्यवस्था में गड़बड़ी, और पेयजल की अनुपलब्धता ने व्यवस्थाओं की पोल खोल दी।
निरीक्षण के दौरान यह भी सामने आया कि महिला मरीजों से इलाज के नाम पर 200 रुपए पट्टी के, और प्रसव उपरांत "शगुन" के पैसे की मांग की जाती है। इस पर अध्यक्ष ने अस्पताल अधीक्षिका डॉ. रचना गुप्ता से स्पष्टीकरण मांगा। अधीक्षिका ने दावा किया कि ऐसी शिकायत पहले भी आई थी, जिसके बाद संबंधित स्टाफ को हटा दिया गया था।
डॉ. चौहान ने महिला शौचालय, ओपीडी, अल्ट्रासाउंड कक्ष, दवा वितरण केंद्र आदि की स्थिति का भी जायजा लिया और कड़े निर्देश दिए कि समस्त व्यवस्थाएं शीघ्र मानक के अनुरूप सुनिश्चित की जाएं।
निरीक्षण के दौरान अस्पताल अधीक्षिका डॉ. रचना गुप्ता व अन्य स्टाफ मौजूद रहा। अध्यक्ष ने चेताया कि जल्द ही पुनः निरीक्षण किया जाएगा।
#WomenCommissionUP#HospitalInspection#AgraWomensHospital#DrBabitaSinghChauhan #HealthcareNegligence#PatientRights#PublicHealthCrisis#UPHealthSystem #MaternalCareUP #WomensSafety