Agra News:Fraud of Rs 5 crore in the name of Territorial Army recruitment exposed, three arrested

टेरिटोरियल आर्मी भर्ती के नाम पर 5 करोड़ की ठगी का भंडाफोड़, तीन गिरफ्तार


टेरिटोरियल आर्मी (प्रदेशिक सेना) में भर्ती के नाम पर देशभर के युवाओं से करोड़ों की ठगी करने वाले गिरोह का एसटीएफ ने भंडाफोड़ किया है। शनिवार रात एसटीएफ ने मिलिट्री इंटेलीजेंस के इनपुट पर कार्रवाई करते हुए आइएसबीटी आगरा के पास से तीन शातिर ठगों को गिरफ्तार किया है। मौके से पंजाब और जम्मू-कश्मीर के 24 युवक भी मिले, जिनसे ठगों ने भर्ती के नाम पर लाखों रुपये ठगे थे। 


Agra News: टेरिटोरियल आर्मी (प्रदेशिक सेना) में भर्ती के नाम पर देशभर के युवाओं से करोड़ों की ठगी करने वाले गिरोह का एसटीएफ ने भंडाफोड़ किया है। शनिवार रात एसटीएफ ने मिलिट्री इंटेलीजेंस के इनपुट पर कार्रवाई करते हुए आइएसबीटी आगरा के पास से तीन शातिर ठगों को गिरफ्तार किया है। मौके से पंजाब और जम्मू-कश्मीर के 24 युवक भी मिले, जिनसे ठगों ने भर्ती के नाम पर लाखों रुपये ठगे थे। ठगी के शिकार युवकों को फर्जी कॉल लेटर, मेडिकल रिपोर्ट और गेट पास तक थमा दिए गए थे।

मिलिट्री इंटेलीजेंस से मिली थी सूचना

मिलिट्री इंटेलीजेंस से सूचना मिली थी कि कुछ लोग टेरिटोरियल आर्मी भर्ती के नाम पर भोले-भाले युवाओं को ठग रहे हैं। इसके बाद एसटीएफ ने 8 जून की रात करीब 3:20 बजे कार्रवाई करते हुए आइएसबीटी से फिरोजाबाद निवासी अजय कुमार, जम्मू के सांबा जिले के कुलवंत सिंह और सुनील कुमार को गिरफ्तार कर लिया। पूछताछ में पता चला कि आरोपी युवकों से सात-सात लाख रुपये की मांग करते थे और उन्हें भर्ती का झांसा देते थे।

सौ से अधिक युवाओं को बना चुके हैं शिकार

गिरोह का सरगना पठानकोट, पंजाब का दीपक कुमार है, जो सोशल मीडिया पर फर्जी विज्ञापन देकर युवाओं को जाल में फंसाता था। गिरोह ने अब तक 100 से अधिक युवाओं को ठग लिया है। शुरूआत में एक से तीन लाख रुपये लेकर युवकों को भरोसे में लिया जाता, फिर चरणबद्ध तरीके से शेष रकम वसूली जाती थी। एजेंटों को प्रति भर्ती पर 30 से 50 हजार रुपये कमीशन दिया जाता था। आगरा, फिरोजाबाद और आसपास के कई शहरों में इनके एजेंट सक्रिय हैं।

शिकोहाबाद में होता था फर्जी मेडिकल

गिरफ्तार अजय कुमार ने बताया कि दीपक शर्मा से उसकी पहले से जान-पहचान थी। दीपक द्वारा भेजे गए युवकों का फर्जी मेडिकल शिकोहाबाद स्थित "मानव चिकित्सालय" में कराया जाता था, जो डॉ. रंजीत यादव द्वारा संचालित होता है। युवाओं को मेडिकल सर्टिफिकेट देने के बाद फर्जी नियुक्ति पत्र भी थमा दिए जाते थे।

बरामद हुए फर्जी दस्तावेज

गिरफ्तार आरोपियों के पास से दो आधार कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस, एडीएम कार्ड, वोटर आईडी, नियुक्ति पत्र सहित गेट पास, मेडिकल रिपोर्ट, तीन मोबाइल फोन और ₹1630 नकद बरामद किए गए हैं।

केस दर्ज, अन्य की तलाश जारी

एसटीएफ निरीक्षक यतींद्र शर्मा ने आरोपियों के खिलाफ हरीपर्वत थाने में मुकदमा दर्ज कराया है। गिरोह के सरगना दीपक शर्मा सहित अन्य फरार साथियों की तलाश में पुलिस की टीमें जुट गई हैं।

सोशल मीडिया बना ठगी का माध्यम

गिरोह सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स – व्हाट्सएप, फेसबुक और एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर सेना भर्ती के नाम से फर्जी विज्ञापन डालकर युवाओं को फंसाता था। खासकर जम्मू-कश्मीर, पंजाब और उत्तर प्रदेश के युवाओं को निशाना बनाया गया।


पुलिस की अपील:
एसटीएफ और सेना इंटेलीजेंस ने आमजन से अपील की है कि किसी भी भर्ती प्रक्रिया की जानकारी केवल सेना की अधिकारिक वेबसाइट से ही लें। किसी भी निजी व्यक्ति या एजेंट के माध्यम से होने वाली भर्ती की जानकारी पर भरोसा न करें। भर्ती से जुड़े किसी भी संदेहास्पद गतिविधि की जानकारी तत्काल पुलिस को दें।


सेना में भर्ती के नाम पर ठगी का जाल: दूरदराज के युवाओं को बनाते थे निशाना, मेडिकल से पहले वसूली जाती थी आधी रकम

 टेरिटोरियल आर्मी में भर्ती के नाम पर करोड़ों रुपये की ठगी करने वाले गिरोह का भंडाफोड़ होने के बाद एसटीएफ की जांच में चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं। पूछताछ में पता चला है कि गिरोह खास रणनीति के तहत दूरदराज राज्यों के युवाओं को अपने जाल में फंसाता था ताकि विरोध की संभावना कम रहे। इन युवाओं को सोशल मीडिया पर भर्ती के फर्जी विज्ञापन दिखाकर झांसा दिया जाता था। नियुक्ति से पहले मेडिकल के नाम पर लाखों रुपये वसूले जाते थे।

टेरिटोरियल सेना भर्ती में झांसे का बड़ा नेटवर्क

एसटीएफ द्वारा गिरफ्तार किए गए आरोपितों ने पूछताछ में बताया कि वह जम्मू-कश्मीर, पंजाब, हिमाचल, बिहार और उत्तराखंड जैसे दूरदराज राज्यों के बेरोजगार युवाओं को निशाना बनाते थे। युवाओं को फेसबुक, व्हाट्सएप और एक्स (पूर्व में ट्विटर) जैसे प्लेटफॉर्म पर आकर्षक विज्ञापन दिखाए जाते थे, जिनमें भारतीय सेना की वर्दी, नियुक्ति पत्र और ट्रेनिंग की तस्वीरें होती थीं।

इंटरनेट पर विज्ञापन, हर बार नया मोबाइल नंबर

गिरोह द्वारा इस्तेमाल किए गए मोबाइल नंबर बार-बार बदले जाते थे ताकि पीड़ित किसी भी नंबर से ठगों तक दोबारा न पहुंच सकें। विज्ञापन में दिए नंबर पर संपर्क करने के बाद एजेंट युवकों से मिलते और आर्मी भर्ती बोर्ड से जुड़ा होने का दावा करते। मिलने की जगह भी बार-बार बदली जाती थी।

मेडिकल से पहले वसूली जाती थी आधी रकम

गिरफ्तार आरोपितों ने बताया कि भर्ती प्रक्रिया की शुरुआत में युवकों से 1 से 3 लाख रुपये तक की राशि एडवांस में ली जाती थी। इसके बाद शिकोहाबाद स्थित "मानव चिकित्सालय" में फर्जी मेडिकल कराया जाता था। मेडिकल के बाद नकली नियुक्ति पत्र थमाकर बाकी राशि भी वसूली जाती थी। मेडिकल रिपोर्ट तैयार करने वाले फिजियोथेरेपिस्ट डॉ. रंजीत यादव फरार है, जिसकी तलाश की जा रही है।

युवाओं को भर्ती बोर्ड का सदस्य बताकर फंसाते

गिरोह के सदस्यों के पास से सेना की वर्दी में फोटो, फर्जी आर्मी कार्ड, नियुक्ति पत्र और अन्य दस्तावेज बरामद किए गए हैं। एक फर्जी आईकार्ड जयप्रकाश नाम के व्यक्ति का है, जिसे वह खुद को भर्ती बोर्ड का सदस्य बताकर इस्तेमाल करता था। मोबाइल फोन से जारी किए गए फर्जी विज्ञापन भी मिले हैं।

ठगी का शिकार हुए युवाओं की आपबीती

जम्मू-कश्मीर के सांबा जिले के स्वनखा गांव के विनय कुमार, विशाल वर्मा, विनीत कुमार, साहिल अगुराल, पंकज वर्मा, सुनित कुमार, अश्वनी वर्मा और अजय कुमार – सभी से ₹3.60 लाख तक की ठगी की गई। इसके अलावा कई अन्य युवकों से 50 हजार से लेकर 1 लाख रुपये तक की रकम वसूली गई।

युवाओं का कहना है कि वे सेना में नौकरी का सपना लेकर आए थे, लेकिन अब उन्हें अपने साथ हुई ठगी का एहसास हुआ है। इनमें से कई युवकों को इससे पहले भी आगरा बुलाया गया था, लेकिन ठगों की चतुराई के कारण कोई विरोध नहीं कर सका।

मिलिट्री इंटेलिजेंस की पूछताछ, सुरक्षित घर भेजे गए पीड़ित

गिरफ्तार ठगों की गिरफ्तारी के बाद मिलिट्री इंटेलिजेंस ने पीड़ित युवकों से भी पूछताछ की। रात में एसटीएफ की ओर से भोजन उपलब्ध कराकर उन्हें कैंट रेलवे स्टेशन पहुंचाया गया, जहां से वे अपने-अपने घरों को रवाना हो गए।


क्या है टेरिटोरियल आर्मी?

टेरिटोरियल आर्मी भारतीय सेना की एक सहायक इकाई है, जो संकटकाल, युद्धकाल या आंतरिक सुरक्षा की स्थिति में काम आती है। यह नियमित सेना की तरह फुल टाइम नौकरी नहीं है, बल्कि इसमें दो महीने की ट्रेनिंग अनिवार्य होती है। टेरिटोरियल आर्मी उन लोगों के लिए एक अवसर है जो सेना में सेवा देना चाहते हैं, लेकिन किसी कारणवश नियमित सेवा में शामिल नहीं हो पाते। ऐसे सैनिकों को जरूरत पड़ने पर एक्टिव ड्यूटी में बुलाया जाता है और उन्हें सेवा काल के अनुसार वेतन भी दिया जाता है।


पुलिस की कार्रवाई जारी

हरीपर्वत थाने में दर्ज एफआईआर के बाद पुलिस और एसटीएफ की टीमें गिरोह के फरार सदस्यों – खासकर मास्टरमाइंड दीपक शर्मा और डॉ. रंजीत यादव – की तलाश में जुटी हैं। एजेंटों की भी पहचान की जा रही है, जो विभिन्न शहरों में गिरोह के लिए काम करते थे। 

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