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नींद ने ली जान, हाइवे बना श्मशान:
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अधिवक्ता केसी जैन |
आगरा।उत्तर प्रदेश के आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे पर सड़क हादसों का आंकड़ा साल 2024 में भयावह रूप ले चुका है। उत्तर प्रदेश एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण (यूपीडा) द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, वर्ष 2024 में इस 302 किलोमीटर लंबे एक्सप्रेसवे पर कुल 1,394 हादसे हुए, जिनमें 190 लोगों की मौत हो गई। इनमें से 811 दुर्घटनाएं केवल नींद व झपकी की वजह से हुईं, जो कुल घटनाओं का 58.18% है।
सुप्रीम कोर्ट की रोड सेफ्टी कमेटी ने जताई चिंता
इन चौंकाने वाले आंकड़ों को लेकर सुप्रीम कोर्ट की सड़क सुरक्षा समिति ने गंभीर चिंता जताई है। समिति ने युवा उद्यमी हेमंत जैन की याचिका पर सुनवाई करते हुए आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे की सुरक्षा व्यवस्था को लेकर कई कमियां उजागर कीं। वरिष्ठ अधिवक्ता केसी जैन ने याचिका की पैरवी की।उन्होंने बताया कि ज्यादातर हादसे सुबह 3 बजे से 6 बजे के बीच होते हैं, जब ड्राइवर थकावट या नींद में होते हैं। समिति ने यूपीडा को सुझाव दिया कि इस समयावधि में वाहनों की आवाजाही पर प्रतिबंध लगाने पर विचार किया जाए। साथ ही, बसों में नींद अलर्ट सिस्टम लगाए जाने और नींद से जुड़ी सावधानियों की सार्वजनिक एडवाइजरी जारी करने की सिफारिश की गई।
यह सिर्फ आंकड़े नहीं, उजड़ते परिवारों की कहानियां
याची हेमंत जैन ने कहा,“एक्सप्रेसवे पर हो रही दर्दनाक मौतें सिर्फ संख्या नहीं हैं, ये उजड़ते परिवारों की कहानियां हैं। एक्सप्रेसवे को सुरक्षित बनाने के लिए तुरंत ठोस कदम उठाने होंगे।”वरिष्ठ अधिवक्ता केसी जैन ने कहा,“सड़कें विकास का प्रतीक हैं, मौत का मार्ग नहीं। नींद में गाड़ी चलाना सिर्फ लापरवाही नहीं, बल्कि मानवीय त्रासदी है।”
आंकड़ों पर एक नजर
- 145 दुर्घटनाओं में दोपहिया वाहन शामिल थे।
- 90 हादसे टायर फटने के कारण हुए।
- 12 पैदल यात्रियों की मौत हुई, जबकि एक्सप्रेसवे पर पैदल चलना प्रतिबंधित है।
मांगे जो उठाई गईं:
- सेंट्रल रोड रिसर्च इंस्टीट्यूट द्वारा 2019 में किए गए रोड सेफ्टी ऑडिट की सिफारिशों को लागू किया जाए।
- बचे हुए 79 किमी के हिस्से में क्रैश बैरियर शीघ्र लगाए जाएं।
- नई सड़क सुरक्षा ऑडिट कराई जाए, क्योंकि पिछले 6 वर्षों में दुर्घटना के पैटर्न में बदलाव आया है।
- दुर्घटनाओं, मौतों और घायलों का डेटा यूपीडा की वेबसाइट पर सार्वजनिक किया जाए।
- स्पीड लिमिट 100 से बढ़ाकर 120 किमी प्रति घंटा किया जाना खतरनाक कदम है, इसे पुनः विचार किया जाए।
- क्रैश इंवेस्टिगेशन योजना लागू होने के बावजूद यूपीडा को एक्सप्रेसवे पर हादसों का सही डाटा नहीं है; 2023 से 2025 तक की सभी रिपोर्टें वेबसाइट पर अपलोड की जाएं।
क्या कहते हैं एक्सपर्ट
ट्रैफिक विशेषज्ञों का मानना है कि
- वाहन चालकों के लिए विश्राम केंद्र बढ़ाए जाएं।
- हाईवे पेट्रोलिंग और निगरानी बढ़ाई जाए।
- टेक्नोलॉजी आधारित समाधान जैसे ड्राइवर मॉनिटरिंग सिस्टम अपनाए जाएं।
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