ललितोत्सव’ में सजी कला, संस्कृति और सम्मान की त्रिवेणी : चित्रांजलि प्रदर्शनी और रसोत्सव कार्यक्रम में सोल ऑफ़ कलर्स डॉक्यूमेंट्री रही आकर्षण का केंद्र
इस सांस्कृतिक उत्सव की शुरुआत ‘दीप-मल्लिका’ से हुई। इसके बाद प्रो. सिंह के जीवन की रचनात्मक यात्रा को समर्पित ‘चित्रांजलि’ चित्रकला प्रदर्शनी का शुभारंभ हुआ, जिसमें उनके जीवन के अनुभवों और कल्पना लोक को दर्शाते उत्कृष्ट चित्रों ने सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया। इस प्रदर्शनी का कैटलॉग भी जारी किया गया, साथ ही एक नवीन वेबसाइट का लोकार्पण हुआ।
विशिष्टजनों का किया सम्मान
कार्यक्रम की मुख्य अतिथि विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. आशु रानी थीं। विशिष्ट अतिथियों में मेवाड़ यूनिवर्सिटी के कुलाधिपति डॉ. अशोक कुमार गदिया, निदेशक डॉ. अलका अग्रवाल, और पूर्व सांसद डॉ. महेश चंद्र शर्मा प्रमुख रहे। इस दौरान प्रो. चित्रलेखा सिंह, कुलपति प्रो. आशु रानी तथा अन्य विशिष्टजनों का सम्मान भी किया गया।
"पधारो म्हारे देश" की दी संगीतमयी प्रस्तुति
‘रसोत्सव’ सांस्कृतिक संध्या में हरिओम गंधर्व व साथियों ने "पधारो म्हारे देश" की संगीतमयी प्रस्तुति दी। कुंजलता मिश्रा के निर्देशन में राधा-कृष्ण पर केंद्रित ओडिसी नृत्य, प्रवीण परिहार द्वारा काव्य-कथक, सोनू पहाड़िया का विशेष नृत्य, देवादित्य चक्रवर्ती का सितार वादन और प्रो. राजेश सैनी का मूक अभिनय दर्शकों के लिए अविस्मरणीय बन गया। आकाशवाणी आगरा के वरिष्ठ उद्घोषक व कला भूषण सम्मानित देव प्रकाश शर्मा ने मंच संचालन कर समारोह में चार चांद लगाए। इस अवसर पर कनाडा के निर्देशक मुनीर मानी द्वारा बनाई गई प्रो. चित्रलेखा सिंह पर आधारित डॉक्यूमेंट्री फ़िल्म 'Soul of Colours' की स्क्रीनिंग हुई, जिसने दर्शकों को उनके जीवन के गहरे रंगों और प्रेरक यात्रा से परिचित कराया। ‘मेरे सहयात्री मेरे पथप्रदर्शक’ नामक पुस्तक का विमोचन तथा ‘रंगों और रेखाओं की मेघा प्रो. (डॉ.) चित्रलेखा’ अभिनंदन ग्रंथ के प्रकाशन की घोषणा की गई, जिसका संपादन डॉ. महेश धाकड़ करेंगे।
विद्यार्थियों ने देशभर में कला की पहचान को दिया नया आयाम
संस्थान के निदेशक प्रो. संजय चौधरी ने अपने वक्तव्य में कहा कि रजत जयंती वर्ष में 25 सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन होगा, जो पूरे वर्ष भर चलेंगे। वहीं भावुक स्वर में प्रो. चित्रलेखा सिंह ने अपने जीवन के 80 वर्षों को ललित कला को समर्पित बताया। उन्होंने कहा, "यह संस्थान मेरी कल्पना और रचना का साकार रूप है। यहाँ से निकले विद्यार्थियों ने देशभर में कला की पहचान को नया आयाम दिया है।"
इस गरिमामय अवसर पर उत्तर प्रदेश ललित कला अकादमी की सदस्य डॉ. आभा सिंह, डॉ. डीवी शर्मा, अशोक कुमार, प्रो. सर्वोत्तम दीक्षित, प्रो. मंजुला चतुर्वेदी, डॉ. मोनिका वार्ष्णेय, डॉ. गिरीश गुप्ता, बी.डी. अग्रवाल, डॉ. वंदिनी सकारिया, राधा दौनेरिया, चित्राक्ष शर्मा, तथा शहर और देशभर से आए अनेक कला मनीषियों, विद्यार्थियों और आम नागरिकों की भागीदारी रही।
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