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बीएड कॉलेजों पर संकट: लगातार घट रही छात्रों की संख्या, 65 कॉलेजों की 80% सीटें खाली
आगरा। डॉ. भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय से संबद्ध बीएड कॉलेजों पर अस्तित्व का संकट मंडराने लगा है। फर्जी अंकतालिका घोटाले और दो वर्षीय पाठ्यक्रम लागू होने के बाद बीएड में छात्रों की रुचि में भारी गिरावट देखी जा रही है। स्थिति यह है कि सत्र 2024-25 में 65 बीएड कॉलेजों की 80 प्रतिशत से अधिक सीटें खाली रह गईं। अब सत्र 2025-26 में भी स्थिति कुछ खास नहीं दिख रही।
13 हजार छात्र, 25 हजार सीटें
आगरा, मथुरा, फिरोजाबाद और मैनपुरी जिलों में फैले विश्वविद्यालय के 239 बीएड कॉलेजों में कुल मिलाकर 25 हजार से अधिक सीटें हैं। मगर सत्र 2025-26 की संयुक्त प्रवेश परीक्षा में मात्र 13,210 छात्र ही शामिल हुए हैं। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि अधिकांश सीटें फिर खाली ही रहने वाली हैं।
फर्जीवाड़े से बनी थी लोकप्रियता, अब बनी मुसीबत
बीएड की लोकप्रियता कभी इतनी अधिक थी कि वर्ष 2013-14 में विश्वविद्यालय में 20 हजार से अधिक छात्र इस पाठ्यक्रम में शामिल थे। लेकिन इसके बाद फर्जी अंकतालिका घोटाले ने पूरे सिस्टम को झकझोर कर रख दिया। अनेक उम्मीदवारों ने बीएड की फर्जी डिग्रियों के आधार पर विशिष्ट बीटीसी में प्रवेश लेकर शिक्षक की नौकरी ज्वाइन कर ली थी। जब यह मामला उजागर हुआ, तो बीएड कॉलेजों की छवि पर गहरा असर पड़ा।
पाठ्यक्रम में बदलाव बना परेशानी का कारण
वर्ष 2015 में जब बीएड का पाठ्यक्रम एक वर्ष से बढ़ाकर दो वर्ष कर दिया गया, तब से छात्रों की संख्या में लगातार गिरावट देखी जा रही है। लंबे समय तक पढ़ाई करने की अनिच्छा, महंगा शुल्क और रोजगार की अनिश्चितता ने छात्रों को अन्य विकल्पों की ओर मोड़ दिया।
बमुश्किल 20 छात्र, प्रयोगात्मक परीक्षाएं नोडल केंद्रों पर
सत्र 2024-25 में केवल 14,769 छात्रों ने ही बीएड में प्रवेश लिया। इनमें से 65 ऐसे कॉलेज थे, जहां 20 से भी कम छात्रों ने प्रवेश लिया। परीक्षा नियंत्रक डॉ. ओमप्रकाश के अनुसार, ऐसे कॉलेजों की प्रयोगात्मक परीक्षाएं विश्वविद्यालय द्वारा नामित नोडल केंद्रों पर कराई गई हैं।
70 कॉलेजों की मान्यता रद्द, 8500 सीटें कम
नेशनल काउंसिल फॉर टीचर एजुकेशन (NCTE) ने बीएड, एमएड और बीपीएड पाठ्यक्रम संचालित करने वाले 70 कॉलेजों की मान्यता रद्द कर दी है। इन कॉलेजों को सत्र 2025-26 की काउंसिलिंग से बाहर कर दिया गया है, जिससे लगभग 8,500 सीटें कम हो जाएंगी। विश्वविद्यालय प्रशासन का कहना है कि इससे प्रवेश प्रक्रिया पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा, क्योंकि अब भी सीटें छात्रों से कहीं अधिक हैं।
पिछले तीन वर्षों के आंकड़े
सत्र
प्रवेश लेने वाले छात्र
2023-24
10,074 छात्र
2024-25
14,769 छात्र
2025-26
13,210 छात्र (परीक्षा में सम्मिलित)
शिक्षा के क्षेत्र में बदलाव की जरूरत
बीएड कॉलेजों की घटती लोकप्रियता यह संकेत देती है कि शिक्षक प्रशिक्षण के क्षेत्र में नीतिगत सुधारों की आवश्यकता है। छात्रों के लिए कोर्स की उपयोगिता, फीस ढांचा, प्लेसमेंट और प्रशिक्षण की गुणवत्ता पर पुनर्विचार करना अब समय की मांग है। नहीं तो आने वाले वर्षों में और कॉलेजों के बंद होने की नौबत आ सकती है।
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