आगरा। लखनऊ ।हिन्दी न्यूज ।टूडे न्यूजट्रैक। उत्तर प्रदेश।
अवैध मतांतरण रैकेट का पर्दाफाश ब्रेनवाश, फंडिंग
और निकाह तक की थी पूरी साजिश
आगरा से नेटवर्क का खुलासा, छह राज्यों में फैला था जाल 10
गिरफ्तार, विदेशी फंडिंग और ब्रेनवाश की थी सुनियोजित योजना
आगरा/लखनऊ।उत्तर प्रदेश के आगरा जिले में अवैध मतांतरण (धर्म परिवर्तन) रैकेट का बड़ा भंडाफोड़ हुआ है। गिरोह न सिर्फ देश के छह राज्यों में फैला था, बल्कि इसका संचालन विदेशी फंडिंग से किया जा रहा था। पुलिस द्वारा गिरफ्तार 10 आरोपियों में पति-पत्नी, सोशल मीडिया विशेषज्ञ, ब्रेनवाशर और कानूनी सलाहकार तक शामिल हैं। यह गैंग हिंदू युवक-युवतियों को बहला-फुसलाकर, ब्रेनवॉश कर मतांतरण कराता और फिर उनका आपस में निकाह कराकर गैंग में शामिल कर लेता था।
ब्रेनवाश से लेकर बैंक खाते तक थी प्लानिंग
जांच में सामने आया है कि गैंग के भीतर हर सदस्य को अलग-अलग भूमिका दी गई थी। कोई ब्रेनवॉश करता, कोई विदेश से आने वाली फंडिंग का प्रबंधन करता, कोई कानूनी सहायता देता और कोई पीड़ितों को रहने और खाने का इंतजाम करता। सोशल मीडिया के माध्यम से युवतियों को निशाना बनाया जाता था और धीरे-धीरे उन्हें जाल में फंसाकर धर्म परिवर्तन के लिए मजबूर किया जाता था।
गिरफ्तार आरोपियों की भूमिका
आयशा उर्फ एसबी कृष्णा (ओडिशा): सेना के रिटायर्ड सूबेदार की बेटी। फंडिंग मैनेजर। विदेशी धनराशि को सदस्यों के खातों में ट्रांसफर करती थी।
अली हसन उर्फ शेखर राय (कोलकाता): आयशा का पति, न्यायालय में कार्यरत। कानूनी अड़चनों को दूर करता और फंडिंग में सहयोग करता।
रीत बनिक उर्फ इब्राहिम (कोलकाता): मुख्य ब्रेनवॉशर, इंस्टाग्राम पर "Connecting Revert" नाम से युवाओं को बरगलाता था।
ओसामा (कोलकाता): लॉजिस्टिक्स प्रभारी। युवाओं के रहने, खाने और सिम कार्ड जैसे संसाधनों की व्यवस्था करता था।
मुस्तफा उर्फ मनोज कन्नौजिया (दिल्ली): युवतियों को होटल में रुकवाकर कोलकाता भेजने का काम करता था।
रहमान कुरैशी (आगरा): यूट्यूब चैनल “सुन्ना” चलाकर ब्रेनवाश करता था। वीडियो में मतांतरण करने वाली युवतियों की खुशी दर्शाता था।
अबू तालिब (मुजफ्फरनगर): फर्जी दस्तावेज बनाने में माहिर। राज्य स्तर पर नेटवर्क संचालित करता था।
अबुर रहमान (देहरादून): उत्तराखंड में सक्रिय। युवतियों के मतांतरण के लिए अबू तालिब से समन्वय करता था।
मोहम्मद अली (जयपुर): पूर्व में कलीम सिद्दीकी के लिए कार्य कर चुका है। राजस्थान में गैंग का संचालन करता था।
जुनैद कुरैशी (जयपुर): मोहम्मद अली का सहायक। लड़कियों को तलाश कर ब्रेनवॉश के बाद मतांतरण की ओर धकेलता था।
सोशल मीडिया बना ब्रेनवाशिंग का मुख्य हथियार
गैंग इंस्टाग्राम, फेसबुक और टिंडर जैसे प्लेटफार्मों पर एक्टिव था।
AI तकनीक और फोटो फिल्टर से प्रोफाइल को आकर्षक बनाया जाता था।
चैटजीपीटी जैसे टूल्स की मदद से लड़कियों की पोस्ट पर मनभावन कमेंट किए जाते।
मुस्लिम स्कॉलर्स के वीडियो, धर्मांतरण के बाद की "खुशहाल ज़िंदगी" और मुस्लिम अभिनेताओं की रील्स भेजकर मानसिक जाल बुनते।
लड़कियों को पहले "ऑनलाइन दोस्त" और फिर "मुस्लिम महिलाओं" से मिलवाया जाता था जो धर्मांतरण को उचित ठहराती थीं।
निकाह, शोषण और जिंदगी दोजख
धर्म बदलने वाले युवक-युवतियों का आपस में ही निकाह कराया जाता था।
कई युवाओं के तीन-तीन बार निकाह कराए गए।कुछ लड़कियों की जिंदगी दोजख बन गई परिजनों से संबंध टूट गए, शिक्षा और करियर छूट गए।
शुरुआती प्यार और आकर्षण के जाल में फंसी युवतियां बाद में गैंग के लिए मोहरा बन जाती थीं।
पूर्व नेटवर्क: उमर गौतम और कलीम सिद्दीकी से जुड़ाव
गिरफ्तार लोगों की पूछताछ में पता चला है कि रैकेट के तार पहले पकड़े गए उमर गौतम और मौलाना कलीम सिद्दीकी के नेटवर्क से जुड़े हैं।उमर गौतम के "इस्लामिक दावा सेंटर" से धर्मांतरण का जाल फैला था।इसके जरिए मूकबधिर बच्चों, कमजोर वर्ग की महिलाओं और युवाओं को निशाना बनाया गया।
ATS जांच में सामने आया कि इस नेटवर्क को 20 करोड़ रुपये की विदेशी फंडिंग मिली थी।कोर्ट ने उमर गौतम समेत 12 आरोपितों को आजीवन कारावास और 4 को 10 साल की सजा सुनाई थी।
आगे की कार्रवाई
पुलिस अब इंस्टाग्राम और फेसबुक खातों की साइबर फॉरेंसिक जांच कर रही है।अन्य राज्यों की पुलिस भी अलर्ट पर है।आगरा पुलिस ने दो सगी बहनों को बचाया है जिन्हें कोलकाता भेजा जा रहा था।
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बड़ा खुलासा: आगरा से कोलकाता तक फैला
'मतांतरण रैकेट', यूट्यूबर रहमान से खुला नेटवर्क
स्टॉकहोम सिंड्रोम से फंसीं कारोबारी की बेटियां
संकरी गली से साजिश का जाल रहमान कुरैशी की गिरफ्तारी ने खोले कई राज
आगरा। शाहगंज: सराय ख्वाजा की संकरी गली में 17 गज के मकान में रहने वाला 12वीं फेल युवक रहमान कुरैशी, इंटरनेट की दुनिया में ‘द सुन्ना चैनल’ नाम से मशहूर यूट्यूबर निकला। 1.69 लाख फॉलोअर्स, 1500 से अधिक वीडियो, अंग्रेज़ी में पोडकास्ट, और अब अवैध मतांतरण गिरोह का सदस्य।
रहमान के पास से लैपटॉप, मोबाइल, हार्ड डिस्क में मिले वीडियो चौंकाने वाले हैं। उसके वीडियो देखकर देश के अलग-अलग हिस्सों से युवतियां उसके संपर्क में आईं, खासकर जूता कारोबारियों की बेटियां, जिनके दिमाग में धीरे-धीरे 'ब्रेनवॉशिंग' का बीज बोया गया।
यूट्यूब चैनल के जरिए चला रहा था ब्रेनवॉश अभियान
रहमान अपने चैनल पर ऐसे वीडियो अपलोड करता था जिसमें इस्लाम कबूल कर चुकी युवतियों के इंटरव्यू, सनातन धर्म के विरुद्ध टिप्पणियां, और धार्मिक बहसें होती थीं। वह वीडियो में संवेदनशील भाषा, भावनात्मक अपील और मनोवैज्ञानिक चालों का इस्तेमाल करता था।
पुलिस के अनुसार, रहमान स्वयं कोई प्रशिक्षित विचारक नहीं था, लेकिन किसी के प्रशिक्षण के बाद वह यह कार्य कर रहा था। यह भी आशंका है कि चैनल पर चल रहे कंटेंट की स्क्रिप्टिंग और निर्देशन कहीं और से होता था।
स्टॉकहोम सिंड्रोम से बदला जीवन कारोबारी की बेटी का केस
एक जूता कारोबारी की एमफिल कर चुकी बेटी, जो पहले पूजा-पाठ करती थी, वह कट्टरपंथी विचारधारा की अनुयायी बन गई। 2021 में जम्मू में भूस्खलन के दौरान वह कश्मीरी युवती साइमा के संपर्क में आई। साइमा ने उसे बचाया, वहीं से भावनात्मक लगाव शुरू हुआ।
मनोचिकित्सकों के अनुसार, यह मामला स्पष्ट रूप से स्टॉकहोम सिंड्रोम का है – जहां जो व्यक्ति संकट में मदद करता है, पीड़ित उसके प्रति सहानुभूति और विश्वास विकसित कर लेता है। लड़की लौटकर आगरा आई तो उसने नमाज़ पढ़नी शुरू की, इस्लामिक किताबें पढ़ने लगी, बहन को प्रेरित किया और माता-पिता से भी धर्म परिवर्तन करने को कहा।
कश्मीर से कोलकाता दो बहनों की तलाश में चला हाई-टेक ऑपरेशन
जब यह मामला आगरा पुलिस तक पहुंचा, तो दोनों बहनों की लोकेशन कोलकाता की तपसिया बस्ती में मिली। यह बस्ती मुस्लिम बहुल क्षेत्र है और वहां उत्तर प्रदेश जैसा धर्म परिवर्तन निषेध कानून लागू नहीं है, जिससे पुलिस के सामने कई चुनौतियां थीं।
स्पेशल ट्रेनिंग, बॉडी वॉर्न कैमरे, खुफिया कैमरों से लाइव फीड, और पांच दिन की बस्ती में रेकी के बाद पुलिस ने बड़ी सफलता पाई। एसीपी अरीब अहमद, इंस्पेक्टर राजीव त्यागी (पूर्व ATS), एसआई अंकुर मलिक जैसे प्रशिक्षित अफसरों की टीम ने कोर्ट से ट्रांजिट रिमांड लेकर लड़कियों और मुख्य आरोपियों को वापस लाया।
डिजिटल रडार पर रहमान क्या अकेला था वह?
रहमान की गिरफ्तारी के बाद पुलिस इस बात की गहराई से जांच कर रही है कि:
'The Sunna' चैनल को आर्थिक मदद कौन देता था?
क्या कंटेंट भारत में बन रहा था या विदेश से आता था?
क्या साइमा सिर्फ फ्रंटलाइन चेहरे में से एक थी?
क्या यूट्यूब पर किसी संगठन की रणनीतिक भूमिका है?
यूट्यूब से अब इस चैनल का डेटा मांगा गया है, साथ ही कई वीडियो हटाए गए हैं।
रहमान का पारिवारिक जीवन साजिश या सादगी का पर्दा?
रहमान के पिता इलियास और मां शबीना का दावा है कि वह "किसी साजिश का शिकार" हुआ है। रहमान के चार भाई हैं जो कपड़े का काम करते हैं और रहमान पहले कॉल सेंटर व ऐप रेटिंग कंपनी में काम कर चुका है।
पड़ोसी भी उसकी गिरफ्तारी से हैरान हैं। किसी को अंदाज़ा नहीं था कि दो कमरों का मकान, सात लोगों का परिवार, और एक सामान्य युवक देशभर में धार्मिक अस्थिरता का जड़ बन सकता है।
कानूनी और सामाजिक सवाल
- क्या धार्मिक प्रचार की आड़ में डिजिटल माध्यम से चल रहा है कट्टरपंथी ब्रेनवॉश?
- क्या युवाओं को अवसाद, अकेलेपन, या सहानुभूति के माध्यम से फंसाया जा रहा है?
- भारत में क्या स्टॉकहोम सिंड्रोम जैसी मानसिक दशाओं पर जनजागरूकता की जरूरत है?
- YouTube, Instagram, Telegram जैसे प्लेटफॉर्म्स की भूमिका और निगरानी कैसे होगी?
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