mathura/vrandavan news:Kanha will be seated in the clouds, Yugal Sarkar will be in the swing

 मथुरा/ वृंदावन न्यूज। टूडे न्यूजट्रैक। हिन्दी समाचार। उत्तर प्रदेश।

घटाओं में विराजेंगे कान्हा, हिंडोले में युगल सरकार

ब्रज में निराला है सावन का महीना  मंदिरों में सजती हैं घटाएं, आराध्य देते हैं झूले पर दर्शन

मथुरा/वृंदावन:सावन आते ही ब्रज भूमि राधा-कृष्ण की भक्ति में रंग जाती है। प्रकृति जब हरियाली की चादर ओढ़ती है, तो ब्रजमंडल का कण-कण भगवान श्रीकृष्ण की लीलाओं से सजीव हो उठता है। सावन में जहां एक ओर बाहर घटाएं छा जाती हैं, वहीं मंदिरों के भीतर भी विशेष रूप से घटाएं और झूले (हिंडोले) सजाए जाते हैं। आराध्य स्वयं झूले में विराजमान होकर भक्तों को दर्शन देते हैं। यह दृश्य न केवल श्रद्धा से परिपूर्ण होता है, बल्कि भक्तों के हृदय को अध्यात्मिक आनंद से भर देता है।


ब्रज में झूले नहीं, भावना झूलती है

ब्रज का सावन संपूर्ण भारत से निराला है। यहां केवल वर्षा ऋतु का स्वागत नहीं होता, बल्कि यह महीना राधा-कृष्ण की लीलाओं और भक्ति भाव के विशेष आयोजन का प्रतीक बन जाता है। इस दौरान हर मंदिर में हिंडोले सजाए जाते हैं। भगवान को फूलों, पत्तियों, वस्त्रों और रंग-बिरंगी सजावट से सजे झूलों में विराजमान कर झुलाया जाता है। इस परंपरा की जड़ें प्राचीन ब्रज साहित्य और लोक परंपरा में मिलती हैं।

ब्रज संस्कृति शोध संस्थान के सचिव लक्ष्मीनारायण तिवारी बताते हैं, “ब्रज में राधा-कृष्ण की सेवा युगल रूप में होती है, इसलिए सावन में दोनों को झूले में विराजमान कर झुलाने की परंपरा है। यह परंपरा सदियों से निरंतर चल रही है। पहले लता-पत्तियों के झूले बनते थे, फिर 16वीं सदी में मंदिरों में भव्य झूलन उत्सव प्रारंभ हुआ।”


घटाएं सजती हैं मंदिरों के भीतर मौसम का अनुभव कराते हैं भाव

ब्रज में केवल झूले ही नहीं, बल्कि 'घटाएं' भी सजाई जाती हैं। ये घटाएं दरअसल मंदिरों में लगाए जाने वाले विभिन्न रंगों के वस्त्र, पर्दे और सजावट होती हैं जो मौसम का आभास कराती हैं। वृंदावन शोध संस्थान के अध्येता राजेश शर्मा बताते हैं, “कन्हैया की सेवा बालक के रूप में होती है, इसलिए उन्हें यह अहसास कराने के लिए मंदिर के भीतर वही वातावरण रचाया जाता है जो बाहर होता है। जैसे बाहर काली घटाएं हैं तो मंदिर के अंदर भी काले पर्दों और सजावट से वैसा ही दृश्य बनाया जाता है।”ब्रज में काली, लाल, गुलाबी, बैंगनी, हरी और सफेद घटाएं सावन के दिनों में अलग-अलग तिथियों पर सजाई जाती हैं। इससे भक्तों को न केवल आध्यात्मिक रस मिलता है, बल्कि उन्हें वातावरण में ऋतु परिवर्तन का भी अनुभव होता है।


ब्रज पै स्याम घटा जुरि आई

ब्रज के संतों और कवियों ने भी अपने साहित्य में झूलन और घटाओं को खूब वर्णित किया है।
स्वामी कृष्णदास लिखते हैं:
"ब्रज पै स्याम घटा जुरि आई, तैसिय दामिनि चहुं दिसि कोंधत, लेत तरंग सुहाई।"

राग मल्हार में एक पद आता है:
"झूलत स्याम-स्यामा संग। निरखि दंपति अंग सोभा, लजत कोटि अनंग।"

ये पंक्तियाँ न केवल साहित्यिक सौंदर्य को दर्शाती हैं, बल्कि ब्रज में सावन के अध्यात्मिक और सांस्कृतिक महत्व को भी उजागर करती हैं।


दर्पण के झूले में झूलते हैं गिरिराज जी

ब्रज में सात कोस में विराजमान गिरिराज महाराज को सावन में झूला नहीं झुलाया जाता क्योंकि वे अविचल (स्थिर) हैं। लेकिन उन्हें 'भाव के झोटे' दिए जाते हैं। उनके सामने एक दर्पण रखा जाता है, जिसमें उनकी प्रतिमा का प्रतिबिंब झूलता है। इस प्रक्रिया को ‘दर्पण झूला’ कहते हैं और यही भाव का झूला गिरिराज जी के प्रति श्रद्धा को प्रकट करता है।


कब और कहां सज रही हैं घटाएं और झूले?

  • 11 जुलाई से ब्रज के अधिकतर मंदिरों में सावन के झूले सजने लगे हैं।
  • 12 जुलाई से श्री द्वारकाधीश मंदिर में हिंडोले की श्रृंखला प्रारंभ हुई।
  • 22 जुलाई से श्रीकृष्ण जन्मस्थान पर घटाएं सजाई जाएंगी।
  • 22 जुलाई: केसरी घटा
  • 24-27 जुलाई: हरी घटा
  • 29 जुलाई: बैंगनी घटा
  • 1 अगस्त: लाल घटा
  • 4 अगस्त: काली घटा
  • 6 अगस्त: गुलाबी घटा
  • 9 अगस्त: सफेद घटा

ठाकुर बांकेबिहारी मंदिर में वर्ष में केवल एक बार, हरियाली तीज के दिन, चांदी के झूले में भगवान दर्शन देते हैं। वहीं बरसाना के राधारानी मंदिर में हरियाली तीज से रक्षाबंधन तक झूलन महोत्सव चलता है।


सावन का ब्रज प्रकृति, परंपरा और प्रभु-प्रेम का संगम

ब्रज का सावन केवल भक्ति का पर्व नहीं, यह एक जीवंत संस्कृति का उत्सव है। यहां हर झूला, हर घटा, हर भजन और हर आरती राधा-कृष्ण की उपस्थिति का आभास कराते हैं। श्रद्धालु न केवल उन्हें देखते हैं, बल्कि स्वयं को भी उन्हीं लीलाओं का पात्र अनुभव करते हैं। यह महीना भक्त और भगवान के बीच भावनाओं का झूला है, जो आत्मा को अध्यात्म में झुला देता है।

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मथुरा।जिले में प्रशासनिक स्तर पर बड़ा फेरबदल करते हुए जिलाधिकारी सीपी सिंह ने सात डिप्टी कलक्टरों के कार्यक्षेत्रों में बदलाव किया है। स्थानांतरण प्रक्रिया में छाता और गोवर्धन तहसील के एसडीएम भी बदले गए हैं। प्रजाक्ता त्रिपाठी को गोवर्धन की नई एसडीएम बनाया गया है, वहीं वैभव गुप्ता को छाता तहसील का दायित्व सौंपा गया है।

इस फेरबदल में पूर्व एसडीएम छाता श्वेता और एसडीएम गोवर्धन नीलम श्रीवास्तव सहित अन्य पांच डिप्टी कलक्टरों के स्थानांतरण शासन द्वारा पहले ही कर दिए गए थे। लेकिन मुड़िया पूर्णिमा मेले की व्यस्तता के कारण पुराने अधिकारियों को रिलीव नहीं किया जा सका था और नए अधिकारियों को कार्यभार ग्रहण नहीं कराया गया था। मेला समाप्त होते ही शनिवार को जिलाधिकारी ने त्वरित कार्रवाई करते हुए सभी अधिकारियों को उनके नए कार्यक्षेत्रों में कार्यभार ग्रहण करने के निर्देश जारी कर दिए।


जिन अधिकारियों को मिला नया प्रभार


नाम

नया दायित्व

प्रजाक्ता त्रिपाठी

एसडीएम, गोवर्धन

वैभव गुप्ता

एसडीएम, छाता

सुशील कुमार सिंह

एसडीएम (न्यायिक), सदर

चंद्रभूषण प्रताप

एसडीएम (न्यायिक), महावन

राजकुमार चौधरी

एसडीएम (न्यायिक), गोवर्धन

राघवेंद्र शर्मा

एसडीएम (न्यायिक), मांट

संजय सिंह

अपर उप जिलाधिकारी द्वितीय



तीन वर्षों से अधिक समय से तैनात अधिकारियों का हुआ स्थानांतरण

जिले में तीन साल से अधिक समय से तैनात पांच डिप्टी कलक्टरों के स्थानांतरण शासन द्वारा हाल ही में किए गए थे। उनके स्थान पर नए अधिकारियों की नियुक्ति की गई थी, लेकिन मेला व्यवस्था को प्रभावित न होने देने की दृष्टि से तत्काल कार्यभार परिवर्तन नहीं किया गया। अब जबकि मुड़िया पूर्णिमा मेला संपन्न हो चुका है, जिलाधिकारी ने सभी नए अधिकारियों को कार्यभार सौंपकर प्रशासनिक जिम्मेदारियों को पुनः व्यवस्थित कर दिया है।


नई नियुक्तियों से प्रशासनिक कार्यों में आएगी गति

प्रशासन का मानना है कि नए अधिकारियों की नियुक्ति से विभिन्न तहसीलों में न्यायिक और राजस्व कार्यों की गति बढ़ेगी और आमजन को समय पर सेवाएं मिलेंगी। जिलाधिकारी ने सभी अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि वे तत्काल अपने-अपने कार्यक्षेत्र में योगदान करें और जनसमस्याओं के त्वरित समाधान को प्राथमिकता दें।


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