New delhi News:The dilemma of 'non-veg milk' stuck in India-US trade deal

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भारत-अमेरिका व्यापार सौदे में फंसी ‘नॉन-वेज दूध’ की दुविधा

नई दिल्ली। भारत और अमेरिका के बीच एक व्यापक व्यापार समझौता (बिलियन-डॉलर डील) प्रस्तावित है, लेकिन इसमें एक सांस्कृतिक और आर्थिक रूप से संवेदनशील मुद्दा ठोकर खा रहा है: अमेरिका द्वारा डेयरी उत्पादों में शामिल किया जाने वाला 'नॉन-वेज दूध'।


नॉन-वेज दूध क्या है?

‘नॉन-वेज दूध’ (Non‑Veg Milk) से आशय उस दूध से है जो उन गायों और मवेशियों से प्राप्त होता है जिन्हें जानवरों के चारे, जैसे मांस, हड्डियों का चूरा (meat meal), ब्लड मील (blood meal), और अन्य पशु‑उत्पाद खिलाया गया हो। अमेरिका एवं कुछ पश्चिमी देशों जैसे यूरोप, ब्राज़ील, रूस में पशुओं को ये चारे दिए जाते हैं ताकि उनकी दूध उत्पादन क्षमता बढ़े

भारत की चिंता: संस्कृति और अर्थव्यवस्था

भारत में अधिकांश लोग शाकाहारी हैं, और गाय-दूध का धार्मिक महत्त्व है। मान्यता है कि गायों को केवल शाकाहारी चारा (भूसा, चोकर, मक्का) दिया जाता है।नॉन-वेज दूध’ को रीतियाँ और धार्मिक अनुष्ठानों में अपवित्र माना जाएगा।

आर्थिक सुरक्षा

भारत के 80 मिलियन से ज्यादा लोग डेयरी क्षेत्र में कार्यरत हैं। State Bank of India की रिपोर्ट के अनुसार, यदि अमेरिकी डेयरी आयात खुला, तो भारत में दूध की कीमतों में कम से कम 15% की गिरावट आ सकती है, जिससे ₹1.03 लाख करोड़ का वार्षिक नुकसान हो सकता है

व्यापार वार्ता में स्थिति

भारत ने ग्रे पास्ड एक ‘नो-गेड बैरियर’ के रूप में इस मुद्दे को उठाया है।

अमेरिका इसे एक अनावश्यक व्यापार अवरोध मानता है और WTO तक इस मुद्दे को उठा चुका है

भारत ने स्पष्ट कर दिया है।दूध पर समझौता असंभव है।यह एक गैर-निवर्तनीय सीमा (non-negotiable red line) है।


मांग: सख्त प्रमाणपत्र

भारत ने मांग रखी है कि किसी भी अमेरिकी डेयरी आयात को ऐसे गायों से संबंधीत प्रमाण-पत्र के साथ लाया जाए, जिन्हें कभी भी जानवर-आधारित चारा नहीं दिया गया हो।



एक नजर


प्रमुख बिंदु

विवरण

सांस्कृतिक महत्व

गायों को शाकाहारी चारा दिया जाना चाहिए—धार्मिक व सांस्कृतिक रूप से आवश्यक

मांग

आयातित दूध के लिए प्रमाणपत्र कि गायों को कभी जानवर-आधारित चारा नहीं खिलाया गया

आर्थिक जोखिम

15% तक दूध की कीमत में गिरावट, ₹1.03 लाख करोड़ का नुकसान

अमेरिकी विरोध

इसे व्यापार बाधा बताया गया; WTO शिकायत की तैयारी

लोन की दिक्कत

कृषि विशेषज्ञों व किसान संगठनों की तरफ से व्यापक विरोध



निकट भविष्य में क्या उम्मीद?

अमेरिका ने डेडलाइन बढ़ाई (अगस्त‑1, 2025 तक), लेकिन यह मुद्दा बनी हुई है।

भारत ने साफ़ कर दिया है कि डेयरी मुद्दे पर कोई समझौता नहीं होगा।

कृषि व डेयरी के अलावा अन्य वस्तुओं जैसे ड्राई फ्रूट, गैस, आदि पर विशेष समझौते की संभावना बनी हुई है| 

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Avdhesh Bhardwaj, Senior Journalist with 22+ years of experience, has worked with Dainik Jagran, iNext, The Sea Express and other reputed media houses. He has reported on politics, administration, crime , defense, civic issues, and development projects. Known for his investigative journalism and sting operations, he is now contributing to Today NewsTrack as a leading voice in digital media.”

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