Agra News:गंगा की गोद में मिलेगा ठौर, 2526 आत्माओं का संताप होगा दूर, 28 वर्षो से मानव सेवा की मिसाल बनीं क्षेत्र बजाजा कमेटी

आगरा। हिन्दी। न्यूज। टूडे।न्यूजट्रैक। उत्तर प्रदेश।

आगरा। क्षेत्र बजाजा कमेटी द्वारा अज्ञात व असहाय मृतकों का दाह संस्कार करके उनकी अस्थियों को सुरक्षित व व्यवस्थित रखते हुए आत्म-शांति हेतु पवित्र गंगा नदी में विसर्जन करने का अनूठा सेवा प्रकल्प विगत 28 वर्षों से निरंतर जारी है।इस बार 25 अगस्त को नवम अस्थि विसर्जन यात्रा निकलेगी। इसमें 2526 मृतकों के अस्थि-फूलों को विधिविधान से हरिद्वार गंगा में प्रवाहित किया जाएगा।एक रेल दुर्घटना ने दिया अज्ञात-असहाय मृतकों के अस्थि-संरक्षण का विचार

विचार को कैसे मिला जन्म?

इस सेवा प्रकल्प के प्रेरणास्रोत क्षेत्र बजाजा कमेटी के संरक्षक और आगरा व सूरत के प्रमुख समाजसेवी अशोक गोयल बताते हैं कि वर्ष 1997 में छत्तीसगढ़ रेल दुर्घटना राजा की मंडी, आगरा में हुई थी।

उस समय समिति ने मृतकों की सेवा पोस्टमार्टम गृह पर की और श्मशान घाट पर अलग-अलग फोटो लेकर दाह संस्कार का कार्य भी किया।

जब मृतकों के परिवारीजन थाने और श्मशान पर पहुँचे तो समिति ने उन्हें मृतक की फोटो और वस्त्र (थाने के माध्यम से) के साथ अस्थि फूल भी सौंपे। उस पल उनके चेहरे पर जो सुकून और संतोष दिखाई दिया, वह अत्यंत हृदयस्पर्शी था।

अशोक गोयल कहते हैं “उन अश्रुपूरित क्षणों में यह अनुभव हुआ कि परिजनों को अस्थि फूल मिलने से ऐसा लगा मानो उन्हें उनका खोया परिवारीजन ही मिल गया हो। वही भावुक अनुभव मन-आत्मा को गहराई से छू गया।”

मृतकों के प्रति 
होगी सच्ची श्रद्धांजलि 

उस समय हृदय में यह विचार बार-बार उठने लगा कि जिन अज्ञात मृतकों का दाह संस्कार किया जाता है, उनकी अस्थियों को सुरक्षित क्यों न रखा जाए? ताकि यदि बाद में पुलिस मृतक की पहचान कर सके तो परिजनों को केवल फोटो या वस्त्र ही नहीं, बल्कि अस्थि फूल भी सौंपे जा सकें।यह मृतक के प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी और परिवार के लिए असीम सुकून का कारण बनेगी।

साथी पदाधिकारियों का सहयोग और हौसला

अशोक गोयल बताते हैं  मन में उपजे इस विचार को अमली जामा पहनाने में समिति के सभी पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं ने भरपूर सहयोग दिया। उन्होंने न केवल सुना बल्कि उसे कार्यान्वित करने में तत्पर भी रहे। मुझे गर्व है कि मेरे हर नए विचार को संस्था ने सामूहिक शक्ति और प्रभु कृपा से साकार बनाया।

28 वर्षों बाद भी पीछे मुड़कर देखने पर लगता है कि सेवा की राह में केवल विचार महत्त्वपूर्ण नहीं होते, बल्कि उन्हें सुनने वाले सहृदय साथी और सामूहिक समर्पण ही उसे साकार बनाते हैं।

इस तरह हुई व्यवस्था की शुरुआत

इसके बाद श्मशान स्थल पर व्यवस्थित पद्धति शुरू की गई। हर अज्ञात मृतक के अस्थि फूलों को सुरक्षित रखने की व्यवस्था की गई।
उन पर संबंधित कांस्टेबल का नाम और नंबर, पुलिस थाने का नाम और दिनांक दर्ज किया जाने लगा ताकि भविष्य में मृतक की पहचान होने पर परिजनों को अस्थि फूल सौंपकर संतोष का अवसर दिया जा सके।

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Avdhesh Bhardwaj, Senior Journalist with 22+ years of experience, has worked with Dainik Jagran, iNext, The Sea Express and other reputed media houses. He has reported on politics, administration, crime , defense, civic issues, and development projects. Known for his investigative journalism and sting operations, he is now contributing to Today NewsTrack as a leading voice in digital media.”

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