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वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में राज्य स्तर के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ मीटिंग करती महिला कल्याण एवं बाल विकास पुष्टाहार मंत्री बेबीरानी मौर्य |
लखनऊ। उत्तर प्रदेश सरकार ने शिशु स्वास्थ्य एवं पोषण सुधार की दिशा में बड़ा कदम उठाते हुए 7 अगस्त 2025 को “पोषण पाठशाला” का आयोजन किया। यह कार्यक्रम ‘स्टंटिंग की समझ और समाधान जन्म के पहले 6 माह पर विशेष ध्यान’ विषय पर केंद्रित था। महिला कल्याण एवं बाल विकास पुष्टाहार विभाग की ओर से यह आयोजन वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग और वेबकास्ट के माध्यम से किया गया, जिसमें राज्य स्तर के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ-साथ ज़मीनी स्तर से जुड़े कर्मियों की भी सहभागिता रही।
विश्व स्तनपान सप्ताह के तहत आयोजित हुआ विशेष कार्यक्रम
पोषण पाठशाला का आयोजन ऐसे समय हुआ जब विश्व भर में 1 से 7 अगस्त के मध्य विश्व स्तनपान सप्ताह मनाया जा रहा है। इस वर्ष की थीम थी – ‘स्तनपान में निवेश, भविष्य में निवेश’, जो इस बात पर बल देती है कि जन्म के पहले छह माह तक केवल स्तनपान और जीवन के पहले 1000 दिन बच्चों के सम्पूर्ण विकास की नींव होते हैं। राज्य सरकार ने इस अवसर का उपयोग जागरूकता बढ़ाने और पोषण सुधार पर फोकस करने के लिए किया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता मंत्री बेबी रानी मौर्य ने की, जबकि राज्य मंत्री प्रतिभा शुक्ला भी मंच पर मौजूद रहीं। प्रमुख सचिव लीना जौहरी ने संचालन किया। सचिव बी. चंद्रकला, निदेशक संदीप कौर, राज्य नोडल अधिकारी सेराज अहमद और अनुपमा शांडिल्य सहित बाल विकास पुष्टाहार विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों ने कार्यक्रम को सफल बनाने में मुख्य भूमिका निभाई।
छह माह, सात बार उत्तर प्रदेश की नवाचारी रणनीति
राज्य सरकार की “छह माह, सात बार” रणनीति इस विचार पर आधारित है कि शिशु के पहले छह महीनों में सात बार उसका पोषण और स्वास्थ्य मूल्यांकन किया जाए। इसके अंतर्गत शिशुओं की निगरानी, बीमारी प्रबंधन और स्तनपान में माताओं को सहायता देने जैसे उपायों पर बल दिया जा रहा है। यह रणनीति नीति से लेकर ज़मीनी क्रियान्वयन तक की कड़ी को मजबूत करती है।
स्टंटिंग पर केंद्रित ‘संभव अभियान’
इस वर्ष राज्य सरकार के संभव अभियान में स्टंटिंग को केंद्रीय विषय बनाया गया है। इसका उद्देश्य है बच्चों के शारीरिक और मानसिक विकास में रुकावट पैदा करने वाले कारणों की पहचान कर समय रहते हस्तक्षेप करना। बीते वर्षों में राज्य में स्टंटिंग की दर में कमी आई है, जो विभागीय समन्वय, साझेदार संस्थाओं और जनभागीदारी का परिणाम है। अब सरकार का लक्ष्य है कि वर्ष 2030 तक स्टंटिंग को सतत विकास लक्ष्य (SDG) के अनुरूप न्यूनतम स्तर तक लाया जाए।
राज्यव्यापी स्टंटिंग वैलिडेशन अभियान की शुरुआत
स्टंटिंग की वास्तविक स्थिति को समझने और सटीक आंकड़ों के संग्रह के लिए राज्य में स्टंटिंग वैलिडेशन अभियान चलाया गया। इसमें चयनित गाँवों में बच्चों की लंबाई, वजन और अन्य एंथ्रोपोमेट्रिक मापों का पुनः सत्यापन किया गया। इस अभियान में सभी विभागों का संयुक्त सहयोग रहा, जिससे डेटा की गुणवत्ता और भरोसेमंद विश्लेषण सुनिश्चित हो सका।
कार्यक्रम में पोषण विशेषज्ञों ने भी अपने विचार प्रस्तुत किए
डॉ. एम.एम.ए. फरीदी (डीन एमेरिटस, एरा यूनिवर्सिटी) ने कहा कि बाल्यकालीन पोषण केवल भोजन का विषय नहीं बल्कि सामाजिक चेतना का दायरा है।
डॉ. समीर एम. पवार (यूनिसेफ, नई दिल्ली) ने बताया कि माताओं को स्तनपान के लिए जागरूक करना और नियमित निगरानी व्यवस्था स्टंटिंग रोकने की कुंजी है।
डॉ. रविश शर्मा (यूनिसेफ, उत्तर प्रदेश) ने बच्चों के पहले दो वर्षों में पोषण और संक्रमण नियंत्रण पर विशेष जोर दिया।
ज़मीनी कार्यकर्ताओं और लाभार्थियों की सहभागिता
इस कार्यक्रम में डीपीओ, सीडीपीओ, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, मुख्य सेविकाएं, और गर्भवती व धात्री महिलाएं प्रदेशभर से वेबकास्ट के माध्यम से जुड़ीं। कार्यक्रम का सीधा प्रसारण एक विशेष वेब लिंक के माध्यम से आम जनता को भी उपलब्ध कराया गया।
लापरवाही पर त्वरित कार्यवाही की चेतावनी
मंत्री बेबी रानी मौर्य ने स्पष्ट निर्देश दिए कि पोषण मिशन की किसी भी स्तर पर उपेक्षा या लापरवाही को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा और त्वरित कार्यवाही की जाएगी। उन्होंने कहा कि सरकार केवल योजना बनाने तक सीमित नहीं है, बल्कि हर स्तर पर सख्त निगरानी और जवाबदेही तय की जा रही है।
स्टंटिंग दर में उल्लेखनीय गिरावट लाने का लिया संकल्प
उत्तर प्रदेश सरकार का यह आयोजन मात्र औपचारिकता नहीं बल्कि यह दर्शाता है कि पोषण सुधार राज्य की प्राथमिकता सूची में शीर्ष पर है। वर्ष 2030 तक स्टंटिंग दर में उल्लेखनीय गिरावट लाने का जो संकल्प लिया गया है, वह अब रणनीति, संसाधन, और समुदाय आधारित क्रियान्वयन के माध्यम से साकार किया जा रहा है।
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