आगरा। विश्वप्रसिद्ध स्मारक ताजमहल एक बार फिर विवादों के घेरे में है। कानपुर से आए एक पर्यटक ने आरोप लगाया है कि उसके बैग पर ‘जय श्री सीता राम’ लिखा होने के कारण उसे स्मारक में प्रवेश से रोक दिया गया। पर्यटक का कहना है कि जब नकाब और टोपी को लेकर कोई आपत्ति नहीं की जाती है, तो फिर भगवान के नाम लिखे बैग को क्यों रोका गया। घटना से जुड़ा वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है और इसको लेकर लोगों में आक्रोश देखने को मिल रहा है।
सोशल मीडिया पर वीडियो वायरल
कानपुर निवासी आशीष कुमार द्विवेदी का एक मिनट 51 सेकेंड का वीडियो सोशल मीडिया में वायरल हो रहा है। इसमें वह कह रहे हैं कि ताजमहल के पश्चिमी गेट पर जब उनका बैग स्कैन हुआ तो सीआइएसएफ के जवान ने उसे भीतर ले जाने से मना कर दिया। जवान ने कहा कि इस बैग के साथ वह स्मारक में प्रवेश नहीं कर सकते। आशीष का आरोप है कि केवल ‘जय श्री सीता राम’ लिखे होने की वजह से उन्हें रोका गया।
उन्होंने वीडियो में कहा कि अगर भारत में रहकर अपने आराध्य का नाम लिखा बैग भी स्मारक में ले जाने नहीं दिया जाएगा, तो यह आस्था पर चोट है। उन्होंने अपील की कि सनातन धर्मावलंबियों को ऐसे स्थानों का बहिष्कार करना चाहिए।आशीष ने आरोप लगाया कि जब नकाब, टोपी और अन्य धार्मिक पहचान वाले प्रतीकों पर कोई रोक नहीं है, तो फिर केवल उनके बैग को क्यों आपत्ति की गई। उन्होंने कहा, जहां हमारे आराध्य का सम्मान नहीं है, वहां हम नहीं जाएंगे। सरकार को चाहिए कि ऐसे अधिकारियों और कर्मचारियों पर कार्रवाई करे, जो इस तरह के फैसले लेकर लोगों की भावनाओं को ठेस पहुंचा रहे हैं। आशीष का कहना है कि उन्होंने मौके पर ही आपत्ति दर्ज कराई और स्मारक से बाहर आकर ताज सुरक्षा पुलिस के उप निरीक्षक शिवराज सिंह को घटना से अवगत कराया।
इनकी भी सुनिए
उपनिरीक्षक शिवराज सिंह ने बताया कि पर्यटक ने सामान्य जानकारी के तौर पर पूछा था कि क्या वह बैग स्मारक में ले जा सकता है। उसे यह कहा गया कि बैग को क्लॉक रूम में रखकर वह स्मारक में प्रवेश कर सकता है। उनका कहना है कि पर्यटक ने यह नहीं बताया कि उसे सीआइएसएफ ने रोका है।वहीं, सीआइएसएफ के वरिष्ठ कमांडेंट वीके दुबे ने कहा कि किसी भी पर्यटक को ताजमहल से वापस नहीं लौटाया जाता। यात्रियों को यदि कोई सामान प्रतिबंधित मिलता है, तो उसे क्लॉक रूम में रखने की सलाह दी जाती है। उन्होंने कहा कि पर्यटक के बैग में संभवतः कोई प्रतिबंधित वस्तु रही होगी। जांच के बाद ही स्थिति स्पष्ट हो सकेगी।
धार्मिक भावनाओं को लेकर आक्रोश
वीडियो वायरल होने के बाद कई संगठनों और सोशल मीडिया उपयोगकर्ताओं ने इस मामले पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है। कई लोगों ने कहा कि यह आस्था से खिलवाड़ है और सीआइएसएफ जवान ने अपने अधिकारों का गलत इस्तेमाल किया है।कुछ उपयोगकर्ताओं ने ताजमहल जाने का बहिष्कार करने की बात कही तो कईयों ने सरकार से इस घटना की जांच कराने और जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई करने की मांग उठाई।
प्रशासनिक स्पष्टीकरण
स्थानीय प्रशासन का कहना है कि ताजमहल में प्रतिबंधित वस्तुओं की सूची तय है। इसमें धूपबत्ती, अगरबत्ती, धार्मिक झंडे, किताबें, पोस्टर, बैनर और राजनीतिक या धार्मिक नारे लिखे बैनर शामिल हैं। अधिकारियों के अनुसार, अगर किसी वस्तु पर धार्मिक नारा लिखा है और उससे विवाद की आशंका है, तो सुरक्षा कारणों से उसे स्मारक के भीतर ले जाने की अनुमति नहीं दी जाती।हालांकि इस घटना में पर्यटक और सुरक्षा कर्मी के बीच संवाद को लेकर अलग-अलग दावे सामने आ रहे हैं।
विवाद का केंद्र क्यों बना ताजमहल
यह पहली बार नहीं है जब ताजमहल को लेकर धार्मिक विवाद खड़ा हुआ हो। इससे पहले भी स्मारक के अंदर पूजा-अर्चना, धार्मिक नारों और प्रदर्शन को लेकर कई बार विवाद हो चुके हैं। ताजमहल एएसआई (भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण) के संरक्षण में है और यहां किसी भी धार्मिक गतिविधि की अनुमति नहीं है।विशेषज्ञों का कहना है कि ताजमहल का महत्व ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहर के रूप में है। ऐसे में किसी भी धार्मिक या राजनीतिक प्रतीक को भीतर जाने की अनुमति देने से विवाद की स्थिति बन सकती है।
सरकार से कार्रवाई की मांग
आशीष द्विवेदी ने वीडियो में कहा कि सरकार को इस मामले में हस्तक्षेप करना चाहिए और दोषी जवान पर कार्रवाई करनी चाहिए। उन्होंने सवाल उठाया कि अगर नकाब और टोपी को अनुमति है तो फिर ‘जय श्री सीता राम’ लिखे बैग को क्यों रोका गया। उन्होंने यह भी कहा कि यदि सरकार कार्रवाई नहीं करती है तो सनातन धर्मावलंबियों को ऐसे स्थानों का बहिष्कार करना चाहिए।
जांच के बाद होगी स्थिति स्पष्ट
फिलहाल घटना को लेकर अलग-अलग बयान सामने आ रहे हैं। सीआइएसएफ का दावा है कि किसी को प्रवेश से नहीं रोका गया, बल्कि बैग क्लॉक रूम में रखने की सलाह दी गई थी। वहीं, पर्यटक का कहना है कि उसे सीधे-सीधे प्रवेश से मना कर दिया गया।प्रशासन का कहना है कि सीसीटीवी फुटेज और मौके पर मौजूद सुरक्षाकर्मियों के बयान दर्ज करने के बाद ही यह स्पष्ट हो सकेगा कि सच्चाई क्या है।
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