Agra News:Rubber Check Dam: Foundation of Taj Mahal, thirst of Agra And the story of administration's lethargy That is, how long will we keep on entertaining ourselves with rattles

आगरा। यमुना बैराज। न्यूज। टूडे। न्यूजट्रैक। उत्तर प्रदेश।

रबर चेक डैम: ताजमहल की नींव, आगरा की प्यास

 और प्रशासन की सुस्ती की गाथा


बृज खंडेलवाल की विशेष रिपोर्ट | 5 अगस्त 2025

कभी जीवनदायिनी, आज खतरे की घंटी

एक समय था जब ताजमहल की खूबसूरती में यमुना नदी की निरंतर बहती धार मुख्य भूमिका निभाती थी। आज वही यमुना, साल में आठ महीने एक बदबूदार नाले में तब्दील हो चुकी है। ताजमहल के नीचे से सूखी और गंदी यमुना बह रही है। जो न केवल पर्यटकों को निराश करती है, बल्कि देश की सबसे अमूल्य विश्व धरोहर की नींव पर भी संकट बन चुकी है।

ताजमहल की नींव पर मंडराता खतरा

इतिहासकार बताते हैं कि शाहजहाँ ने ताजमहल के निर्माण के लिए यमुना की स्थायी जलधारा को ध्यान में रखते हुए ही यह स्थान चुना था। विशेषज्ञ कहते हैं कि ताज की नींव साल की लकड़ियों पर आधारित है, जो स्थायी नमी के बिना कमजोर हो रही हैं।अगर यमुना में जल प्रवाह बहाल नहीं हुआ, तो ताजमहल दरारों और क्षरण का शिकार हो सकता है।


नगला पैमा रबर चेक डैम: समाधान की चाबी

आगरा की प्यास बुझाने, ताज की नींव को संरक्षित करने और पर्यटन को पुनर्जीवित करने वाला यह प्रोजेक्ट सिर्फ एक डैम नहीं, बल्कि शहर की जीवनरेखा है।
मुख्य फायदे:

ताजमहल के नीचे साल भर जल प्रवाह बनेगा
3.5 लाख क्यूसेक जल संग्रहण क्षमता
गर्मियों में जल संकट से राहत
पर्यटन, नौकायन और रोजगार को मिलेगा बढ़ावा

चार दशकों का टालमटोल: एक कलंक कथा


कब-कब हुआ शिलान्यास

1986

एन.डी. तिवारी ने मनोहरपुर बैराज का शिलान्यास किया

1993

CWC ने ₹134.8 करोड़ स्वीकृत किए, लेकिन राशि लौट गई

2016

सपा सरकार ने डैम प्रस्ताव बनवाया, अफसर विदेश भेजे

2017

योगी सरकार ने नगला पैमा में शिलान्यास किया

2022

नीरी से सशर्त पर्यावरणीय मंजूरी मिली

2025

₹60 करोड़ बजट स्वीकृत, पर प्रोजेक्ट अब भी लटका

तो आखिर क्यों रुका है प्रोजेक्ट?

  • नौकरशाही का मकड़जाल: CWC, IWAI, ASI की मंजूरी के बाद भी TTZ, MoEF और NMCG की हरी झंडी अधूरी
  • नीतिगत भ्रम: बैराज, रबर डैम, फ्लोटिंग बैराज—प्रस्ताव बदलते रहे
  • पर्यावरणीय भ्रम: कुछ विशेषज्ञों की आपत्ति, जिसे NEERI ने सशर्त खारिज कर दिया

2025: अब नहीं तो कब?यानी कब तक झुनझुने से दिल बहलाते रहेंगे

डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट, पर्यावरण मूल्यांकन, बजट और तकनीकी मंजूरी सब उपलब्ध हैं। फिर भी देरी क्यों?
क्या यह राजनीतिक इच्छाशक्ति की कमी है या केंद्र-राज्य समन्वय का अभाव?

जनता की पुकार: अब बहाने नहीं, एक्शन चाहिए

जल संकट, प्रदूषण और ताज की सुरक्षा से जुड़े इस प्रोजेक्ट को और टालना आगरा के भविष्य के साथ अन्याय है।
स्थानिक नागरिक, पर्यावरण कार्यकर्ता, पर्यटन उद्योग और इतिहासप्रेमी अब कड़ा सवाल पूछ रहे हैं।

क्या 2025 में भी सिर्फ फाइलें घूमेंगी या कोई वास्तविक निर्माण कार्य शुरू होगा?

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