आगरा। 16 अगस्त की मध्य रात्रि जैसे ही घड़ी में 12 बजेगी, समूचा शहर भक्तिमय हो जाएगा। मंदिरों की घंटियां, घंटे-घड़ियालों की ध्वनि और "नंद के आनंद भयो, जय कन्हैया लाल की" के जयकारों के बीच नन्हे गोपाल का जन्म होगा। जन्माष्टमी का पर्व न केवल मंदिरों में बल्कि घर-घर में उल्लास और आस्था के साथ मनाया जा रहा है|
घर-घर में तैयार हो रहे हैं भव्य हिंडोले
इस बार जन्माष्टमी पर शहर के हर मोहल्ले में बच्चे और महिलाएं सजावट में जुटे हैं। घरों में भव्य हिंडोले तैयार किए जा रहे हैं, जिनमें आकर्षक फूलों, रंग-बिरंगे कपड़ों और लाइटिंग से सजावट की जा रही है। कई घरों में स्वर्ण और रजत आभूषणों से सजे नन्हे कान्हा का स्वागत किया जाएगा।
मंदिरों में सजेगा श्रृंगार और झांकियों की रौनक
आगरा के प्रमुख मंदिरों में जन्माष्टमी की विशेष तैयारी हो रही है।
- श्रीमन:कामेश्वर स्थित श्रीनाथ जी मंदिर - यहाँ रंग-बिरंगी लाइटिंग, फूलों की झालरों और पारंपरिक वेशभूषा में नन्हे कृष्ण की झांकी सजाई जाएगी।
- चक्कीपाट स्थित बिहारी जी मंदिर – विशेष श्रृंगार और भक्तों के लिए चरणामृत वितरण की व्यवस्था।
- खाटू श्याम जी मंदिर – स्वर्ण हिंडोला और रजत मुकुट से सजे बाल गोपाल।
- प्रेमनिधि मंदिर – रासलीला और भजन संध्या का आयोजन।
- गांधी नगर स्थित श्रीराधा-कृष्ण मंदिर – आकर्षक पुष्प सजावट के बीच आधी रात को पंचगव्य से अभिषेक।
- सनातन धर्म मंदिर – भक्तिमय भजन-कीर्तन के साथ विशेष आरती का आयोजन।
आधी रात को होगा पंचगव्य से अभिषेक
रात 12 बजते ही भगवान श्रीकृष्ण का जन्म पंचगव्य (दूध, दही, घी, गोमूत्र और गोबर) से अभिषेक के साथ होगा। इसके बाद उन्हें नई पोशाक पहनाई जाएगी और आकर्षक श्रृंगार किया जाएगा। स्वर्ण और रजत के आभूषण पहनाकर उन्हें भव्य हिंडोले में विराजमान किया जाएगा।
भजनों की गूंज और जयकारों से गूंजेगा वातावरण
जैसे ही नंदलाल का जन्म होगा, मंदिरों में भजनों की स्वर लहरियां गूंजेंगी। "गोविंद बोलो, हरि गोपाल बोलो" और "यशोदा के नंदलाला" जैसे भजन भक्तों को भक्ति रस में डुबो देंगे। महिला मंडल और भजन संकीर्तन समूह पिछले कई दिनों से विशेष भजन तैयार कर रहे हैं।
बच्चों में मटकी फोड़ प्रतियोगिता का उत्साह
जन्माष्टमी का एक बड़ा आकर्षण बच्चों की मटकी फोड़ प्रतियोगिता है। इस खेल में छोटे-छोटे बच्चे पिरामिड बनाकर ऊँचाई पर लटकी मटकी को फोड़ते हैं। मटकी में माखन, मिश्री और पंजीरी भरी होती है। यह आयोजन भगवान कृष्ण के बाल रूप की लीला को जीवंत कर देता है।
पकवानों की खुशबू से महकेगा माहौल
घर-घर में पंजीरी, चरणामृत, पाग, माखन-मिश्री, लड्डू, गुजिया और अनेक व्यंजन बनाए जा रहे हैं। श्रद्धालु मानते हैं कि इस दिन बनाए गए पकवान भगवान को भोग लगाने के बाद प्रसाद के रूप में ग्रहण करना शुभ होता है।
भक्तों में उमंग और आस्था का संगम
जन्माष्टमी केवल धार्मिक पर्व नहीं, बल्कि भक्ति और आनंद का संगम है। नन्हे कृष्ण के आगमन का उल्लास हर उम्र के लोगों के चेहरे पर साफ झलक रहा है। शहर के मंदिरों और गलियों में रंग-बिरंगे पंडाल, रोशनी और झांकियों की चमक है।
सुरक्षा और व्यवस्थाओं पर भी ध्यान
मंदिर प्रबंधन समितियों और प्रशासन ने भीड़ को देखते हुए विशेष व्यवस्थाएं की हैं। सीसीटीवी कैमरे, सुरक्षा कर्मियों और बैरिकेडिंग से भीड़ नियंत्रण का प्रयास किया जाएगा।
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भव्य जन्माष्टमी की तैयारियों से सजा आगरा, व्रत-उत्सव के सामान से
लेकर हिंडोलों तक की बाजारों में बढ़ी रौनक
घर-घर सजेंगे झूलों पर नंदलाल, मंदिरों में बजेगी भक्ति की गूंज
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का पर्व नज़दीक आते ही पूरा शहर भक्ति, उल्लास और रंगीन तैयारियों से सराबोर हो गया है। 16 अगस्त की आधी रात जैसे ही घड़ी में बारह बजेंगे, मंदिरों से लेकर घर-घर तक नंद के लाल के जन्म का उत्सव मनाया जाएगा। शहर के बाजारों, गलियों और मोहल्लों में तैयारी का जोश चरम पर है—कहीं हिंडोलों की खरीद हो रही है तो कहीं व्रत-फलाहार का सामान स्टॉक किया जा रहा है।
अर्धरात्रि को होगा श्रीकृष्ण का जन्म, पंचगव्य से होगा अभिषेक
मध्यरात्रि में श्रीकृष्ण जन्म के साथ ही मंदिरों में घंटों-घड़ियालों की गूंज और भजनों की मधुर धुनें वातावरण को भक्तिमय बना देंगी। भगवान का पंचगव्य से अभिषेक कर उन्हें नई पोशाक पहनाई जाएगी, आकर्षक श्रृंगार होगा और स्वर्ण-रजत आभूषणों से सजाकर हिंडोले में विराजमान किया जाएगा। घरों में पंजीरी, चरणामृत, पाग और विभिन्न व्यंजन तैयार किए जा रहे हैं। महिला मंडल और भजन-कीर्तन समूह विशेष भक्ति कार्यक्रमों की तैयारी में जुटे हैं, जबकि बच्चों में मटकी-फोड़ प्रतियोगिता को लेकर उत्साह चरम पर है।
व्रत-फलाहार के लिए बाजारों में बढ़ी मांग, कुट्टू के आटे की जगह ली मिंगी और चौलाई ने
जन्माष्टमी पर व्रत रखने वाले श्रद्धालुओं ने फलाहार के सामान की खरीदारी शुरू कर दी है। इस बार कुट्टू के आटे की मांग में भारी गिरावट है क्योंकि नवरात्र में इसके सेवन से कई लोग बीमार पड़े थे। दुकानदार भी कुट्टू आटा बेचने से परहेज़ कर रहे हैं। इसके स्थान पर कुट्टू मिंगी, चौलाई (राजगिरा) आटा, सिंघाड़ा आटा और फलहारी मिक्स आटा की मांग बढ़ गई है। मेवा, आलू चिप्स, साबूदाना पापड़, फलहारी नमकीन, चौलाई लड्डू जैसे आइटम भी खूब बिक रहे हैं। गोला गिरी, मखाना, किशमिश, काजू, बादाम जैसे मेवों की बिक्री तेज़ है। हालांकि मखाना 200 रुपये किलो सस्ता हुआ है, लेकिन किशमिश की कीमत पिछले छह महीनों में 250 रुपये किलो बढ़ गई है।
मेवा-मावा के भाव में तेजी
जन्माष्टमी पर प्रसाद और मिठाइयों की तैयारी के लिए मेवा-मावा की खरीदारी जोरों पर है। बाजार में इस समय दाम इस प्रकार हैं —
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मावा: ₹280-300 प्रति किलो
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बादाम: ₹780-820 प्रति किलो
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काजू: ₹680-720 प्रति किलो
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पिस्ता: ₹1200-1300 प्रति किलो
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अखरोट: ₹900-950 प्रति किलो
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घी: ₹520-550 प्रति किलो (देशी घी के भाव)
व्यापारियों का कहना है कि जन्माष्टमी पर मांग बढ़ने से भाव में 5-10% की तेजी आई है।
फलहारी चटनी और चाट मसाले की भी बढ़ी डिमांड
व्रत-विशेष पकौड़ी और चाट के लिए फलहारी चटनी, सेंधा नमक और काली मिर्च से तैयार चाट मसाला भी ग्राहकों की पहली पसंद है। दरेसी, रावतपाड़ा, बेलनगंज जैसे पुराने बाजारों में गुरुवार को जमकर खरीदारी हुई, वहीं शहर के डिपार्टमेंटल स्टोर्स पर भी भीड़ लगी रही।
प्रमुख वस्तुओं के दाम
सामान | मूल्य |
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कुट्टू आटा | ₹160/किलो |
कुट्टू मींग आटा | ₹200/किलो |
सिंघाड़ा आटा | ₹200/किलो |
समा चावल | ₹140/किलो |
राजगिरी (चौलाई) आटा | ₹260/किलो |
साबूदाना | ₹100/किलो |
मखाना | ₹1200/किलो |
गोला गिरी | ₹360/किलो |
किशमिश | ₹450/किलो |
काजू | ₹2000/किलो |
बादाम | ₹750/किलो |
चिरौंजी | ₹2000/किलो |
चौलाई लड्डू (12 पीस) | ₹50 |
फलाहारी चटनी (300 ग्राम) | ₹110 |
साबूदाना पापड़ (8 पीस) | ₹15 |
फलाहारी मसाला (100 ग्राम) | ₹70 |
बाजारों में हिंडोलों की बहारख, मिट्टी, लकड़ी, चांदी और धातु के झूले लोकप्रिय
रावतपाड़ा, सेठ गली, किनारी बाजार, नामनेर, राजामंडी, शाहगंज, कमला नगर, घटिया आज़म खां आदि इलाकों के बाजारों में हिंडोलों की सजावट और बिक्री चरम पर है। पारंपरिक मिट्टी और लकड़ी के हिंडोले इस बार भी सबसे ज्यादा पसंद किए जा रहे हैं, जिनकी कीमत 50 रुपये से 300 रुपये तक है। इन पर पारंपरिक आकृतियां, रंग-बिरंगे पेंट और गोटा-पत्ती का काम श्रद्धालुओं को आकर्षित कर रहा है।साथ ही, चांदी के हिंडोले और पीतल-धातु से बने नक्काशीदार झूले भी भक्तों की पसंद में शामिल हैं। चांदी के झूले लंबे समय तक सुरक्षित रहने और सुंदरता में उत्कृष्ट होने के कारण कई लोग इन्हें पारंपरिक धरोहर के रूप में खरीद रहे हैं।
झांकियों की सजावट के लिए फूल और सजावटी सामान की धूम
घर और मंदिर की झांकियों के लिए गुलाब, गेंदे और कमल के फूल, कृत्रिम मालाएं, रंगीन झालर और थीम आधारित सजावटी पृष्ठभूमियां भी बाजार में उपलब्ध हैं। श्रद्धालु इन्हें बड़े उत्साह से खरीद रहे हैं।
खिलौनों की बिक्री में बढ़ोतरी लड्डू गोपाल से लेकर बांसुरी और मटकी तक
झांकियों को और सुंदर बनाने के लिए मिट्टी, लकड़ी और प्लास्टिक के खिलौनों की खरीद भी खूब हो रही है। इन खिलौनों में लड्डू गोपाल, राधा जी, बलराम, ग्वाल-बाल, गाय, बांसुरी, मास्टर जी की कक्षा, बैंड-बाजा टोली, सेना टोली, भांग घोंटती टोली और मटकी जैसे आइटम शामिल हैं। कीमत 10 रुपये से लेकर 1500 रुपये तक है। दुकानदारों का कहना है कि पर्व के एक दिन पहले शुक्रवार को खरीदारी का चरम रहेगा।
लाइटिंग और थीम सजावट की भी मांग बढ़ी
सजावट के लिए रंग-बिरंगी LED लाइट्स, कपड़े के बैकग्राउंड, झूमर और थीम आधारित डेकोरेशन सामग्री की बिक्री में भी तेजी आई है। ग्राहक घर, मंदिर और सोसाइटी-स्तरीय झांकियों के लिए विशेष सजावट का इंतजाम कर रहे हैं।आगरा के बाजारों में इस समय सिर्फ सजावट और सामान की खरीदारी ही नहीं, बल्कि भावनाओं का भी आदान-प्रदान हो रहा है। लोग एक-दूसरे से तैयारी के सुझाव ले रहे हैं, दुकानदार भी ग्राहकों को उत्साहपूर्वक सामान दिखा रहे हैं। बच्चों की आंखों में झांकियों और खिलौनों को लेकर चमक साफ झलक रही है।
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भगवान श्रीकृष्ण का 5,252वां जन्मोत्सव मनाने को उल्लास में डूबे ब्रजवासी
“ऑपरेशन सिंदूर” के तहत सिंदूरी रंग से सजे पुष्प बंगला में ठाकुरजी देंगे दर्शन
मथुरा।ब्रजभूमि का कण-कण आज उल्लास और भक्ति में सराबोर है। हर ब्रजवासी के चेहरे पर रौनक है, आँखों में श्रद्धा की चमक और हृदय में अपने “लाला” श्रीकृष्ण के स्वागत का उत्साह। घर-घर में रंगाई-पुताई, सड़कों पर सजावट, गलियों में झालरें और तोरण—यह सब देखकर लगता है जैसे पूरा ब्रज स्वयं श्रीकृष्ण के स्वागत में सज-धजकर खड़ा हो। इस बार जन्माष्टमी पर भगवान श्रीकृष्ण का 5,252वां जन्मोत्सव मनाया जाएगा, जिसके लिए तैयारियां अपने चरम पर हैं।
नंद के आनंद भयो, जय कन्हैया लाल की
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का पर्व इस बार विशेष है। 16 अगस्त की रात ठीक 12 बजे मथुरा स्थित जन्मस्थान पर भगवान श्रीकृष्ण का पुनः अवतरण होगा। जैसे ही गर्भगृह में जन्म की घोषणा होगी, ब्रजवासी और श्रद्धालु “नंद के आनंद भयो, जय कन्हैया लाल की” के जयकारों से आकाश गूंजा देंगे। घंटों, मृदंग, शंख और नगाड़ों की ध्वनि के बीच चारों ओर उल्लास और भक्ति का सागर उमड़ पड़ेगा।
इस बार और भी दिव्य व भव्य आयोजन
श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संस्थान ने इस बार जन्मोत्सव को दिव्य और भव्य बनाने का संकल्प लिया है। पूरे परिसर को विशेष थीम पर सजाया जा रहा है। मुख्य आकर्षण होगा “ऑपरेशन सिंदूर”जिसके तहत इस वर्ष ठाकुरजी का पुष्प बंगला सिंदूरी रंग में सजेगा। यह पहली बार है जब पूरी थीम को एक ही रंग में, लेकिन अत्यंत कलात्मक ढंग से प्रस्तुत किया जाएगा।
चप्पे -चप्पे पर रहेगी निगरानी
इस बार जन्मोत्सव में सुरक्षा और अनुशासन पर विशेष ध्यान दिया गया है। आयोजन की तैयारियों में प्रशासन और पुलिस के साथ-साथ अर्धसैनिक बलों की भी तैनाती की जाएगी। श्रद्धालुओं की भीड़ को संभालने के लिए अलग-अलग प्रवेश और निकास मार्ग तय किए गए हैं। जगह-जगह CCTV कैमरे लगाए जा रहे हैं और ड्रोन से निगरानी होगी।
16 अगस्त: जन्माष्टमी
17 अगस्त: रविवार (अवकाश)
तीन दिन लगातार छुट्टियां होने के कारण इस बार मथुरा, वृंदावन, बरसाना, गोकुल, गोवर्धन और नंदगांव में 50 लाख से अधिक श्रद्धालुओं के पहुंचने का अनुमान है। इस वजह से आश्रम, धर्मशालाएं और होटल पहले से ही फुल हो चुके हैं।
गांव-गांव से उमड़ेगी श्रद्धा की गंगा
ब्रज के गांव-गांव से लोग ढोल-नगाड़ों के साथ पैदल यात्रा कर जन्मस्थान पहुंचेंगे। महिलाएं सिर पर कलश सजाकर, बच्चे मोर मुकुट और बांसुरी धारण कर और बुजुर्ग भजन गाते हुए चलेंगे। रास्ते में जगह-जगह भंडारे और जलपान की व्यवस्था की जा रही है।
मेघधनुषी पोशाक में ठाकुरजी
संस्थान के सचिव कपिल शर्मा ने बताया कि इस बार ठाकुरजी जन्म के समय मेघधनु पोशाक धारण करेंगे। यह पोशाक इंद्रधनुष के सात रंगों से रेशम, जरी और रत्नों के साथ तैयार की गई है। इसे बनाने में महीनों का समय और बारीक कारीगरी लगी है।
गर्भगृह में चांदी की अद्भुत सजावट
कंस की कारा (गर्भगृह) को इस बार 221 किलो चांदी की परत से सजाया जाएगा। पुष्प बंगले के भीतर का प्रत्येक कोना फूलों और चांदी के मेल से ऐसा सजेगा कि श्रद्धालु मंत्रमुग्ध रह जाएंगे।
मां योगमाया मंदिर की विशेष तैयारियां
मां योगमाया मंदिर में इस बार 51 किलोग्राम चांदी से तैयार सिंहासन, अस्त्र-शस्त्र और पादुकाएं सजाई जाएंगी। यह सब कारीगरी स्थानीय स्वर्णकारों और कारीगरों ने महीनों की मेहनत से तैयार किया है।
ऑपरेशन सिंदूर विशेष थीम का अनावरण
“ऑपरेशन सिंदूर” नामक इस थीम के तहत गर्भगृह के पुष्प बंगले को गहरे सिंदूरी रंग में सजाया जाएगा। फूलों में मुख्य रूप से गेंदा, गुलाब, और रजनीगंधा का प्रयोग होगा, जो सुवास के साथ भव्यता भी बिखेरेंगे।
संपूर्ण ब्रज में त्योहार का माहौल
न सिर्फ मथुरा, बल्कि वृंदावन, बरसाना, नंदगांव, गोवर्धन और गोकुल में भी तैयारियां जोर-शोर से चल रही हैं। वृंदावन के बांकेबिहारी मंदिर में झूला उत्सव के साथ विशेष झांकी सजाई जाएगी। बरसाना में राधारानी के महल को सोने-चांदी की झालरों से सजाया जाएगा। गोवर्धन में गिरिराज महाराज का विशेष अभिषेक होगा।
यात्रियों के स्वागत की विशेष योजना
नगर निगम, पुलिस और स्वयंसेवी संगठनों ने मिलकर श्रद्धालुओं के स्वागत के लिए पीने के पानी, प्राथमिक उपचार और गाइड मैप की व्यवस्था की है। जगह-जगह LED स्क्रीन लगाई जाएंगी, ताकि भीड़ में भी लोग कार्यक्रम देख सकें।
भजन-कीर्तन से गूंजेगा ब्रज
जन्माष्टमी से पहले और बाद में अखंड भजन-कीर्तन का आयोजन होगा। रात 12 बजे के महाआरती के बाद माखन-मिश्री और पंचामृत का प्रसाद वितरण होगा।
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