आगरा। धाकड़ धर्मशाला में श्रीमद्भागवत कथा का आयोजन भक्तिभाव से चल रहा है। कथा में राष्ट्रीय संत अरविन्द महाराज के सुपुत्र संत अभिषेक भाई जी अपने मधुर संगीतमयी स्वर में कथा के विभिन्न प्रसंग सुनाकर भक्तों को भावविभोर कर रहे हैं।
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व्यासपीठ से कथा का रसपान कराते कथा व्यास अभिषेक भाई जी, पंडाल में मौजूद महिला श्रृद्धालु |
कथा सुनने के लिए रोजाना सैकड़ों की संख्या में भक्त धाकड़ धर्मशाला पहुंच रहे हैं। भक्ति रस और सुरमयी वाणी में रची-बसी कथा ने वातावरण को पूरी तरह आध्यात्मिक बना दिया है।
कथा के दौरान संत अभिषेक भाई जी ने स्कंद एकादशी पुराण का उल्लेख करते हुए कहा कि सनातन धर्म में पशु बलि की कोई परंपरा नहीं थी। उन्होंने बताया कि रावण श्रेष्ठ कुलीन ब्राह्मण होते हुए भी अपने बुरे कर्मों के कारण संसार में बुराई का प्रतीक बना। वहीं, शबरी अपने अपनत्व और भक्ति के कारण भगवान श्रीराम की माता के समान पूजनीय हुईं।
उन्होंने कहा कि श्रीमद्भागवत कथा के अनुसार सनातन धर्म में जाति से अधिक कर्म को प्राथमिकता दी गई है। कथा में उन्होंने राजा ध्रुव की कथा भी सुनाई, जिसे श्रद्धालुओं ने मंत्रमुग्ध होकर सुना।
कथा के व्यवस्थापक कर्ण सिंह धाकड़ ने बताया कि कथा सुरमयी और भक्तिभाव से चल रही है, जिसे सुनकर सभी भक्त मंत्रमुग्ध हो रहे हैं।
कथा आयोजक राजवीर सिंह धाकड़ ने कहा कि कथा सुनने के लिए शहर से अनेक गणमान्य और राजनीतिक लोग भी आ रहे हैं। आज के कार्यक्रम में केबिनेट मंत्री के पुत्र डॉ. अलौकिक उपाध्याय ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई।
प्रसादी व्यवस्था में बृजराज सिंह, बाबूलाल धाकड़, लक्ष्मण धाकड़, केशव धाकड़, धर्मेन्द्र धाकड़ और किशन गोपाल धाकड़ मुख्य रूप से उपस्थित रहे।
धाकड़ धर्मशाला में चल रही इस कथा को लेकर भक्तों में उत्साह और आस्था का अद्भुत संगम देखने को मिल रहा है।
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