आगरा। किसान नेता श्याम सिंह चाहर ने जिन आरोपों को सामने रखा था, वे जांच में सिद्ध हो गए हैं। सिंघना फार्म से निकाले गए आलू सीड साइज में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी और घोटाले का खुलासा हुआ है। किसानों को अब तक यह आलू वितरित नहीं किया गया। इस संबंध में प्रदेश के मुख्यमंत्री को पत्र भेजने की तैयारी की जा रही है।
लखनऊ से कराई गई जांच में उद्यान उप निदेशक डीपी यादव को दोषी पाया गया है। सिंघना फार्म से आलू सीड खुदाई और बिनाई के दौरान की गई अनियमितताओं की जांच में यह पूरी तरह से साबित हुआ कि उप निदेशक ने अपने अधिकारों का दुरुपयोग किया।
जांच में सामने आया कि उद्यान अधिकारी अनीता सिंह की भूमिका भी संदिग्ध रही। उन्होंने एक पत्र जारी तो किया, लेकिन उस पर अपने हस्ताक्षर नहीं किए। यह पत्र 26 जुलाई 2025 का बताया गया है। इससे पूरे प्रकरण में मिलीभगत की आशंका गहराती है।
पिछले वर्षों में आलू की खुदाई और बिनाई का कार्य 20 फरवरी से 10 मार्च तक होता आया है। लेकिन इस वर्ष डीपी यादव ने यह कार्य 23 फरवरी से 14 अप्रैल तक कराया। इसमें भारी अनियमितताएं सामने आईं। मौसम के हिसाब से 25 से 29 फरवरी के बीच आलू निकालने का समय उचित माना जाता है, लेकिन लंबी अवधि में काम कराकर आलू माफिया से साठगांठ के आरोप लगे।
जांच रिपोर्ट के अनुसार, सिंघना फार्म से निकाले गए 50 किलोमीटर दूर स्थित कोल्ड स्टोर में आलू रखवाया गया। इस दौरान मूल आलू बदलकर दूसरा आलू भर दिया गया। यह खेल किसानों के साथ धोखा था।
सबसे गंभीर मामला 8 अप्रैल का बताया गया है। उस समय आलू सीड साइज की खुदाई चल रही थी। बावजूद इसके, उसी दिन उप निदेशक डीपी यादव ने नीलामी करा दी। इस प्रक्रिया में आलू माफिया को फायदा पहुंचाने का आरोप है।
सामान्य रूप से आलू सीड साइज आलू को पहले कोल्ड स्टोर भेजा जाता है और बाद में नीलामी होती है। लेकिन इस बार छिपे तौर पर बीज आलू को सीधे आलू माफिया को उपलब्ध करा दिया गया। यह अपराध की श्रेणी में आता है और जांच में इसकी पुष्टि हुई।
टेंडर प्रक्रिया में भी अनियमितताओं का खुलासा हुआ। आलू खुदाई और बिनाई का टेंडर 1 दिसंबर 2024 और 12 दिसंबर 2025 को किया गया। यह नियमों के विपरीत था। 15 अक्टूबर 2024 को टेंडर रद्द किया गया क्योंकि उसमें उप निदेशक का रिश्तेदार शामिल नहीं था। बाद में जब उनका रिश्तेदार प्रक्रिया में आया तो उसी को टेंडर दे दिया गया।
उद्यान अधिकारी की रिपोर्ट 27 अप्रैल 2025 को संयुक्त निदेशक, औद्योगिक प्रशिक्षण बस्ती को भेजी गई। इसमें भी कई अनियमितताओं का जिक्र था।
लखनऊ के उद्यान निदेशक ने आदेश जारी कर उप निदेशक के सभी अधिकार छीने और जिम्मेदारी उद्यान अधिकारी को दी। यह आदेश 28 अक्टूबर 2024 का था। इसके बावजूद 21 नवंबर को उप निदेशक ने पत्र जारी कर अधिकार फिर अपने पास रखने की कोशिश की।
इसके बाद 6 दिसंबर 2024 को आलू खुदाई-बिनाई-चटाई का पत्र जारी किया गया जिसमें 14,85,000 रुपये का उल्लेख किया गया। लेकिन दस्तावेजों में गड़बड़ियां थीं।
6 फरवरी 2025 को निदेशक ने आदेश दिया कि नीलामी प्रक्रिया की सूचना 15 दिन पहले दी जाए। साथ ही सिंघना फार्म आलू खुदाई का कार्य पूरा होने के सात दिन के भीतर ग्रेडिंग की प्रक्रिया अनिवार्य है।
जांच रिपोर्ट में कहा गया कि 15 अप्रैल 2025 को आलू को 50 किलोमीटर दूर कोल्ड स्टोर में रखवाया गया, जबकि 20 किलोमीटर के दायरे में ही लगभग 50 कोल्ड स्टोर मौजूद थे। यह दर्शाता है कि आलू माफिया से सांठगांठ कर खेल किया गया।
पूर्व जिला अध्यक्ष लक्ष्मीनारायण बघेल ने कहा कि जो आलू माफिया के कोल्ड स्टोर में रखा गया है, वह किसानों को वितरण नहीं होना चाहिए क्योंकि वह बदला हुआ आलू सीड है। अगर यह बीज किसानों तक गया तो उनकी खेती बर्बाद हो जाएगी और सरकार पर सीधा आरोप लगेगा। उन्होंने मांग की कि इस नुकसान की वसूली डीपी यादव से की जाए।
किसान नेता सोमवीर यादव ने भी कहा कि सिंघना फार्म आलू सीड साइज घोटाले में दोषियों की पहचान हो चुकी है। अब उनके खिलाफ कठोर कार्रवाई होनी चाहिए। सरकारी धन की वसूली दोषियों से की जानी चाहिए।
किसान मजदूर नेता चौधरी दिलीप सिंह ने सरकार से मांग की कि दोषियों पर मुकदमा दर्ज किया जाए। साथ ही आगरा मंडल से जुड़े किसी भी अधिकारी को अधिकार न दिए जाएं क्योंकि रिश्तेदारी और सांठगांठ के कारण ऐसे खेल बार-बार हो रहे हैं।
किसान नेताओं का कहना है कि यह केवल भ्रष्टाचार नहीं बल्कि किसानों के भविष्य के साथ धोखा है। यदि दोषियों पर कड़ी कार्रवाई नहीं हुई तो आंदोलन तेज किया जाएगा।
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