आगरा।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 75वें जन्मदिन के अवसर पर 17 सितंबर को डॉ. भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय 100 क्षय रोगियों को गोद लेगा। इस विशेष पहल का उद्देश्य टीबी रोगियों को उपचार और पोषण सहायता प्रदान करना है, जिससे उनका उपचार समय पर और प्रभावी तरीके से पूरा हो सके।सीएओ के अनुसार डॉ. भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय 100 टीबी रोगियों को गोद लेगा। सीएमओ डॉ. अरुण श्रीवास्तव ने बताया कि 100 टीबी मरीजों की लिस्ट तैयार कर यूनिविर्सटी को भेज दी गई है।
होगी नियमित निगरानी
सीएमओ ने बताया कि विश्वविद्यालय द्वारा गोद लिए गए प्रत्येक रोगी का इलाज प्रारंभ होने से लेकर पूरी तरह स्वस्थ होने तक ख्याल रखा जाएगा। इसके तहत उन्हें नियमित दवा, पोषण सामग्री और चिकित्सकीय निगरानी प्रदान की जाएगी। विश्वविद्यालय के अधिकारियों और संबंधित विभाग की टीम नियमित रूप से रोगियों की जांच और स्वास्थ्य स्थिति की रिपोर्ट तैयार करेगी।
उपलब्ध कराई जाएगी पोषण पोटली
जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ. सुखेश गुप्ता ने बताया कि टीबी रोगियों को ठीक होने में आम तौर पर छह से सात महीने का समय लगता है। इस दौरान सही पोषण अत्यंत आवश्यक है। उन्हें पोषण में कोई कमी न हो, इसके लिए निक्षय पोषण योजना के तहत अब रोगियों को पहले 500 रुपये की जगह 1,000 रुपये प्रतिमाह का अनुदान दिया जाएगा। डॉ. गुप्ता ने कहा कि इस राशि में पोषण पोटली उपलब्ध कराई जाएगी, जिसमें आवश्यक पोषण सामग्री शामिल होगी। यह पोटली रोगियों के उपचार के दौरान उनकी शक्ति और रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में मदद करेगी।कुलाधिपति आनंदीबेन पटेल के आह्वान पर राज्य और केंद्र स्तर की सामाजिक संस्थाएं भी इस पहल में शामिल हैं। वे स्वयं टीबी रोगियों को गोद लेकर उन्हें हर माह पोषण सामग्री उपलब्ध कराएंगी। इस तरह रोगियों को सामाजिक और आर्थिक सहयोग भी मिलेगा।
प्रधानमंत्री के जन्मदिन पर विशेष कार्यक्रम
17 सितंबर को आयोजित कार्यक्रम में विश्वविद्यालय के अधिकारियों और स्वास्थ्य विभाग के प्रतिनिधि रोगियों को गोद लेंगे। इस अवसर पर उन्हें पोषण पोटली वितरित की जाएगी। डॉ. गुप्ता ने बताया कि इस पहल का उद्देश्य केवल उपचार नहीं है, बल्कि रोगियों में आत्मविश्वास और सामाजिक समर्थन भी प्रदान करना है। टीबी रोगियों के लिए यह एक नई उम्मीद और स्वास्थ्य की दिशा में बड़ा कदम है। टीबी रोगियों का इलाज दवा के साथ-साथ सही पोषण पर निर्भर करता है। बिना उचित पोषण के दवा का असर सीमित रह सकता है। इसलिए विश्वविद्यालय और स्वास्थ्य विभाग द्वारा पोषण पोटली और नियमित निगरानी प्रदान करना आवश्यक है। छह से सात महीने तक रोगियों को पोषण सामग्री और दवा दी जाएगी। इस दौरान विश्वविद्यालय की टीम रोगियों की रिपोर्ट तैयार करेगी और प्रशासन को नियमित अपडेट उपलब्ध कराएगी।
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