आगरा से उठी नई शिक्षा क्रांति, अब बच्चे पढ़ेंगे वेद, गीता और कंप्यूटर साथ-साथ!
आगरा। डॉ. भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय के जे.पी. ऑडिटोरियम में भारतीय शिक्षा बोर्ड की मंडलीय बैठक आयोजित हुई, जिसमें शिक्षा व्यवस्था में भारतीय संस्कृति और आधुनिक विज्ञान के समन्वय पर जोर दिया गया।
बैठक में भारतीय शिक्षा बोर्ड के चेयरमैन डॉ. एन.पी. सिंह (सेवानिवृत्त आईएएस) ने कहा कि अब समय आ गया है जब भारत अपनी शिक्षा प्रणाली को फिर से भारतीयता के मूल में स्थापित करे। उन्होंने कहा कि आधुनिक पाश्चात्य शिक्षा व्यवस्था ने बच्चों को तकनीकी रूप से सक्षम तो बनाया है, लेकिन उनसे संस्कृति, आचरण और नैतिकता दूर हो गई है। भारतीय शिक्षा बोर्ड का उद्देश्य है कि बच्चे वेद, शास्त्र, उपनिषद, गीता और अध्यात्म के साथ कंप्यूटर साइंस और आधुनिक तकनीक भी सीखें, ताकि वे संस्कारवान और सक्षम नागरिक बन सकें।
बैठक की शुरुआत वेद मंत्रों के साथ दीप प्रज्ज्वलन से हुई। इस अवसर पर मंडल के सभी विद्यालयों के प्रबंधक, प्राचार्य और प्रतिनिधि मौजूद रहे। चेयरमैन डॉ. सिंह ने बताया कि भारतीय शिक्षा बोर्ड का लक्ष्य एक ऐसी शिक्षा प्रणाली विकसित करना है जो बच्चों के मन में भारतीय संस्कृति की जड़ें गहराई तक रोपित करे। उन्होंने कहा कि आज समाज में नैतिक पतन की स्थिति चिंता का विषय है। यदि हमें भारत को फिर से सशक्त और विश्वगुरु बनाना है तो विद्यालयों को भारतीय शिक्षा बोर्ड से संबद्ध होना होगा, ताकि शिक्षा में संस्कार, चरित्र और आत्मबल का समावेश हो सके।
मंडल आयुक्त शैलेंद्र कुमार सिंह ने कहा कि शिक्षा केवल अंकों या डिग्री तक सीमित नहीं होनी चाहिए। सबसे पहले बच्चों को संस्कार देने का कार्य माता-पिता और शिक्षक करते हैं। उन्होंने कहा कि आज जरूरत है बच्चों को ऐसे वातावरण में शिक्षित करने की, जहां वे तकनीकी रूप से सक्षम हों और साथ ही भारतीय संस्कृति से जुड़े रहें। उन्होंने कहा कि बड़े-बड़े भवन और सुविधाएं शिक्षा का मापदंड नहीं हैं, बल्कि शिक्षा का उद्देश्य बच्चों को बेहतर इंसान बनाना है।
कार्यक्रम का संचालन भारत स्वाभिमान के राज्य प्रभारी सुनील शास्त्री ने किया। बैठक में पतंजलि परिवार से विपिन, दयाशंकर आर्य (राज्य प्रभारी पतंजलि किसान सेवा समिति), रविकर आर्य (संभल प्रभारी), डॉ. शिवनंदन (समन्वयक), सुशील गुप्ता, स्वामी रामानंद समेत मंडल के करीब 250 से अधिक विद्यालयों के प्रतिनिधि मौजूद रहे।
बैठक में यह निष्कर्ष निकला कि भारतीय शिक्षा बोर्ड अब ऐसे विद्यालयों से जुड़ाव बढ़ाएगा, जो शिक्षा के साथ संस्कारों को भी प्राथमिकता देना चाहते हैं। इस पहल को आगरा मंडल से “नई शिक्षा क्रांति” के रूप में देखा जा रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह मॉडल आने वाले समय में पूरे प्रदेश और देश में लागू किया जा सकता है, जिससे आधुनिकता और परंपरा का संतुलन कायम होगा।


