आगरा। बालाजीपुरम स्थित चिरंजीव सेवा सदन में चल रही श्रीमद् भागवत कथा के सातवें दिन व्यास पीठ से कथा व्यास संत रामप्रपन्नाचार्य महाराज ने श्री कृष्ण-रुक्मणी विवाह, सुदामा चरित्र और शुकदेव पूजन आदि कथाओं का भावपूर्ण वर्णन किया।कथा व्यास रामप्रपन्नाचार्य महाराज
कथा व्यास राम प्रपन्नाचार्य महाराज ने कहा कि जीवन में कितनी भी विषम परिस्थिति क्यों ना आ जाए, हमें अपना धर्म और संस्कार कभी नहीं छोड़ना चाहिए। श्रीमद् भागवत कथा सुनने से जन्म-जन्मांतर के पापों से मुक्ति मिलती है। और संस्कार व पुण्यों का उदय होता है।
उन्होंने कहा कथा सुनने का लाभ तभी है जब हम उनकी शिक्षा को अपने जीवन में भी उतारें और उसी के अनुरूप व्यवहार करें। नाम की चिंता छोड़ सिर्फ कर्म करो।मीरा ने प्रभु से प्रीति लगाई और सिर्फ प्रभु भक्ति की। इसलिए मीरा को सभी जानते हैं,मीरा का परिवार तो नहीं रहा,फिर आपके परिवार की पीढ़ियों से आपका नाम कब तक आगे बढ़ेगा। इसीलिए मीरा जैसी भक्ति करो।
कथा में आचार्य ब्रह्मचारी जी,के के भारद्वाज, गोपाल दास शास्त्री, महावीर सिंह,महेंद्र सिंह,हरि दास बाबा, गजेंद्र शर्मा,जगदीश त्यागी, डॉ प्रभात कुलश्रेष्ठ,सत्यदेव शर्मा,नरेंद्र उपाध्याय,अजय पाठक आदि प्रमुख सहित सैकड़ों श्रद्धालु मौजूद रहे।
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