Elephant Rescue News:आज़ादी के 15 साल — ट्रक एक्सीडेंट में घायल हाथी ‘भोला’ ने रची आत्मविश्वास और दृढ़ता की मिसाल

आगरा। पंद्रह साल पहले नोएडा के एक हाईवे पर हुए दुखद सड़क हादसे में गंभीर रूप से घायल होने के बाद हाथी भोला की किस्मत हमेशा के लिए बदल गई। दशकों तक क्रूरता, दर्द और उपेक्षा झेलने के बाद जब वाइल्डलाइफ एसओएस की टीम ने उसे देर रात हाईवे से बचाया, उसी पल से उसकी आज़ादी और स्वाभिमान की नई यात्रा शुरू हुई।


 
आज यह 60 वर्षीय मखना हाथी आज़ादी के 15 साल पूरे कर चुका है और उसकी कहानी साबित करती है कि किसी जानवर को बचाना सिर्फ शुरुआत है, असली आज़ादी उसके बाद मिलने वाली देखभाल और सम्मान में है।

बचाव से पहले भोला का जीवन बेहद दयनीय था। आंशिक रूप से नेत्रहीन यह वृद्ध हाथी उत्तर प्रदेश के गाँवों और गलियों में भीख माँगने को मजबूर था। उसे बुलहुक से मारा जाता था, लंबे समय तक धूप और बारिश में जंजीरों से जकड़ कर रखा जाता था और उसकी बुनियादी जरूरतों तक की अनदेखी होती थी।


2010 में अवैध रूप से राज्य की सीमाओं के पार ले जाए जाने के दौरान रात के अंधेरे में वह एक तेज रफ्तार ट्रक की चपेट में आ गया और गंभीर रूप से घायल होकर सड़क पर गिर गया। सूचना मिलते ही वाइल्डलाइफ एसओएस और उत्तर प्रदेश वन विभाग की संयुक्त टीम मौके पर पहुंची और लंबे और चुनौतीपूर्ण प्रयासों के बाद उसे सुरक्षित मथुरा स्थित हाथी संरक्षण एवं देखभाल केंद्र लाया गया।

केंद्र में पहुंचने के बाद भोला को पहली बार उचित चिकित्सा, आराम और सुरक्षा मिली। उसके पैरों, आंखों और शरीर पर गंभीर चोटें थीं। महीनों तक उसके घावों की नियमित ड्रेसिंग की गई, औषधीय फुट बाथ और विशेष उपचार दिए गए। समय के साथ उसकी शारीरिक स्थिति सुधरने लगी और उसके व्यवहार में भी सकारात्मक बदलाव आने लगे। पहले डरा-सहमा और तनावग्रस्त रहने वाला भोला धीरे-धीरे शांत और आत्मविश्वासी होता गया।

आज भोला अपने नए घर में शांति, सुरक्षा और स्वतंत्रता के साथ जीवन जी रहा है। उसकी सुबह की दिनचर्या में जंगल पथ पर सैर शामिल है, जिसके बाद वह अपने पूल में पानी से खेलकर वक्त बिताता है। उसे खासतौर पर केले, कद्दू, गन्ना और तरबूज बेहद पसंद हैं, जिनका वह बड़े चाव से आनंद लेता है। आज़ादी के 15 साल पूरे होने पर वाइल्डलाइफ एसओएस ने उसके लिए उसके पसंदीदा फलों का विशेष भोज आयोजित किया, जो इस बात का प्रतीक है कि उसके बचाव ने उसे नई उम्मीद और सम्मानजनक जीवन दिया।

वाइल्डलाइफ एसओएस के सह-संस्थापक कार्तिक सत्यनारायण ने कहा कि भोला का जीवन दर्शाता है कि क्रूरता की जगह देखभाल मिल जाए तो जीवन पूरी तरह बदल सकता है। सह-संस्थापक गीता शेषमणि के अनुसार, जब भोला को केंद्र में लाया गया था, तब वह बेहद कमजोर और डरा हुआ था, लेकिन धैर्य, उपचार और प्यार ने उसे फिर से जीवन का अर्थ समझाया। पशु चिकित्सा सेवाओं के उप निदेशक डॉ. इलियाराजा बताते हैं कि भोला को अभी भी नियमित चिकित्सा देखभाल, फुट बाथ और घाव उपचार की जरूरत पड़ती है, लेकिन सकारात्मक कंडीशनिंग ने उसे इंसानों पर भरोसा करना सिखाया है।

भोला की कहानी सिर्फ एक हाथी की कहानी नहीं है, बल्कि इस संदेश का उदाहरण है कि जब किसी पशु को क्रूरता से आज़ादी मिलती है और उसे सही देखभाल मिलती है, तो वह फिर से जीवन जीने की ताकत पा सकता है। उसकी यह यात्रा हर उस पशु के लिए उम्मीद है जो अब भी दर्द और उत्पीड़न से मुक्ति का इंतजार कर रहा है।

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 "Bhola the Elephant Marks 15 Years of Freedom: From Highway Accident Survivor to Symbol of Hope",

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