मथुरा न्यूज : पुनर्वास के 15 साल: मथुरा के दो हाथियों ने पाया स्वतंत्र जीवन और परिवार

मथुरा: मथुरा स्थित वाइल्डलाइफ एसओएस के हाथी संरक्षण एवं देखभाल केंद्र में दो हाथियों ने इस महीने अपनी 15वीं वर्षगांठ मनाई। माया और बिजली, जो कभी सर्कस और सड़कों पर दुर्व्यवहार झेलती थीं, अब सुरक्षित वातावरण में स्वतंत्र जीवन जी रही हैं।

Maya and Bijli elephants at Wildlife SOS Mathura celebrating 15 years of rescue and rehabilitation

माया, जो कभी दर्शकों का मनोरंजन करने के लिए मजबूर हथिनी थी, और बिजली, जो आगरा की सड़कों पर भीख मांगती थी और एक सड़क हादसे में घायल हो गई थी, दोनों को 2010 में वाइल्डलाइफ एसओएस के केंद्र में लाया गया। पिछले 15 वर्षों में उन्होंने विशेषज्ञ देखभाल, प्यार और पुनर्वास के माध्यम से अपने जीवन में उल्लेखनीय बदलाव देखा है।

विश्वास और मित्रता की मिसाल
माया ने अपनी दोस्त फूलकली के साथ गहरा रिश्ता बनाया है, जबकि बिजली चंचल और लक्ष्मी के साथ घनिष्ठ बंधन में है। दोनों हाथियाँ अपने दिन पसंदीदा भोजन खाने, मड बाथ लेने और लंबी सैर करने में बिताती हैं।

Maya and Bijli elephants enjoying a colorful fruit feast at Wildlife SOS Mathura

स्वास्थ्य चुनौतियों के बावजूद खुशहाल जीवन
51 वर्षीय माया की दृष्टि कमज़ोर है और 45 वर्षीय बिजली का पिछला पैर पुराने फ्रैक्चर के कारण विकृत है, लेकिन नियमित उपचार और पोषण के जरिए दोनों स्वस्थ और खुशहाल हैं।

जश्न और सम्मान
15वीं वर्षगांठ पर वाइल्डलाइफ एसओएस टीम ने दोनों हाथियों के लिए भव्य फल भोज का आयोजन किया, जिसमें गन्ना, तरबूज, पपीता, केला, चुकंदर और फूलगोभी जैसे रंग-बिरंगे व्यंजन शामिल थे। यह आयोजन उनके दर्दनाक अतीत से मुक्ति और स्वतंत्र जीवन की ओर सफर का उत्सव था।

Rescued elephants Maya and Bijli taking a mud bath at Wildlife SOS Mathura for their health and enjoyment

विशेषज्ञों की प्रतिक्रिया
कार्तिक सत्यनारायण, सह-संस्थापक और CEO, ने कहा, "माया और बिजली की यात्रा वाइल्डलाइफ एसओएस के सिद्धांतों का प्रतीक है। उनका जीवन हमें याद दिलाता है कि हर रेस्क्यू केवल जीवित रहने की कहानी नहीं, बल्कि आशा की कहानी है।"

गीता शेषमणि, सह-संस्थापक और सचिव, ने कहा, "15 साल पहले माया और बिजली केवल मुश्किलें ही झेल रही थीं। आज वे दया, संगति और सुरक्षा में रहती हैं। यह परिवर्तन हमें और हाथियों के लिए लड़ते रहने की प्रेरणा देता है।"

डॉ. एस इलियाराजा, उप निदेशक, पशु चिकित्सा सेवाएँ, ने कहा, "दर्दनाक चोटों से ग्रस्त हाथियों की देखभाल दीर्घकालिक प्रतिबद्धता मांगती है। 15 वर्षों के समर्पित पुनर्वास के बाद माया और बिजली का स्वस्थ और संतुष्ट होना इसका सबसे बड़ा प्रमाण है।

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