ईद-उल-अजहा पर अमन, इंसानियत और मोहब्बत की मिसाल बनी ताजनगरी : शाही मस्जिद से ताजमहल तक गूंजी दुआएं
नमाज से हुई दिन की शुरुआत, एक-दूसरे को दी मुबारकबाद
ईद की शुरुआत शहर की ऐतिहासिक शाही ईदगाह मस्जिद से हुई, जहां सुबह छह बजे से ही हजारों अकीदमंद जुटने लगे थे। 6:45 बजे शहर मुफ्ती खुबैब रूमी ने नमाज अदा कराई। नमाज के बाद लोगों ने एक-दूसरे को गले मिलकर ईद की बधाई दी और आपसी भाईचारे और मोहब्बत का संदेश दिया।
इसके बाद घर-घर जाकर जकात (दान) दी गई और कुर्बानी की परंपरा निभाई गई।
तकरीर में उठाया वक्फ विवाद, कमेटी में मतभेद पर चिंता
शाही ईदगाह में नमाज के बाद शहर मुफ्ती खुबैब रूमी ने तकरीर के दौरान ईदगाह इंतजामिया कमेटी में चल रहे विवाद को उठाते हुए कहा कि समाज को इस कलह से नुकसान हो रहा है।
दोनों पक्षों ने अलग-अलग कमेटियां बना ली हैं, जिससे वक्फ संपत्ति के प्रबंधन में बाधा आ रही है।
उन्होंने उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड से इस विवाद में हस्तक्षेप कर समाधान निकालने की अपील की।
ड्रोन से निगरानी, चप्पे-चप्पे पर सुरक्षा
ईद के मौके पर प्रशासन पूरी तरह मुस्तैद रहा। ड्रोन कैमरों से निगरानी की गई, वहीं अपर पुलिस आयुक्त रामबदन सिंह, डीसीपी सिटी सोनम कुमार, एसीपी डॉ. सुकन्या शर्मा समेत आला अधिकारी मौके पर मौजूद रहे। सड़क पर नमाज पढ़ने और सार्वजनिक स्थलों पर कुर्बानी पर प्रतिबंध को सख्ती से लागू कराया गया, जिसका अकीदमंदों ने भी पूर्ण सहयोग किया।
जामा मस्जिद में भी उमड़ा जनसैलाब
शाही ईदगाह के बाद जामा मस्जिद में भी हजारों नमाजियों ने 7:15 बजे नमाज अदा की।
इमाम इरफान उल्लाह खां नियाज़ी ने नमाज अदा कराई और बकरीद का महत्व बताया यहां भी पुलिस की चाक-चौबंद व्यवस्था रही। नमाज के बाद गले मिलकर मुबारकबाद दी गई और भाईचारे का शानदार नज़ारा देखने को मिला।
ताजमहल परिसर में भी अदा हुई बकरीद की नमाज, एएसआई ने दी विशेष अनुमति
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) ने विशेष अवसर पर सुबह 7 से 10 बजे तक ताजमहल परिसर में प्रवेश निशुल्क कर दिया था। शाही मस्जिद, फतेहपुरी मस्जिद और संदली मस्जिद में सैकड़ों अकीदमंदों ने नमाज अदा की। हाफिज बुरहान, मौलाना मुर्तजा, और हाफिज जहूर ने अलग-अलग मस्जिदों में नमाज अदा करवाई।
केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (CISF) और ASI के अधिकारियों ने व्यवस्थाओं को सफलतापूर्वक संभाला।
हालांकि, मुख्य मकबरे पर जाने के लिए 200 रुपये का टिकट अनिवार्य रहा।
40 हजार से अधिक घरों में दी गई कुर्बानी, निभाई गई जकात की परंपरा
नमाज के बाद पूरे शहर में कुर्बानी की परंपरा निभाई गई। करीब 40,000 घरों और स्थानों पर भैंस-बकरों की कुर्बानी दी गई। कई स्थानों पर सामूहिक कुर्बानी भी आयोजित की गई।
घरों में बने लज़ीज़ पकवान, तीन दिन तक चलता है मिलन-संवाद
त्योहार के मौके पर घरों में शीर खुरमा, कबाब, बिरयानी, कीमा-परांठा जैसे खास व्यंजन बनाए गए।
रिश्तेदार, परिजन और मित्र एक-दूसरे के घर पहुंचकर ईद की बधाई देते हैं। यह सिलसिला अगले तीन दिन तक चलता है।
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