गुरु तेग बहादुर साहिब के बलिदान को समर्पित कीर्तन समागम में गूंजा श्रद्धा का स्वर, संगतें हुईं नि
आगरा: सिख धर्म के नवें गुरु श्री गुरु तेग बहादुर साहिब जी और उनके तीन सिख साथियों के महान बलिदान की 350वीं वर्षगांठ पर शनिवार को सिकंदरा स्थित ऐतिहासिक गुरुद्वारा गुरु का ताल श्रद्धा, भक्ति और शौर्य की गाथा से गूंज उठा। देशभर से आई हजारों संगतों की उपस्थिति में भव्य कीर्तन समागम का आयोजन हुआ, जिसमें प्रसिद्ध रागी जत्थों, कथा वाचकों और ग्रंथियों ने गुरु साहिब की शहादत को भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की।
पालकी की सवारी के साथ हुआ शुभारंभ
गुरुद्वारा प्रमुख संत बाबा प्रीतम सिंह के नेतृत्व में समागम का शुभारंभ गुरु ग्रंथ साहिब की सवारी के आगमन के साथ हुआ। मंजी साहिब गुरुद्वारे से निकलकर श्रद्धालु भाई नंदलाल हाल तक पालकी लेकर पहुंचे। पालकी के आगे रंजीत अखाड़े के वीरों ने गतका का शानदार प्रदर्शन किया। नगाड़े और नरसिंगा की गूंज के बीच श्रद्धालुओं ने पालकी पर पुष्पवर्षा कर स्वागत किया। दो सेवादार निशान साहिब लेकर चल रहे थे, जो उत्साह और परंपरा का प्रतीक बने।
देशभर के रागी जत्थों ने किया शबद कीर्तन
कार्यक्रम में सबसे पहले दिल्ली के अखंड कीर्तनी जत्थे ने अपनी हाजिरी लगाई। दरबार साहिब अमृतसर से आए हजूरी रागी भाई लखविंदर सिंह, मंदर सिंह और शुभदीप सिंह ने अपने शबद गायन से संगत को भावविभोर कर दिया। नई दिल्ली से आए भाई जसप्रीत सिंह, सोनू वीर, सुरेंद्र सिंह, पटना साहिब से भाई सरबजीत सिंह, जगजीत सिंह बबीहा और मनप्रीत सिंह कानपुरी ने भी मनोहारी कीर्तन प्रस्तुत किया। गुरुद्वारा शीशगंज साहिब, चांदनी चौक से आए हेड ग्रंथी ज्ञानी अंग्रेज सिंह ने संगत के साथ कथा विचार साझा किए।
आठ हजार से अधिक संगत हुई शामिल
गुरुद्वारा गुरु का ताल के मीडिया प्रभारी जसबीर सिंह ने बताया कि दिल्ली से लगभग आठ हजार संगत आगरा पहुंची। इसके अलावा आसपास के जिलों से भी भारी संख्या में श्रद्धालु शामिल हुए। उनके ठहरने और भोजन के लिए गुरुद्वारा प्रशासन की ओर से विशेष व्यवस्था की गई थी। लंगर हाल के अतिरिक्त परिसर में दूध, चाय, शरबत, कोल्ड ड्रिंक और अन्य खाद्य सामग्री के स्टॉल लगाए गए थे। बाबा अमरीक सिंह के नेतृत्व में लंगर सेवा देर रात दो बजे तक चलती रही।
चरन पादुका के दर्शन से निहाल हुई संगत
समागम के दौरान दरबार साहिब में गुरु नानक देव जी और गुरु तेग बहादुर साहिब जी की चरण पादुकाएं संगत के दर्शनों हेतु रखी गईं, जिन्हें आजमगढ़ स्थित निजामाबाद गुरुद्वारे से विशेष रूप से लाया गया था। श्रद्धालु चरण पादुकाओं के दर्शन कर भावविभोर हो उठे।
गुरु तेग बहादुर के बलिदान स्थली से जुड़ी स्मृति
संत बाबा प्रीतम सिंह ने बताया कि इतिहास में दर्ज है कि गुरु तेग बहादुर साहिब ने गुरु का ताल से ही अपने तीन प्रमुख सिख साथियों—भाई मती दास, भाई सती दास और भाई दयाल के साथ गिरफ्तारी दी थी। यहीं से उन्हें दिल्ली ले जाया गया, जहां चांदनी चौक में उनका बलिदान हुआ। यही स्मृति स्थल गुरुद्वारा गुरु का ताल आज भी उस शौर्य की साक्षी है।
लड़ीवार होंगे कार्यक्रम, नगर कीर्तन 13 जुलाई को
गुरु तेग बहादुर साहिब के 350वें बलिदान वर्ष के उपलक्ष्य में वर्षभर विभिन्न धार्मिक कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। अगला बड़ा आयोजन 13 जुलाई को नगर कीर्तन के रूप में होगा, जो आगरा से आरंभ होकर 14 जुलाई को नई दिल्ली स्थित गुरुद्वारा शीशगंज साहिब में संपन्न होगा।
अमृत संचार 22 जून को
22 जून को प्रातः 6 से 9 बजे तक अखंड कीर्तनी जत्थे द्वारा "आसा दी वार" कीर्तन किया जाएगा। इसके पश्चात दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी द्वारा प्रातः 10 बजे अमृत संचार कराया जाएगा। इसके लिए विशेष रूप से पंज प्यारे आगरा आएंगे। अमृत पान करने के इच्छुक श्रद्धालुओं से निवेदन है कि वे सुबह केश स्नान कर समय से मंजी साहिब गुरुद्वारे पहुंचें।
ये रहे मौजूद
इस भव्य आयोजन में वीर महेंद्र पाल सिंह, दलजीत सिंह सेतिया, गुरमीत सेठी, बाबी वालिया, उपेंद्र लवली, श्याम भोजवानी, चौधरी मनजीत सिंह, दलजीत सिंह दुग्गल, बबलू बियानी, गुरमुख बियानी, विकास बियानी, शेर सिंह, बंटी चावला, परमजीत मक्कड़, हरपाल सिंह, बाबी आनंद, हरजिंदर पाल सिंह, राजेंद्र सिंह, बाबा अमरीक सिंह, मठ हरपाल सिंह, ग्रंथी हरबंस सिंह और अजायब सिंह टीटू आदि विशिष्ट जन मौजूद रहे।
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