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खानपुर के वीर सपूत सार्जेंट लाखन सिंह को दी गई अंतिम विदाई
सात वर्षीय बेटे ने दी मुखाग्नि, वायुसेना ने दी सलामी, अंतिम विदाई में भीगी आंखों के साथ बरसे बादल
वीर सपूत सार्जेंट लाखन सिंह को अंतिम विदाई देने को पहुंचे वायुसेना के जवान, दी गई अंतिम सलामी
खेरागढ़ (आगरा) देश की रक्षा में समर्पित वायुसेना के सार्जेंट लाखन सिंह को बुधवार को उनके पैतृक गांव खानपुर में पूरे सैन्य सम्मान के साथ अंतिम विदाई दी गई। जालंधर में ड्यूटी के दौरान अचानक हुई उनकी मृत्यु की खबर से गांव और परिवार में कोहराम मच गया। शव के गांव पहुंचते ही हर आंख नम हो गई, माहौल चीत्कार और करुण विलाप से भर गया।
वायुसेना के जवानों ने अपने साथी को सलामी देकर अंतिम विदाई दी। इस भावुक क्षण में सात वर्षीय बेटे विराट ने अपने पिता की चिता को मुखाग्नि दी, जिसके साथ ही बादल भी बरस पड़े। अंतिम संस्कार के दौरान बारिश से चिता भीगने न पाए, इसके लिए ग्रामीण टीन व तिरपाल लेकर खड़े रहे और जेसीबी से गड्ढा खोदकर पानी की निकासी कराई गई।
जालंधर में हुई मौत, गांव पहुंचा पार्थिव शरीर
थाना खेरागढ़ क्षेत्र के गांव खानपुर निवासी लाखन सिंह (40 वर्ष) पुत्र पुरन सिंह, वायुसेना में सार्जेंट के पद पर तैनात थे। वे 2008 में वायुसेना में भर्ती हुए थे। मंगलवार को जालंधर स्थित ड्यूटी स्थल पर साथी जवानों ने जब उन्हें फोन किया और जवाब नहीं मिला, तो उनके कमरे पर जाकर देखा। वहां लाखन सिंह बेसुध अवस्था में मिले। तत्काल उन्हें मिलिट्री हॉस्पिटल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।
सूचना मिलते ही परिवार में कोहराम मच गया। भाई कमल सिंह व अन्य परिजन मंगलवार देर रात जालंधर पहुंच गए। बुधवार सुबह लगभग आठ बजे वायुसेना के वाहन से उनका पार्थिव शरीर गांव पहुंचा। शव देखते ही पत्नी मीना देवी, बेटी प्रज्ञा (5 वर्ष) और बेटा विराट (7 वर्ष) सहित पूरे परिवार का रो-रोकर बुरा हाल हो गया।
ग्रामीणों और अधिकारियों की मौजूदगी में दी गई अंतिम विदाई
गांव में जब सार्जेंट लाखन सिंह का शव तिरंगे में लिपटा पहुंचा तो पूरा गांव गमगीन हो गया। ग्रामीणों, वायुसेना के जवानों और जनप्रतिनिधियों की उपस्थिति में उन्हें ससम्मान अंतिम विदाई दी गई।
इस अवसर पर एसीपी इमरान अहमद, जिला पंचायत सदस्य अनिल वैध, कांग्रेस जिलाध्यक्ष रामनाथ सिकरवार, ग्राम प्रधान गोविंद सिंह, पूर्व प्रधान हरिपाल सिंह, जितेंद्र प्रधान बुरहरा, गोपाल भगत, नरेश राजपूत, राजकुमार चौधरी सहित सैकड़ों की संख्या में ग्रामीण और गणमान्य लोग मौजूद रहे।
आखिरी विदाई में भी रोया आसमान
अंतिम संस्कार के समय जैसे ही मासूम बेटे विराट ने अपने पिता को मुखाग्नि दी, आसमान में काले बादल उमड़ आए और बारिश शुरू हो गई। ग्रामीण तुरंत टीन व तिरपाल लेकर चिता के ऊपर खड़े हो गए, ताकि बारिश की बूंदें चिता तक न पहुंच सकें। जमीन पर पानी भरने से बचाने के लिए जेसीबी और ट्रैक्टर से गड्ढा खोदकर पानी की निकासी की गई।
पूरा गांव शोक में डूबा
मृतक सार्जेंट लाखन सिंह चार भाइयों और दो बहनों में सबसे बड़े थे। पत्नी मीना देवी और दो छोटे बच्चों के साथ उनका जीवन बेहद सादा और देश सेवा को समर्पित था। गर्मियों की छुट्टियों में उनका परिवार गांव में ही रह रहा था। अचानक हुए इस हादसे से पूरा खानपुर गांव शोक में डूबा है।
सार्जेंट लाखन सिंह को नमन
देश की सेवा में समर्पित वीर सार्जेंट लाखन सिंह के योगदान को कभी नहीं भुलाया जा सकेगा। वायुसेना ने एक कर्तव्यनिष्ठ सैनिक खोया है और खानपुर गांव ने अपना लाल। अंतिम विदाई के साथ पूरा गांव यही कह रहा था—
"वीर तुम भूल न पाएंगे।"
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