Agra News:Major accident outside St. George's School: A van full of children fell into a drain, 11 children injured

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 सेंट जॉर्जेस स्कूल के बाहर बड़ा हादसा: बच्चों से भरी वैन नाले में गिरी, 11 बच्चे घायल

 मची चीख पुकार, भगवान का शुक्र है बच्चे बाल -बाल बच गए

सेंट जॉर्जेस स्कूल सेकेंड यूनिट में छुट्टी के समय एक बड़ा हादसा होते-होते टल गया। इस दौरान 11 बच्चों समेत स्कूली वैन नाले में गिर गई

आगरा:बुधवार दोपहर शहर के बाग मुजफ्फर खां क्षेत्र में स्थित सेंट जॉर्जेस स्कूल सेकेंड यूनिट में छुट्टी के समय एक बड़ा हादसा होते-होते टल गया। वर्षा थमने के कुछ ही देर बाद स्कूल के बच्चों से भरी एक वैन अचानक फिसलकर 15 फीट गहरे नाले में जा गिरी। इस हादसे में 11 बच्चे घायल हो गए, जिनका पास के ही केपी इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज में प्राथमिक उपचार किया गया। राहत की बात रही कि कोई गंभीर चोट नहीं आई और सभी बच्चों को सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया।

कैसे हुआ हादसा?

घटना दोपहर करीब एक बजे की है। स्कूल में छुट्टी होते ही सिकंदरा के पश्चिमपुरी और आवास विकास कॉलोनी के रहने वाले 11 बच्चे वैन में बैठ चुके थे। ड्राइवर राजू ने हैंडब्रेक लगाकर बच्चों के बैग वैन की छत पर लगे लगेज स्टैंड में रख रहा था। इसी दौरान वैन अचानक पीछे की ओर सरक गई और स्कूल के पीछे वाले गेट से टकरा गई। गेट तार से बंधा था, जो वैन की टक्कर से खुल गया और वैन सीधे बगल के नाले में जा गिरी।

स्टाफ और अस्पताल कर्मियों ने दिखाई तत्परता

वैन गिरते ही बच्चों की चीख-पुकार मच गई। मौके पर मौजूद स्कूल स्टाफ और पास के अस्पताल के कर्मचारी तुरंत दौड़े और बिना देर किए राहत-बचाव कार्य में जुट गए। कुछ लोग नाले में कूद गए और वैन की खिड़की खोलकर बच्चों को बाहर निकाला। सभी बच्चों को कीचड़ से सने कपड़ों में ही तुरंत अस्पताल ले जाया गया, जहां प्राथमिक उपचार के बाद कुछ बच्चों को अभिभावकों के साथ भेजा गया, जबकि बाकी को दूसरी वैन से उनके घर पहुंचाया गया।

ड्राइवर का बचाव, स्कूल प्रशासन ने झाड़ा पल्ला

वैन चालक राजू का कहना है कि बच्चों ने खुद वैन का हैंडब्रेक हटा दिया था, जिससे यह हादसा हुआ। वहीं, स्कूल प्रशासन ने इस घटना से खुद को पूरी तरह अलग करते हुए कहा कि वैन ड्राइवर और अभिभावकों के बीच आपसी सहमति से वाहन संचालन होता है, स्कूल की कोई जिम्मेदारी नहीं है।
प्रिंसिपल आशीष हाबिल ने कहा,
छुट्टी के समय बाहर सड़क पर भीड़ और जाम के कारण बच्चों को परिसर के भीतर से वैन में बैठाया जाता है। ड्राइवरों को अभिभावकों की सहमति से अंदर आने की अनुमति है। स्कूल प्रशासन का इन वैनों से कोई सीधा संबंध नहीं है।

न वैन का पंजीकरण, न फिटनेस

हादसे के बाद यह सवाल भी उठ खड़ा हुआ कि क्या वैन का पंजीकरण कमर्शियल था और क्या फिटनेस प्रमाणपत्र मौजूद था? जब इस बारे में स्कूल प्रशासन से पूछा गया, तो उन्होंने साफ शब्दों में कहा कि निजी वैनों की वैधता की जिम्मेदारी स्कूल की नहीं है। जांच में यह बात भी सामने आई है कि नाले में गिरी वैन का रजिस्ट्रेशन कमर्शियल नहीं था।

पेरेंट्स में आक्रोश

हादसे की जानकारी मिलते ही बड़ी संख्या में अभिभावक स्कूल पहुंच गए, लेकिन उन्हें स्कूल परिसर में प्रवेश नहीं दिया गया। इससे नाराजगी भी देखी गई। अभिभावकों ने स्कूल प्रशासन पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए घटना की उच्चस्तरीय जांच की मांग की है। शहर में संचालित निजी स्कूल वैनों की निगरानी और वैधता की जिम्मेदारी आखिर किसकी है? यह सवाल एक बार फिर खड़ा हो गया है। ज़रूरत है कि प्रशासन और शिक्षा विभाग इस पर सख्त कदम उठाएं ताकि भविष्य में कोई बड़ा हादसा न हो।


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