आगरा। मोहर्रम। न्यूज। टूडे। न्यूजट्रैक। हिन्दी। समाचार। उत्तर प्रदेश।
मोहर्रम पर आगरा में निकले मातमी जुलूस, हजारों ताजिए करबला में सुपुर्द-ए-खाक
हुसैन की कुर्बानी की याद में गूंजे ‘या हुसैन’ के नारे, ताजियों के साथ प्रेम, आस्था और भाईचारे की मिसाल पेश की
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जुलूस में शामिल लोग |
आगरा। रविवार को आगरा शहर का माहौल ग़म और श्रद्धा में डूबा रहा। 10 मोहर्रम (रविवार) को हज़रत इमाम हुसैन की शहादत की याद में निकले मातमी जुलूस में हजारों लोग शामिल हुए। शहर की प्रमुख तीन करबला न्यू आगरा, सराय ख्वाजा और ताजगंज में ताजियों को सुपुर्द-ए-खाक किया गया। ताजिए, बुर्राक, अलम और मातमी सवारियों के साथ सड़कों पर जुलूसों का सैलाब उमड़ पड़ा। ‘या हुसैन’ के नारों, ढोल-ताशों और मातमी धुनों के बीच माहौल बेहद भावुक और अनुशासित रहा।
फूलों से सजे ताजिए, श्रद्धा से सजी सड़कें
सुबह 11 बजे नई बस्ती से चौधरी सरफराज की अगुवाई में फूलों से सजा ताजिया निकाला गया, जिसने पूरे शहर में धार्मिक आस्था का संदेश फैलाया। इसके बाद अन्य इलाकों से भी ताजिए निकले। पुरुष, महिलाएं, बच्चे—सभी इस ग़मी में शरीक हुए। शहर की फिज़ा में मातम, और एकता की बेमिसाल तस्वीर देखने को मिली।
जगह-जगह लगा लंगर और शरबत की छाव
ताजियों के स्वागत में शहरवासियों ने कहीं शरबत, कहीं लंगर बांटे। धर्म, जाति से ऊपर उठकर लोग मातमी जुलूस का हिस्सा बने। लंगर में बड़ी संख्या में लोगों ने साथ बैठकर भोजन ग्रहण किया जो भाईचारे की मिसाल बन गया।
ऐतिहासिक जुलूस में प्रेम और बलिदान का पैगाम
आल इंडिया मुस्लिम इत्तेहाद कमेटी की ओर से दोपहर 3 बजे शाहगंज से ऐतिहासिक जुलूस निकाला गया जिसमें सैकड़ों ताजिए और अलम शामिल हुए। इस जुलूस का नेतृत्व सैय्यद अजमल अली शाह चिश्ती कादरी नियाजी ने किया, जबकि अध्यक्ष निसार अहमद और रिहासत अली खान ने संचालन किया। निसार अहमद ने अपने संबोधन में कहा,“हजरत इमाम हुसैन ने धर्म, न्याय और इंसानियत के लिए शहादत दी। वे ज़ुल्म के आगे नहीं झुके। हमें भी समाज में प्रेम, एकता और बलिदान के मूल्यों को अपनाना चाहिए।”इस दौरान डॉ. जाफरी, सैय्यद जैदी, जाकिर अली, अब्दुल शकूर, फैजान अली, आफताब, खलील सहित कई प्रमुख लोग उपस्थित रहे।
ताजियेदारों का स्वागत और सम्मान
आल इंडिया जमीयतुल कुरैश द्वारा मंटोला में ताजियेदारों का भव्य स्वागत किया गया। जिलाध्यक्ष अदनान कुरैशी ने साफा बांधकर और डॉ. सिराज कुरैशी ने शरबत पिलाकर ताजियेदारों का अभिनंदन किया।
मोहम्मद शरीफ कुरैशी ने जानकारी दी कि इस बार ताजियेदारों की संख्या अपेक्षाकृत अधिक रही और शहरवासियों ने पूरे उत्साह से भाग लिया।उपस्थित प्रमुख लोगों में हाजी कदीर, हाजी उन्ना, हाजी अंसार, मोहम्मद फरहान, शालू जफर, मोहम्मद रईस, अली अहमद, मोहम्मद कामरान प्रमुख रहे।
शाहगंज में निकला अनोखा मातमी जुलूस
अंजुमन-ए-पंजतनी शाहगंज की ओर से पुराने इमामबाड़े, चिल्लीपाड़ा से निकले ताजिया जुलूस ने शहर के कई प्रमुख मार्गों से होता हुआ सराय ख्वाजा करबला में समापन किया। रास्ते में मुहल्ला कुरैशियान, लाड़ली कटरा, रुई की मंडी, बारहखंभा रोड, अर्जुन नगर, खेरिया रोड जैसे स्थानों से जुलूस गुज़रा।शाहगंज चौराहे पर युवाओं ने पारंपरिक जंजीर और कमांड का मातम किया, करबला में मौलाना मुदस्सिर हुसैन खान ने कहा हुसैन ने धर्म और इंसानियत की रक्षा के लिए शहादत दी। आशूरा ग़म का दिन है, लेकिन यह हमें बुराई के खिलाफ लड़ने की प्रेरणा भी देता है। जुलूस का संचालन नसीम हैदर जाफरी ने किया। व्यवस्था में मसूद मेहंदी, हुसैन मेहंदी, कौनेन, अमीर जाफरी, शबी जाफरी, अली हैदर जाफरी, डॉ. जाफरी, ताहिर जैदी, लवी अनवर, और मिर्जा प्रिंस जैदी शामिल रहे।
मोहर्रम बना एकता की मिशाल
मोहर्रम पर शहर ने फिर से यह साबित कर दिया कि धर्म और भावना लोगों को जोड़ने का काम करती है। हुसैन की शहादत के बहाने लोगों ने प्रेम, एकता और बलिदान का सबक लिया। पूरे आयोजन के दौरान शांति, अनुशासन की अनूठी मिसाल देखने को मिली।
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