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RO पानी का मायाजाल: शुद्धता के नाम पर जहर बेचने का धंधा सेहत से छल और प्लास्टिक के बढ़ रहे पहाड़
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प्लास्टिक की खाली बोतलों के लगे पहाड़, जो पर्यावरण के लिए खतरा है बृज खंडेलवाल, आगरा |
खूब फल फूल रहा प्लास्टिक की बोतलों का बाजार
RO और बोतलबंद पानी का यह मकड़जाल न सिर्फ़ आम आदमी की जेब काट रहा है, बल्कि उसकी सेहत और पर्यावरण को भी तबाह कर रहा है। यह कोई मामूली मसला नहीं, बल्कि एक व्यवस्थित लूट है, जिसमें कॉरपोरेट, डीलर और यहाँ तक कि सरकारें भी शामिल हैं। "जिस देश में गंगा-यमुना बहती थीं, आज वहाँ प्लास्टिक की बोतलों का बाज़ार फल-फूल रहा है, " सामाजिक कार्यकर्ता पद्मिनी अय्यर कहती हैं। RO कंपनियाँ "99.9% शुद्ध" का नारा देकर लोगों को बेवकूफ़ बना रही हैं। मगर सच्चाई यह है कि यह तकनीक पानी से सिर्फ़ गंदगी ही नहीं, ज़रूरी मिनरल्स भी छीन लेती है। WHO की रिपोर्ट (2017) कहती है कि TDS 100mg/L से कम वाला पानी स्वास्थ्य के लिए ख़तरनाक है, मगर RO वालर का TDS अक्सर 10-30mg/L तक गिर जाता है। यानी, आप शुद्ध के चक्कर में मिनरल्स-रहित, बेजान पानी पी रहे हैं!
हड्डियों को खोखला कर रहा पानी
"जिस पानी को आप 'साफ़' समझ रहे हैं, वह आपकी हड्डियों को खोखला कर रहा है!" कहना है डॉ श्रद्धा का। ICMR के शोध (2020) के मुताबिक, RO पानी पीने वालों में हड्डियों की कमजोरी, इलेक्ट्रोलाइट असंतुलन और पाचन समस्याएँ ज़्यादा देखी गईं। फिर भी, कंपनियाँ मिनरल कार्ट्रिज के नाम पर लोगों को ठग रही हैं। ये सिंथेटिक मिनरल्स शरीर को फ़ायदा नहीं, नुक़सान पहुँचाते हैं। बाज़ार में बिकने वाला सो कॉल्ड मिनरल वाटर भी कोई मिनरल वाटर नहीं, बल्कि फ़िल्टर किया हुआ नल का पानी है, जिसे 15-30 रुपये लीटर में बेचा जाता है! और तो और, प्लास्टिक की बोतलों से माइक्रोप्लास्टिक और BPA जैसे ज़हरीले केमिकल्स पानी में घुलते हैं, जो कैंसर, हार्मोनल असंतुलन और बाँझपन तक का कारण बन सकते हैं। रिवर एक्टिविस्ट चतुर्भुज तिवारी कहते हैं, "ये बोतलें सिर्फ़ पानी की नहीं, ज़हर की भी डिलीवरी कर रही हैं!"
2030 तक 21 बड़े शहरों में भूजल खत्म होने की चेतावनी
पर्यावरणविद डॉ देवाशीष भट्टाचार्य के मुताबिक, "प्लास्टिक का क़ब्रिस्तान और पर्यावरण की बलि दिख रही है। RO और बोतलबंद पानी का सबसे बड़ा अपराध यह है कि यह प्लास्टिक कचरे का पहाड़ खड़ा कर रहा है। हर साल मिलियन्स में प्लास्टिक बोतलें फेंकी जाती हैं, जो नदियों, समुद्रों और ज़मीन को प्रदूषित कर रही हैं। यह प्लास्टिक 500 साल तक नहीं सड़ता और धीरे-धीरे हमारे खाने-पीने की चीज़ों में घुलकर हमें मार रहा है। " हम प्लास्टिक पी रहे हैं, और हमारी आने वाली पीढ़ियाँ इसकी कीमत चुकाएँगी!
एक लीटर शुद्ध पानी के लिए बर्बाद हो रहा 3 लीटर पानी
RO सिस्टम पानी की बर्बादी का बड़ा स्रोत है। एक लीटर शुद्ध पानी के लिए 3 लीटर पानी बर्बाद होता है! नीति आयोग (2018) ने चेतावनी दी थी कि 2030 तक 21 बड़े शहरों का भूजल खत्म हो जाएगा। ऐसे में RO का अंधाधुंध इस्तेमाल जल संकट को और भी गहरा कर रहा है। क्या है विकल्प? बायो डायवर्सिटी एक्सपर्ट डॉ मुकुल पांड्या बताते हैं।वर्षा जल संचयन (Rainwater Harvesting): प्राकृतिक जल स्रोतों को बचाना होगा। क्ले पॉट (मटके) का पानी: यह नैचुरल फ़िल्टर है, जो मिनरल्स को बचाता है। सरकारी नल के पानी की गुणवत्ता सुधार: सरकार को सस्ता, सुरक्षित पानी उपलब्ध कराना चाहिए।
प्लास्टिक बोतलों पर पूर्ण प्रतिबंध:
केरल और हिमाचल ने शुरुआत की है, पूरे देश में लागू होना चाहिए।" RO और बोतलबंद पानी का धंधा : सेहत, पर्यावरण और अर्थव्यवस्था – तीनों को लूट रहा है। हमें इस छलावे को समझना होगा और प्राकृतिक जल स्रोतों की ओर लौटना होगा। वरना, आने वाले समय में पानी सिर्फ़ अमीरों की पहुँच में होगा, और गरीब प्लास्टिक की बोतलों का ज़हर पीने को मजबूर होंगे।
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