Agra news:Why is there blockage in the veins of the legs? Know the reasons, symptoms and prevention in the opinion of an expert doctor Specialist doctor of SN Medical College said that patients of smoking, diabetes and high blood pressure should be cautious

आगरा। हिन्दी। न्यूज। टूडे न्यूजट्रैक। समाचार ।उत्तर प्रदेश।

पैरों की नसों में क्यों हो रहा ब्लॉकेज? जानिए एक्सपर्ट डॉक्टर की राय में कारण, लक्षण और बचाव

एसएन मेडिकल कॉलेज के विशेषज्ञ डॉक्टर ने बताया  धूम्रपान, मधुमेह और हाई बीपी के मरीज रहें सतर्क

ऑपरेशन के दौरान मौजूद डॉक्टर्स की टीम


आगरा|दिल की तरह अब पैरों की नसों में ब्लॉकेज की समस्या तेजी से बढ़ रही है। इसे चिकित्सकीय भाषा में पेरीफेरल आर्टियल डिजीज (Peripheral Arterial Disease - PAD) कहा जाता है। इसमें पैरों को रक्त पहुंचाने वाली धमनियों में वसा, कोलेस्ट्रॉल और अन्य तत्व जमा होने लगते हैं जिससे रक्त प्रवाह बाधित होता है। इसका परिणाम होता है—तेज दर्द, त्वचा का काला पड़ना और गंभीर मामलों में गैंग्रीन की स्थिति।

एसएन मेडिकल कॉलेज, आगरा के कार्डियोथोरेसिक वैस्कुलर सर्जन डॉ. सुशील सिंघल बताते हैं कि यह रोग अब तेजी से सामने आ रहा है और जागरूकता की सख्त जरूरत है। उनके अनुसार, हर सप्ताह ओपीडी में पीएडी के 5 से 6 मरीज पहुंच रहे हैं। कई को तत्काल बाइपास सर्जरी की जरूरत पड़ रही है।


ब्लॉकेज के प्रमुख कारण:

डॉ. सुशील सिंघल के अनुसार, नसों में ब्लॉकेज के मुख्य कारण निम्नलिखित हैं:

  1. धूम्रपान (Smoking):
    • यह सबसे बड़ा कारण है। तंबाकू से रक्त की नलिकाएं सिकुड़ती हैं और दीवारें कठोर हो जाती हैं जिससे ब्लॉकेज जल्दी बनता है।
  2. मधुमेह (Diabetes):
    • लंबे समय तक अनियंत्रित शुगर नसों को नुकसान पहुंचाती है और ब्लॉकेज का खतरा कई गुना बढ़ जाता है।
  3. हाई ब्लड प्रेशर (High Blood Pressure):
    • उच्च रक्तचाप धमनियों की दीवारों पर अतिरिक्त दबाव डालता है जिससे उन्हें नुकसान पहुंचता है और वे संकरी हो जाती हैं।
  4. कोलेस्ट्रॉल और फैट का जमा होना:
    • अधिक वसा और कोलेस्ट्रॉल युक्त खानपान भी नसों को जाम करने में बड़ी भूमिका निभाता है।
  5. गतिहीन जीवनशैली (Sedentary Lifestyle):
    • दिनभर बैठे रहने और व्यायाम की कमी से ब्लॉकेज बनने की आशंका बढ़ती है।
  6. पारिवारिक इतिहास और उम्र:
  • 50 वर्ष से ऊपर और जिनके परिवार में हृदय या रक्तवाहिनी संबंधी रोग रहे हैं, उन्हें अधिक सतर्क रहने की आवश्यकता है।

लक्षण जिन्हें नजरअंदाज न करें:

  • चलने पर पिंडली या जांघ में दर्द
  • आराम करते समय भी पैरों में जलन या झनझनाहट
  • पैरों की त्वचा का ठंडी या नीली पड़ जाना
  • पैरों में घाव का देर तक न भरना
  • पैरों की उंगलियों का काला पड़ना

उपचार और जांच कैसे होती है?

ब्लॉकेज की पुष्टि के लिए निम्न जांचें की जाती हैं:

  • कलर डॉप्लर अल्ट्रासाउंड
  • सीटी एंजियोग्राफी
  • एबीआई (Ankle-Brachial Index) टेस्ट

उपचार में दवाओं के साथ सबसे अहम है – बाइपास सर्जरी। इसमें ब्लॉकेज वाले हिस्से को कृत्रिम धमनी (ग्राफ़्ट) द्वारा बायपास कर खून की आपूर्ति बहाल की जाती है।


समय पर इलाज नहीं होने पर खतरा क्या?

“अगर मरीज समय पर नहीं आता तो ब्लॉकेज बढ़कर गैंग्रीन में बदल सकता है, जिससे पैर काटना ही एकमात्र विकल्प बचता है।”पिछले छह महीनों में 20 मरीजों की बाइपास सर्जरी की गई, जबकि कई गंभीर मरीजों में पैर काटना पड़ा। जनवरी से जून तक करीब 150 मरीजों को परामर्श दिया गया।
डॉ. सुशील सिंघल, वैस्कुलर सर्जन, एसएन मेडिकल कॉलेज



कैसे बचें इस बीमारी से

1- धूम्रपान तुरंत बंद करें

2-शुगर और बीपी को नियमित जांचें और नियंत्रित रखें

3- प्रतिदिन हल्का व्यायाम करें

4-संतुलित आहार लें, तले-भुने और चिकनाई वाले भोजन से परहेज करें

5-पैरों में कोई भी असामान्य बदलाव दिखे तो तुरंत डॉक्टर से मिलें

#PeripheralArteryDisease #LegBlockage #VascularHealth #PADAwareness #DiabetesRisk #SmokingHazards #SNMedicalCollege #AgraHealthNews #BypassSurgery #LegPain #BloodCirculationDisorder


ये भी पढ़ें

Agra News:Now the clothes and sheets of operation theatre will be washed by machine in SN, Dhobi Ghat will be closed


एमसीएच बिल्डिंग के बेसमेंट में लगाई जा रही है अत्याधुनिक बैरियर मैथर्ड लॉन्ड्री मशीन, 15 जुलाई से होगा संचालन

 एसए में पहुंची हाईटेक लॉन्ड्री मशीन इनसे न केवल चादरें धुलेंगी, बल्कि सूखने के साथ ही बैक्टीरिया रहित भी हो जाएंगी।

आगरा।एसएन मेडिकल कॉलेज अब संक्रमण रोकथाम की दिशा में एक बड़ी पहल करने जा रहा है। मरीजों के बेड पर बिछने वाली चादरें और ऑपरेशन थिएटर (ओटी) में उपयोग होने वाले कपड़े अब मशीन से धोए जाएंगे। इसके लिए कॉलेज के स्त्री एवं प्रसूति रोग विभाग की एमसीएच बिल्डिंग के बेसमेंट में बैरियर मैथर्ड लॉन्ड्री सिस्टम स्थापित किया जा रहा है। मशीन से चादरें न केवल धुलेंगी, बल्कि सूखने के साथ ही बैक्टीरिया रहित भी हो जाएंगी। यह व्यवस्था 15 जुलाई से शुरू की जाएगी।


अब तक नाले के पास धोबी घाट में होती थी धुलाई

एसएन मेडिकल कॉलेज और सुपरस्पेशियलिटी विंग मिलाकर करीब 1100 बेड हैं। इनमें से औसतन 700 से अधिक मरीज रोजाना भर्ती रहते हैं। इसके अतिरिक्त परिसर में 24 से अधिक ऑपरेशन थिएटर हैं। अब तक अस्पताल में बेड पर बिछने वाली चादरें और ओटी में इस्तेमाल होने वाले कपड़े कॉलेज परिसर में नाले के पास बने धोबी घाट पर धोए जाते थे। इससे न सिर्फ कपड़ों की स्वच्छता पर सवाल उठते थे, बल्कि बारिश के मौसम में कपड़े ठीक से सूख न पाने के कारण संक्रमण फैलने का खतरा भी बना रहता था।


हर दिन 1000 से अधिक चादरें होंगी साफ

एसएन मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. प्रशांत गुप्ता ने बताया,एमसीएच बिल्डिंग के बेसमेंट में बैरियर मैथर्ड लॉन्ड्री मशीन लगाई जा रही है। इसका ट्रायल सिस्टम तैयार हो चुका है और 15 जुलाई से नियमित संचालन शुरू कर दिया जाएगा। नई मशीनों की मदद से प्रतिदिन 1000 से अधिक चादरें और कपड़े धुल सकेंगे। सबसे बड़ी खासियत यह है कि धुलाई के तुरंत बाद ही कपड़े मशीन में ही सूख जाएंगे और उन्हें बैक्टीरिया मुक्त भी किया जाएगा। इससे ओटी और मरीजों के बेड पर संक्रमण फैलने की संभावना काफी हद तक खत्म हो जाएगी।


हर दिन अलग रंग की चादर और कोडिंग सिस्टम की तैयारी

प्रबंधन अब एसएन में एक और परिवर्तन लाने की योजना पर भी काम कर रहा है। योजना है कि सप्ताह के हर दिन अलग रंग की चादर बेड पर बिछाई जाए, ताकि साफ-सफाई की निगरानी आसानी से हो सके। इसके साथ ही प्रत्येक चादर पर कोडिंग की व्यवस्था भी की जाएगी जिससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि जिस वार्ड की चादर है, वह उसी वार्ड में वापस जाए।


ऑपरेशन के मरीजों को अब नहीं मंगवाने पड़ेंगे कपड़े

अब तक ओटी में होने वाले ऑपरेशनों के लिए मरीजों से सर्जनों और स्टाफ के पहनने के लिए किट मंगवाई जाती थी, लेकिन लॉन्ड्री मशीन की सुविधा शुरू होने के बाद अस्पताल खुद ही ये कपड़े समय से तैयार रखेगा।


संक्रमण रोकथाम की दिशा में बड़ा कदम

बैरियर मैथर्ड लॉन्ड्री सिस्टम को संक्रमण नियंत्रण के लिहाज से अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। यह तकनीक कपड़ों को दो तरफ से अलग-अलग इनपुट और आउटपुट चैंबर से प्रोसेस करती है, जिससे संक्रमित और साफ कपड़ों का संपर्क पूरी तरह समाप्त हो जाता है।


Post a Comment

Previous Post Next Post

Contact Form