गोवर्धन। मथुरा। न्यूज। टूडे न्यूजट्रैक। हिन्दी। समाचार ।उत्तर प्रदेश।
मुड़िया पूर्णिमा मेले पर गिरिराज जी का हुआ विशेष श्रृंगार, रबड़ी से किया गया अभिषेक
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दानघाटी मंदिर पर लगी श्रद्धालुओं की भीड़ |
गोवर्धन:मुड़िया पूर्णिमा मेले के पावन अवसर पर गोवर्धन धाम स्थित प्रसिद्ध दानघाटी मंदिर में गिरिराज महाराज का विशेष श्रृंगार एवं रबड़ी से अभिषेक किया गया। यह आयोजन गिरिराज सेवा की परंपरा, भक्ति और श्रद्धा का अद्वितीय उदाहरण बना। मेला क्षेत्र में देश-विदेश से लाखों श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी, जो इस दिव्य दर्शन को देखकर भाव-विभोर हो उठी।
दानघाटी मंदिर के मुख्य पुजारी मीनालाल पुरोहित ने जानकारी देते हुए बताया कि,
“मुड़िया पूर्णिमा का पर्व गिरिराज महाराज की विशेष सेवा और श्रृंगार का पर्व होता है। लाखों श्रद्धालु इस दिन परिक्रमा करते हैं और गिरिराज जी के दर्शन पाकर अपने जीवन को धन्य मानते हैं। परिक्रमा के बाद गिरिराज महाराज को रबड़ी से स्नान कराकर उनका विशेष श्रृंगार किया जाता है, जिससे उनकी 'परिक्रमा के कारण हुई थकान' दूर हो जाए। यह सेवा हमारी भक्ति की अभिव्यक्ति है।”
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मेले में आये श्रद्धालुओं ने भजन, कीर्तन और परिक्रमा करते हुए वातावरण को भक्तिमय बना दिया। मंदिर प्रांगण को रंग-बिरंगी झालरों, फूलों और दीपों से सजाया गया। गिरिराज महाराज को विशेष पोशाक, फूलों की माला, चंदन-लेपन और रत्नजड़ित आभूषणों से अलंकृत किया गया।
अभिषेक के लिए रबड़ी का प्रयोग इस मान्यता के आधार पर किया गया कि गिरिराज जी ने स्वयं को ब्रजवासियों की सेवा में अर्पित किया है, और मेला काल में करोड़ों भक्तों की परिक्रमा से उन्हें जो "थकान" होती है, उसे रबड़ी स्नान और शांतिदायक श्रृंगार से दूर किया जाता है।
पुलिस और प्रशासन ने की सुचारु व्यवस्था
मुड़िया पूर्णिमा मेले को देखते हुए प्रशासन ने सुरक्षा और यातायात की विशेष व्यवस्था की थी। जगह-जगह पुलिस बल और स्वयंसेवकों को तैनात किया गया। चिकित्सा और जल व्यवस्था के लिए विशेष शिविर लगाए गए।
धार्मिक आस्था और परंपरा का संगम
मुड़िया पूर्णिमा पर गिरिराज जी का यह विशेष श्रृंगार न केवल एक धार्मिक अनुष्ठान है, बल्कि यह ब्रज संस्कृति की जीवंतता, भक्तों की आस्था और सेवा-भाव का प्रतीक भी है। भक्तों का मानना है कि इस दिन गिरिराज जी के दर्शन और परिक्रमा करने से पुण्य की प्राप्ति होती है और मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
goverdhan News# mudia mela# uttar pradeshमुड़िया पूर्णिमा मेला 2025: भक्ति, व्यवस्था और सेवा का अद्वितीय संगम
रेलवे ने चलाईं 7 मेला विशेष ट्रेनें, रोडवेज की 1000 बसें दौड़ीं
श्रद्धालुओं की भीड़, आस्था की लहर और व्यवस्थाओं की परीक्षा
गोवर्धन/मथुरा:गोवर्धन में चल रहा मुड़िया पूर्णिमा मेला अपनी परंपरा, आस्था और श्रद्धालुओं की विशाल भागीदारी के चलते ऐतिहासिक रूप ले चुका है। सोमवार को चौथे दिन वर्षा की धाराओं के बावजूद श्रद्धालुओं की आस्था में कोई कमी नहीं आई। लाखों श्रद्धालुओं ने गिरिराज महाराज की सात कोस परिक्रमा की। वहीं, रेलवे और परिवहन विभाग की ओर से यात्रियों की सुविधा हेतु व्यवस्थाओं में कोई कसर नहीं छोड़ी गई।
सात विशेष ट्रेनें, 750 रोडवेज बसें सेवा में जुटीं
श्रद्धालुओं की बढ़ती भीड़ को देखते हुए रेलवे द्वारा सोमवार को सात मेला विशेष ट्रेनें चलाई गईं, जिनमें चार झांसी, दो कासगंज और एक अलवर के लिए चलाई गईं। इसके अलावा 13 ट्रेनों की दूरी का विस्तार किया गया, जबकि चार ट्रेनों को जंक्शन पर अतिरिक्त ठहराव दिया गया है।
रोडवेज की मनमानी बनी परेशानी का सबब
जहां एक ओर सरकारी व्यवस्थाएं मुस्तैद रहीं, वहीं कुछ असंगठित कार्यों ने ट्रैफिक को अव्यवस्थित कर दिया। शहर में 1000 से अधिक बसों का संचालन किया गया, लेकिन कई बसें रूट डायवर्जन का पालन नहीं कर रही थीं। इससे बीएसए रोड, मंडी चौराहा, गोवर्धन चौराहा, भूतेश्वर तिराहा और एसबीआई चौराहे जैसे प्रमुख स्थानों पर जाम की स्थिति उत्पन्न हो गई।
ट्रैफिक इंचार्ज शौर्य कुमार के नेतृत्व में बीएसए रोड पर 25 बसों के चालान काटे गए, वहीं रोडवेज एआरएम मदन मोहन शर्मा ने बताया कि बस चालकों को रूट पालन का निर्देश दिया गया है। मंगलवार से निगरानी और कड़ी की जाएगी।
इंद्र की वर्षा में भी नहीं थमी श्रद्धा की धार
रविवार रात से लेकर सोमवार सुबह तक हुई मूसलाधार वर्षा के बावजूद श्रद्धालु भीगते हुए गिरिराज जी की परिक्रमा करते रहे। राधे-राधे के जयकारों के बीच हर ओर भक्ति का समंदर उमड़ पड़ा। अब तक लगभग 25 लाख श्रद्धालु गोवर्धन पहुंच चुके हैं, और यह आंकड़ा रोज़ बढ़ता जा रहा है।
श्रद्धालुओं ने कई कुंतल दूध से गिरिराज जी का अभिषेक किया और अपनी श्रद्धा से भोग अर्पित किए। परिक्रमा मार्ग पर जलभराव के बावजूद कोई रुका नहीं। यह मेला केवल आयोजन नहीं, बल्कि आस्था और भक्ति का महासंगम बन गया है।
469 वर्ष पुरानी परंपरा का निर्वहन, संतों ने कराया मुंडन
महाप्रभु मंदिर में सोमवार को मुड़िया संतों द्वारा मुंडन कराकर सनातन परंपरा का निर्वहन किया गया। यह परंपरा श्रीपाद सनातन गोस्वामी की स्मृति में 469 वर्षों से चली आ रही है। संतों में गोपाल दास, विशंभर बाबा, नित्य गौर दास सहित कई प्रमुख संतों ने हिस्सा लिया।
बुधवार को राधा श्याम सुंदर मंदिर में तथा गुरुवार को महाप्रभु मंदिर और राधा श्याम सुंदर मंदिर से दो पारंपरिक शोभायात्राएं निकाली जाएंगी, जो गौड़ीय वैष्णव परंपरा की जीवंत झलक प्रस्तुत करेंगी।
सेवा का अमृत प्रवाह: सात कोस परिक्रमा मार्ग पर भंडारों की बहार
गिरिराजजी की परिक्रमा में जुटे भक्तों की सेवा में हजारों सेवाभावी दिन-रात जुटे हैं। जगह-जगह नींबू पानी, शिकंजी, हलवा-पूड़ी, फलाहार और शीतल जल की व्यवस्था की गई है। भक्त सेवा को ही परम धर्म मानकर जुटे हैं। विशेष रूप से तीन कोड़ी मंदिर के महंत हरिदास बाबा द्वारा राधाकुंड परिक्रमा मार्ग पर एक माह तक अनवरत भंडारा चलाने का संकल्प लिया गया है, जहां प्रतिदिन हजारों श्रद्धालु प्रसाद ग्रहण कर रहे हैं।
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