Agra News : धनौलाकलां गौशाला से रेस्क्यू तेंदुए का शावक, वन विभाग का बड़ा प्रयास सफ

वन विभाग की टीम ने पकड़ा तेंदुए शावक बॉस्केट मेें बंद है.

आगरा: सामाजिक वानिकी प्रभाग आगरा के अंतर्गत एक अनोखा वन्यजीव बचाव अभियान उस समय सफल हुआ जब फतेहाबाद रेंज के धनौला कलां गौशाला केंद्र से बरामद तेंदुए के शावक को उसकी माँ से सुरक्षित मिला दिया गया। यह घटना 22 अगस्त 2025 को सामने आई थी और दो दिन तक लगातार निगरानी और इंतज़ार के बाद 23 अगस्त की रात शावक अपनी माँ से मिल सका।

गौशाला केंद्र से शावक बरामद

प्रभागीय निदेशक, सामाजिक वानिकी प्रभाग आगरा राजेश कुमार ने बताया कि 22 अगस्त को गौशाला केंद्र के एक कमरे से लगभग डेढ़ माह का नर तेंदुआ शावक बरामद किया गया। शावक की बरामदगी की सूचना मिलते ही विभाग ने तुरंत कार्रवाई की और उसे सुरक्षित अपने कब्जे में ले लिया।

किया गया संयुक्त टीम का गठन

बरामदगी के बाद शावक का स्वास्थ्य परीक्षण कराया गया। इसके उपरांत एक संयुक्त टीम का गठन किया गया, जिसमें सामाजिक वानिकी प्रभाग आगरा, राष्ट्रीय चंबल सेंक्चुरी प्रोजेक्ट आगरा और वाइल्ड लाइफ एसओएस के पशु चिकित्सक शामिल रहे। वन्यजीव विशेषज्ञ डा. आर.पी. सिंह से परामर्श लेकर निर्धारित एसओपी (स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर) के अनुसार आगे की कार्यवाही शुरू की गई।

पहली रात का रहा असफल प्रयास

शावक को उसकी माँ से मिलाने के लिए 22/23 अगस्त की रात को उसे उसी स्थान पर टोकरी (बॉस्केट) में रखा गया जहां से उसे बरामद किया गया था। टीम ने थर्मल बाइनाक्यूलर (आईआर तकनीक) की मदद से लगातार निगरानी की, लेकिन पूरी रात इंतज़ार करने के बावजूद तेंदुआ माँ नहीं आई।

टीम ने ली राहत की सांस

टीम ने हार न मानते हुए 23/24 अगस्त की रात को पुनः वही प्रक्रिया अपनाई। रात करीब 9 बजे शावक बॉस्केट के अंदर हिलने-डुलने लगा और आवाज़ें निकालने लगा। इसके कुछ ही देर बाद, लगभग 9:35 बजे  शावक टोकरी से बाहर निकला और पास की झाड़ियों की ओर भागा जहां उसकी माँ मौजूद थी। यह दृश्य बेहद हृदयस्पर्शी था। माँ और शावक को सुरक्षित झाड़ियों में जाते देख पूरी टीम ने राहत की सांस ली।

थर्मल बाइनाक्यूलर (आईआर तकनीक) की मदद से लगातार की गई निगरानी . 

पूरी रात चला सर्च ऑपरेशन

टीम ने पूरी रात स्थल पर सघन निगरानी की और सवेरा होने पर विस्तृत सर्च ऑपरेशन भी चलाया, लेकिन शावक और उसकी माँ आसपास नहीं दिखाई दिए। यह संकेत था कि दोनों सुरक्षित क्षेत्र में चले गए हैं।


यह घटना न केवल एक शावक को बचाने की सफलता है बल्कि वन्यजीव संरक्षण के क्षेत्र में एक बड़ी उपलब्धि है। आधुनिक तकनीक और विशेषज्ञों की देखरेख में चला यह अभियान वन्यजीवों के संरक्षण और मानव-वन्यजीव संघर्ष को संतुलित करने की दिशा में महत्वपूर्ण साबित हुआ है।

तेंदुआ शावक काे दूध पिलाते टीम के सदस्य

प्रभागीय निदेशक राजेश कुमार ने कहा इस तरह के प्रयास न केवल वन्यजीवों की रक्षा करते हैं बल्कि हमारे पारिस्थितिक तंत्र को भी मजबूत बनाते हैं। तेंदुए के शावक का अपनी माँ से मिलना आगरा में वन्यजीव संरक्षण के इतिहास में एक उल्लेखनीय घटना है |

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