उटंगन नदी के जलस्तर,तटीय क्षेत्रों में जल विस्तार आदि की जानकारियां तलब हों
आगरा। फतेहाबाद तहसील के रेहावली गांव और बाह तहसील के रीठे गांव के बीच बांध बनाये जाने की योजना के लिये रुड़की विश्वविद्यालय या किसी अन्य आऊट सेार्सिंग एजेंसी से सर्वे कर कार्ययोजना तैयार करवायी जाये।सिविल सोसायटी ऑफ़ आगरा ने कहा है कि रेहावली गांव में उटंगन नदी पर बांध बनाये जाने के लिये पिछले चार साल से जिला पंचायत अध्यक्ष के माध्यम मुद्दा उठाया हुआ है किंतु आगरा कैनाल के अधिशासी अभियंता लोअर खंड के द्वारा इस मामले में पूरी तरह से उदासीनता बरती जा रही है।जिला पंचायत अध्यक्ष डॉ. मंजू भदौरिया के समक्ष अपनी मांग रखते सिविल सोसायटी ऑफ़ आगरा के पदाधिकारी
उठाया जाएगा जरुरी कदम
जिला पंचायत अध्यक्ष डॉ मंजू भदौरिया ने कहा है कि वह सिंचाई बंधु की अध्यक्ष है, जो कि जनपद की पानी से संबंधित समस्याओं के समाधान और शासन की योजनाओं के क्रियान्वित करवाये जाने के प्रति गंभीर है।यथा संभव जलसंचय सरकार का लक्ष्य है।कोशिश करेंगी कि रेहावली बांध योजना की परिकल्पना क्रियान्वित हो।अधिकारियों से फीडबैक मिलने पर जो भी उपयुक्त होगा कदम उठायेंगी। उन्होंने कहा कि प्रथम दृष्टया:उन्हें लगता है कि रेहावली बांध भूगर्भ जल की स्थिति में सुधार और विपुल जलराशि का संचय बहु उपयोगी है।इससे बटेश्वर तीर्थ संबंधित पर्वों पर डिजॉल्व ऑक्सीजन (DO ) आदि की कमी व अन्य प्रदूषणों से जूझती यमुना नदी में पानी डिसचार्ज किया जाना संभव होगा।
इंजीनियर के तर्क
उटंगन नदी के मानसून कालीन उफान को थामने के लिए जब भी लोअर खंड के अधिशासी अभियंता से सिविल सोसायटी ऑफ़ आगरा के प्रतिनिधियों ने सीधे संपर्क किया या सिंचाई विभाग के अधिकारियों तक जनपहुंच के लिये निर्धारित जिला सिंचाई बंधु के माध्यम से बांध को बनाये जाने की जरूरत संज्ञान में लिये जाने का अनुरोध किया, गंभीरता से नहीं लिया गया। अधिशासी अभियंता ने तथ्यपरक जानकारियां दिये जाने के स्थान पर कभी कहा कि ‘ आप लघु सिंचाई विभाग’ से चैकडैम बनवालो, कभी कहते हैं कि यहां डैम बनने का सवाल ही नहीं, वह नहीं बनायेंगे।लेकिन जो कहते रहे हैं,वह अब तक लिखकर नहीं दिया है।सबसे दिलचस्प तथ्य है कि ड्रोन मैपिंग में उटंगन भरपूर जलराशि युक्त दिखने के बावजूद उन्होंने उदासीनता को बरकरार रखा है।
उटंगन जनपद की बडी नदी है
सामान्यत: चेकडैम छोटी नदियों ,विशेषकर स्थानीय कैचमेंट और वाटरशेड से पोषित नालों आदि पर सीमित उद्येश्यों के लिये ही बनाये जाते हैं,जबकि उटंगन नदी मानसून कालीन विशाल प्रवाह के साथ बहती है,जो किसी भी स्थिति में लघु सिंचाई विभाग के द्वारा बनाये जाने वाले चेक डैम के उपयुक्त नहीं है। फतेहपुर सीकरी विकासखंड के सिरौली गांव से नदी की मुख्य शाखा (खनुआ बांध) के डिस्चार्ज के रूप उ प्र की सीमा ( आगरा जनपद ) में प्रवेश करती है,वहीं एक अन्य शाखा वोकोली एस्केप (खनुआ बांध)से प्रवेश करती है।नदी दोनों ही धाराएं फतेहपुर सीकरी -हाई वे रूपवास रोड के पुल के अपस्ट्रीम में मिलकर डाबर गांव (फतेहपुर सीकरी विकास खंड) बडी जलधारा का रूप ले लेती है।
जब अधिशासी अभियंता से कहा जाता है कि राजस्थान से आने वाली जलधारा के अतिरिक्त खेरागढ़,फतेहाबाद तथा राजस्थान के धौलपुर जिले के राजाखेड़ा विकासखंड से आने वाली विशाल जल राशि को यमुना नदी के मानसून कालीन उफान में बहने से थामने के लिए डैम बनाया जाना ही व्यवहारिक है। तब कहते हैं कि जब तक सिंचाई के लिये नहर नहीं बनेगी , तब तक डैम नहीं बनायेंगे। जब उनसे कहा गया कि गोकुल बैराज से तो कोई नहर नहीं निकलती है,नहीं यमुना नदी पर बन रही ताज बीयर से ही कोई नहर नहीं निकलेगी ।इसी प्रकार यमुना नदी के अपर खंड के आधीन फंक्शनल जय प्रकाश बैराज सेतु (ITO बैराज ) और गंगा नदी पर बने कानपुर बैराज से भी कोई नहर नहीं निकलती है,तब वह कहते हैं कि उ प्र सरकार की नीति है।लेकिन वह न तो शासन की नीति संबधी गजट या सिंचाई विभाग के मैन्युअल के उन पेजो को अब तक उपलब्ध नहीं करवा सके हं,जिनमें बांध बनाये जाने के लिए नहर बनाये जाने की बाध्यता उल्लेखित हो।वैसे भी जल शक्ति मंत्रालय भारत और उप्र जल शक्ति मंत्रालय की प्रचलित नीति बूंद बूंद पानी को संचित करने की है, रेन वाटर हार्वेस्टिंग को अनिवार्यरता के दायरे में लाया जा चुका है।
ग्राउंडवाटर लेवल में होगा सुधार
नहर निकले या नहीं किंतु भूजल तीसरे स्टेटा तक पहुंच , मैकेनिकल जल दोहन को भूजल विभाग से नई अनुमति मिलना भी मुश्किल हो गया है। अगर उटंगन पर डैम बन गया तो अति दोहित श्रेणी के पिनाहट,शमशाबाद, राजाखेड़ा(राजस्थान ),बरौली अहीर आदि विकास के के अलावा बाह विकास खंड के अनेक गांवों के भू जलस्तर में अप्रत्याशित सुधार हो जायेगा।सिंचाई विभाग के अभियंता ने महत्वपूर्ण जानकारी में बताया कि अब उ प्र सरकार ने हैंड पंप लगाये जाने पर रोक लगा दी है, जब कि वस्तुस्थिति यह है कि भूजल स्तर गिरने से हैंडपंप काम करना बन्द कर चुके है। यही नहीं उत्तर प्रदेश में जल निगम ग्रामीण क्षेत्रों में पीने के पानी की समस्या को कम करने के लिए नए हैंडपंप लगाने और पुराने हैंडपंपों की मरम्मत की दिशा में सक्रिय प्रयास कर रहा है, अब इसके लिये CSR फंड का उपयोग भी शामिल शामिल किया जा चुका है।
उटंगन का कोई आंकड़ा नहीं
उटंगन नदी जनपद की बाढ़ नियंत्रण योजना में शामिल जनपद की यमुना और चंबल नदी के बाद सबसे बड़ी तीसरी नदी जरूर है किंतु इसके प्रबंधन का दायित्व रखने वाले सिंचाई विभाग के पास उसके वाटर लेवल,जल विस्तार क्षेत्र संबंधित सिरौली गांव के डाउन के आंकड़े नहीं हैं।जो कि शासन की नीति के सर्वथा प्रतिकूल है।इंटर स्टेट रिवर होने के बाबजूद सिंचाई विभाग ने उटंगन नदी का पानी खनुआ डैम (बाबन मोरा) के अपस्ट्रीम में रोके जाने को लेकर न तो कोई आपत्ति की और नहीं शासन को ही दिशा निर्देश प्राप्त करने के लिए इसकी जानकारी दी।
उपलब्धता को नकारने का कारण
सिंचाई विभाग के अधिशासी अभियंता रेहावली गांव में बांध बनाये जाने की योजना को शासन के संज्ञान में क्यों नहीं लाने दे रहे यह तो वही जानें किंतु प्रत्यक्ष रूप से इसका कारण उदासीनता और दायित्व निरवाहन से विरक्ता ही प्रतीत होती है।शासन की बूंद बूंद जल संचय नीति के प्रतिकूल योजना को ठंडे बस्ते में डालने से पूर्व जनपद के प्रशासनिक अधिकारियों तक को जानकारी देना उचित नहीं समझा जो अपने आप में विचारणीय है।
सिविल सोसायटी ऑफ़ आगरा के प्रतिनिधियों ने जिला पंचायत अध्यक्ष डा मंजू भदौरिया से 9 जून को जिला पंचायत स्थित उनके कार्यालय में हुई अपनी नवीनतम मुलाकात में कहा कि सिंचाई विभाग के अधिशासी अभियंता बहुउपयोगी रेहावली बांध योजना को लेकर जो भी अलिखित जानकारियां दे रहे है,सिविल सोसायटी ऑफ़ आगरा उन्हें भ्रमक व अपूर्ण मानती है।सिविल सोसायटी ऑफ़ आगरा के सेक्रेटरी अनिल शर्मा ,राजीव सक्सेना और असलम सलीमी आदि ने अनुरोध किया कि अधिशासी अभियंता के पास उटंगन नदी संबधी सिरौली और वोकोली हैडवर्क्स के डाउन में जो भी आंकडे रिकार्ड में है,उन्हें तलब करें तथा रेहावली में बांध योजना को बनाने का कार्य भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) रुडकी से करवाये जाने के लिये प्रयास करें।
उटंगन में रहती है,जल की भरपूरता
उटंगन नदी जयपुर की बैराठ पहाड़ियों से निकलती है, विंध्य पहाड़ी श्रृंखला की करौली जनपद तक विस्तृत निचली पहाड़ियों (राजस्थान)से निकलने वाली जलधाराओं को समेटते हुए 288 कि मी लम्बे बहाव वाली इंटरस्टेट नदी है।जो कि फतेहपुर सीकरी विकास खंड के सिरौली गांव से आगरा जनपद में प्रवेश कर लगभग 80 कि मी दूरी तय कर रेहावली गांव में यमुना नदी में मिल जाती है। उ प्र के टेल वाले भाग में यमुना नदी में गिरने से पूर्व जगनेर की 37 बंधियों, किबाड नदी ,खारी नदी,वेस्टर्न डिप्रेशन ड्रेन,पार्वती नदी और आगरा कैनाल के टर्मिनल राजवाह का डिस्चार्ज इसमें समाता है। मानसून काल में जब भी यमुना नदी जवाहर पुल आगरा पर लो फ्लड लेवल पार कर लेती है,उटंगन नदी में पानी बैक मारना शुरू हो जाता है। बैक मारने वाला यह पानी लगभग 17 कि मी तक (बाह तहसील का अरनौट रेलवे पुल)तक यह पानी पहुंच जाता है और मानसून काल के बाद भी बीहडी क्षेत्र व डूब क्षेत्र में इसका ठहराव रहता है।
6 अरब घन मीटर पानी बह जाता है
अनुमानों के अनुसार यह जलराशि लगभग 6 अरब घन मीटर से अधिक होती है।इसी को बांध बनाकर जरूरत के सापेक्ष संचित करने की मांग सिविल सोसायटी ऑफ़ आगरा के द्वारा की जाती रही है।इस पानी का उपयोग भूगर्भ जल रिचार्ज के अलावा शमाशाबाद,फतेहाबाद कस्बों की पेयजल जरूरत के लिये तो संभव है ही ,साथ ही आंगई डैम पैटर्न (सर मथुरा -राजस्थान) प्रबंधित कर द्वितिय प्रथमिकता वाले फतेहाबाद रोड होटल कांप्लैक्स तक लाया जा सकता है।
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