आगरा। बालाजीपुरम स्थित चिरंजीव सेवा सदन में चल रही सात दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा के दूसरे दिन मंगलवार को विभिन्न कथाओं के प्रसंग सुनाए गए।इसमें प्रमुख रूप से ध्रुव चरित्र, प्रह्लाद चरित्र, सती चरित्र, कुंती चरित्र और भीष्म चरित्र जैसे प्रसंगों को व्यासपीठ से बताते हुए संत रामप्रपन्नाचार्य महाराज ने कहा कि भागवत कथा श्रवण से भक्ति, ज्ञान, वैराग्य और त्याग की प्रेरणा मिलती है और मन की व्यथा दूर हो जाती है।
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कथा व्यास संत रामप्रपन्नाचार्य महाराज |
श्रीमद् भागवत तो दिव्य कल्पतरु है, यह अर्थ, धर्म, काम के साथ साथ भक्ति और मुक्ति प्रदान करके जीव को परम पद प्राप्त कराता है। श्रीमद् भागवत केवल पुस्तक नही साक्षात श्रीकृष्ण स्वरुप है। इसके एक एक अक्षर में श्रीकृष्ण विराजमान है। इसके तट पर आकर जो विराजमान हो जाता है उससे श्री कृष्ण स्वयं मिलने आते हैं। इससे जो कुछ भी मांगा जाता है, वह मनवांछित फल देता है और जो कुछ नहीं मांगते, उन्हें मोक्ष प्रदान करता है।
कार्यक्रम में आचार्य ब्रह्मचारी, केके. भारद्वाज, किशन स्वरूप लवानिया, महेंद्र सिंह मास्टर, जय नंदन सिंह, ईश्वरी प्रसाद, महावीर सिंह, रघुवीर दास, अर्जुन भक्तमाली सहित सैकड़ों श्रद्धालु उपस्थित रहे।कार्यक्रम का वातावरण भक्तिमय और प्रेरक रहा, जिसमें श्रद्धालुओं ने पूरी श्रद्धा और भक्ति के साथ कथा श्रवण किया।
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