आगरा। सूरसदन प्रेक्षागृह में मंगलवार की शाम हास्य से सराबोर रही। अवसर था हम ललित कला मंच, विनय पतसारिया स्मृति समारोह समिति और इनक्रेडिबल इंडिया फाउंडेशन द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित सांस्कृतिक संध्या का, जिसमें गुजरात के रंगकर्मियों ने मराठी के प्रसिद्ध नाटककार जयवंत दलवी की कहानी पर आधारित हिंदी नाटक अरे शरीफ लोग का मंचन किया।
नवनीत चौहान के निर्देशन में प्रस्तुत इस नाटक ने दर्शकों को हंसी से लोटपोट कर दिया। ‘कृष्णा बिल्डिंग’ नामक सोसायटी में रह रहे चार अधेड़ उम्र के पुरुषों अनोखेलाल, पंडित सीताराम, बिहारीलाल और डॉक्टर घटक की जिंदगी तब अचानक अस्त-व्यस्त हो जाती है, जब पड़ोस में खूबसूरत और चंचल स्वभाव की युवती चंदा रहने आती है। ये चारों अपने आप को शरीफ मानने वाले पुरुष, चोरी-छिपे चंदा पर नजर रखते हैं और उसे खुश करने के हास्यास्पद जतन करते हैं।
चंदा के शोख अंदाज और उसके भेजे गए एक खुशबूदार पत्र से उनकी दुनिया उलझन में पड़ जाती है। नाटक इन उम्रदराज पुरुषों की मानसिकता और सामाजिक व्यंग्य को मजाकिया ढंग से पेश करता है।
कलाकारों में नवनीत चौहान (निर्देशक एवं अनोखेलाल), दीप्ति चौहान (लक्ष्मी), प्रदीप कुमार (पंडित जी), वेद कुमारी (कलावती), चेतन पटेल (डॉक्टर घटक), सीमा राठौर (सरला जी), विजय (बिहारीलाल), धर्मदेव (गोपी), सेन शर्मा (नौकर), सागर (मकान मालिक), इति चौहान (चंदा), सेलेना जॉन (लाइट एंड साउंड), अनिल चौहान (नाट्य संयोजन) और विपिन शर्मा (प्रोडक्शन कंट्रोलर) की भूमिकाएं उल्लेखनीय रहीं।
कार्यक्रम की शुरुआत वरिष्ठ रंगकर्मी विनय पतसारिया की स्मृति में उनके जीवन पर आधारित डॉ. महेश धाकड़ निर्देशित डॉक्यूमेंट्री से हुई, जिसने दर्शकों को भावुक कर दिया। शुभारंभ विनय पतसारिया के चित्र पर माल्यार्पण और पुष्पांजलि अर्पित करके किया गया। अतिथियों का स्वागत डॉ. रेखा पतसारिया, डॉ. शशि तिवारी, डॉ. अपर्णा पोद्दार, डॉ. ममता सिंह, डॉ. महेश धाकड़, सत्यव्रत मुदगल, नीरज अग्रवाल, चंद्र शेखर, राजीव कुलश्रेष्ठ, चित्राक्ष शर्मा, अभिनव शर्मा, राजीव सिंघल, राहुल गोयल, सचिन गोयल, राम मोहन दीक्षित, अजय शर्मा और ब्रजेश शर्मा ने किया। मंच संचालन हरीश सक्सेना ‘चिमटी’ ने किया।
शशि शेखर को मिला विनय पतसारिया स्मृति सम्मान
इस अवसर पर विनय पतसारिया स्मृति सम्मान वरिष्ठ पत्रकार शशि शेखर को प्रदान किया गया। छात्र जीवन में हम ललित कला मंच संस्था से जुड़कर उन्होंने रंगमंच पर सक्रिय भूमिका निभाई थी।
मुंबई जाना छोटा काम, रंगमंच सहेजना बड़ा काम
कार्यक्रम में अभिनेत्री जूही बब्बर ने कहा कि किसी कलाकार के लिए मुंबई जाना छोटा काम है, लेकिन अपने शहर में रहकर रंगमंच को जीवित रखना बहुत बड़ा काम है। विनय पतसारिया ने आगरा में रहकर वही काम किया। उन्होंने स्व. राम गोपाल सिंह चौहान से मिली रंगमंच की विरासत को सहेजने में अपना जीवन समर्पित किया।
अतीत चला जाता है, वर्तमान में भविष्य गढ़ना होता है
अध्यक्षीय संबोधन में वरिष्ठ पत्रकार और हिंदुस्तान के चीफ एडिटर शशि शेखर ने कहा कि हमारा असली पता अतीत होता है। सबकी यात्राएं अलग-अलग हैं, पर अंततः सब समुंदर में जाकर मिलती हैं। विनय पतसारिया अपने जीवन की यात्रा पूरी कर गए हैं। अब हमें वर्तमान में रहकर भविष्य को गढ़ना होगा।
विनय पतसारिया बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे
मुख्य अतिथि और वरिष्ठ उद्यमी पूरन डावर ने कहा कि विनय पतसारिया में मंच संचालन, अभिनय और निर्देशन की अनूठी क्षमता थी। वे आगरा के रंगमंच की आत्मा थे। अन्य अतिथियों में शारदा ग्रुप के वाइस चेयरमैन वाई.के. गुप्ता और प्रील्यूड पब्लिक स्कूल के एमडी डॉ. सुशील गुप्ता भी उपस्थित रहे।
#AreShareefLog #SoorsadanAgra #AgraCulture #HindiTheatre #VinayPatsariaMemorial #JuhiBabbar #ShashiShekhar #ComedyPlay #TheatreLovers #CulturalEvent