भारतीय ज्ञान परंपरा से जोड़ने के लिए आगरा विश्वविद्यालय में नई पहल
आगरा। डाॅ. भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय, आगरा के इतिहास एवं संस्कृति विभाग में शनिवार से सर्टिफिकेट कोर्स इन भगवद्गीता की शुरुआत की गई। कुलपति प्रो. आशु रानी के निर्देशानुसार प्रो. बीडी. शुक्ला ने इसका शुभारम्भ किया। यह कोर्स विभाग द्वारा स्ववित्तपोषित योजना के अंतर्गत संचालित किया जा रहा है।
कुलपति प्रो. आशु रानी ने बताया कि तीन माह की अवधि वाला यह कोर्स राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अनुरूप भारतीय ज्ञान परंपरा के प्रसार और जागरूकता को बढ़ावा देगा। इसके माध्यम से छात्रों को श्रीमद्भगवद्गीता से धर्म, संस्कृति और जीवन के शाश्वत मूल्यों की शिक्षा मिलेगी।
कोर्स की मुख्य विशेषताएँ
- पात्रता: किसी भी विषय में स्नातकोत्तर उपाधि
- अवधि: 03 माह
- शुल्क: 5000 रुपये (पूरे कार्यक्रम हेतु)
- अनिवार्यता: परीक्षा में सम्मिलित होने के लिए 75% उपस्थिति आवश्यक
- प्रमाणपत्र: विभागाध्यक्ष एवं कला संकाय अधिष्ठाता के संयुक्त हस्ताक्षर से प्रमाणपत्र जारी होगा
ये पाठ़यक्रम में होगा शामिल
कोर्स में भगवद्गीता की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि, पात्र परिचय, गीता में प्रतिपादित विषय और उसकी महत्ता पर अध्ययन कराया जाएगा। इसमें कर्म योग (विषाद योग, सांख्य योग, बुद्धि योग, कर्म योग), ज्ञान योग (ज्ञान की विभिन्न धाराएँ, ज्ञान की सिद्धि, बुद्धिमान व्यक्ति के लक्षण) और भक्ति योग (ईश्वर की पहचान, ऐश्वर्य, प्राप्ति के मार्ग, भक्ति सेवा) शामिल किए गए हैं।
कोर्स के अंतर्गत छात्रों को एकदिवसीय भ्रमण (Excursion Tour) का अवसर भी मिलेगा, जिससे उन्हें व्यावहारिक अनुभव प्राप्त होगा। खास बात यह रही कि कार्यक्रम में विदेशी छात्रों ने भी प्रवेश लिया है, जिससे इसे अंतरराष्ट्रीय स्वरूप प्राप्त हुआ है।
इतिहास एवं संस्कृति विभाग के अनुसार, यह कोर्स युवा पीढ़ी को भारतीय संस्कृति की ओर प्रेरित करने के साथ-साथ जीवन के गूढ़ सिद्धांतों और मूल्यों को समझने में सहायक सिद्ध होगा। कोर्स इस्कॉन (ISKCON) के साथ हुए एमओयू. के अंतर्गत संचालित होगा।
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