आगरा। उत्तरी बाइपास के शुरू होते ही शहर की सुरक्षा व यातायात व्यवस्था को लेकर नई उम्मीदें जागी हैं। अधिवक्ता एवं सड़क सुरक्षा कार्यकर्ता के.सी. जैन ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ व मुख्य सचिव को पत्र लिखकर NH-19 के शहरी हिस्से में गैर-गंतव्य भारी वाहनों के प्रवेश पर धारा 115 मोटर वाहन अधिनियम के तहत तत्काल प्रतिबंध लगाने की माँग की है।
उनका कहना है कि जब तेज़, सिग्नल-मुक्त और सुरक्षित उत्तरी बाइपास व यमुना एक्सप्रेसवे का वैकल्पिक मार्ग मौजूद है, तब NH-19 से भारी वाहनों का शहर के बीच से गुजरना न केवल अनावश्यक है बल्कि दुर्घटनाओं, जाम और प्रदूषण का बड़ा कारण भी है।
उत्तरी बाइपास के शुरू होते ही NH-19 से भारी वाहनों को डायवर्ट करने की माँग तेज हो गई है। शहर में सड़क दुर्घटनाओं और जाम से राहत दिलाने के उद्देश्य से अधिवक्ता एवं सड़क सुरक्षा कार्यकर्ता के.सी. जैन ने प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और मुख्य सचिव को पत्र भेजकर आग्रह किया है कि अब NH-19 के शहरी हिस्से—रामबाग, भगवान टॉकिज़, कमला नगर और सिकंदरा में गैर-गंतव्य भारी वाहनों के प्रवेश पर धारा 115 मोटर वाहन अधिनियम के तहत तत्काल रोक लगाई जाए।
जैन ने कहा कि वर्षों से NH-19 का यह शहरी खंड भारी वाहनों के कारण जाम, प्रदूषण और गंभीर दुर्घटनाओं से प्रभावित रहा है। ये ट्रक व ट्रेलर न तो शहर में कोई माल उतारते हैं और न लादते हैं, फिर भी स्कूलों, बाज़ारों और आवासीय इलाकों के बीच से होकर गुजरते हुए हजारों लोगों की जान को जोखिम में डालते हैं।
उन्होंने बताया कि स्थिति अब पूरी तरह बदल चुकी है। नया उत्तरी बाइपास सीधे यमुना एक्सप्रेसवे से जुड़ चुका है, जिससे भारी वाहनों के लिए एक तेज़, सुरक्षित और सिग्नल-मुक्त मार्ग उपलब्ध हो गया है। NH-19 से निकलकर यह बाइपास 17.5–18 किमी लंबा है, जिसे भारी वाहन 15–18 मिनट में पार कर लेते हैं और सीधे यमुना एक्सप्रेसवे के किमी-141 पर पहुँचते हैं। यहाँ से वे 24–25 किमी की एक्सप्रेसवे यात्रा के बाद NH-19 (कुबेरपुर) पर वापस उतरकर अपनी यात्रा आगे बढ़ा सकते हैं। कुल मिलाकर यह मार्ग 35–40 मिनट में पूरा हो जाता है और इसमें किसी जाम या भीड़भाड़ का सामना नहीं करना पड़ता।
इसके विपरीत, पुराने शहर मार्ग—रामबाग से भगवान टॉकिज़, बाइपास और सिकंदरा होते हुए—भारी वाहनों को 30–35 किमी का सफर करना पड़ता था, जिसमें 45–60 मिनट या उससे अधिक समय लगता था। इसके साथ ही दुर्घटनाओं और जाम का जोखिम भी बना रहता था।
जैन ने तर्क दिया कि जब एक पूरी तरह विकसित हाई-स्पीड वैकल्पिक मार्ग मौजूद है, तब NH-19 के घनी आबादी वाले हिस्से में भारी वाहनों का प्रवेश “पूर्णतः अनावश्यक, अव्यावहारिक और खतरनाक” है। उन्होंने धारा 115 मोटर वाहन अधिनियम का उल्लेख करते हुए कहा कि यह प्रावधान राज्य सरकार को सार्वजनिक सुरक्षा और सड़क की स्थिति को ध्यान में रखते हुए किसी भी वर्ग के वाहनों पर प्रतिबंध लगाने का अधिकार देता है।
उन्होंने बताया कि आगरा डेवलपमेंट फाउंडेशन की एक याचिका वर्ष 2020 से सर्वोच्च न्यायालय में लंबित है, जिसमें गैर-गंतव्य भारी वाहनों को शहर में प्रवेश न देने की माँग की गई थी। लेकिन अब उत्तरी बाइपास और यमुना एक्सप्रेसवे का सीधा कनेक्शन उपलब्ध होने के कारण राज्य सरकार प्रशासनिक आदेश द्वारा इस मामले पर तुरंत निर्णय ले सकती है।
के.सी. जैन ने रखीं तीन प्रमुख मांग
- NH-19 के आगरा शहरी खंड में गैर-गंतव्य भारी वाहनों के प्रवेश पर तत्काल प्रतिबंध।
- भारी वाहनों का अनिवार्य डायवर्जन—उत्तरी बाइपास और यमुना एक्सप्रेसवे मार्ग पर।
- पुलिस व परिवहन विभाग को सख़्त अनुपालन के लिए स्पष्ट निर्देश जारी किए जाएँ।
अंत में जैन ने कहा, “जब भारी वाहन 35–40 मिनट में हाई-स्पीड उत्तरी बाइपास और यमुना एक्सप्रेसवे से सुरक्षित रूप से NH-19 तक पहुँच सकते हैं, तब उन्हें शहर में प्रवेश देना न केवल अनावश्यक है बल्कि नागरिकों की सुरक्षा के विरुद्ध भी है। शहर को भारी वाहनों से मुक्त कर सड़क दुर्घटनाओं, प्रदूषण और जाम में भारी कमी लाई जा सकती है।
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