kavi sammelan News: वार्षिक फन्नी ढाबा कवि सम्मेलन:झूठी हमदर्दियाँ जताते हैं, लोग खुद को खुदा बताते हैं, दो कदम साथ चल नहीं सकते, दूर के ख्वाब जो दिखाते हैं।

आगरा। सृजन दीप्ति संस्था द्वारा 17 अगस्त 2025 को फतेहाबाद रोड स्थित होटल में वार्षिक फन्नी ढाबा कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में हास्य कवि पवन आगरी, व्यंग्यकार डॉ. अनुज त्यागी, शायरा सलोनी राणा, ओज कवि मोहित सक्सेना और गीतकार अभिषेक शर्मा ने अपनी रचनाओं से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध किया। सम्मेलन की अध्यक्षता प्रो. वेद प्रकाश त्रिपाठी ने की और मुख्य अतिथि समर बहादुर सिंह रहे। आयोजन में हास्य, व्यंग्य, ओज, श्रृंगार और गीतों की अनोखी प्रस्तुति ने सभी दर्शकों का दिल जीत लिया।

फन्नी ढाबा कवि सम्मेलन  में मौजूद कवि और आयोजक 

हर वर्ष होता है कवि सम्मेलन

इस अवसर पर संस्था के अध्यक्ष सतीश देव त्यागी, उपाध्यक्ष डॉ. रणवीर त्यागी, सचिव राकेश चंद्र शुक्ला और कोषाध्यक्ष मनोज शर्मा ने संयुक्त रूप से जानकारी दी कि संस्था हर वर्ष यह विशेष कवि सम्मेलन आयोजित करती है।कार्यक्रम का संयोजन गीतकार अभिषेक शर्मा और संचालन हास्य कवि पवन आगरी ने किया।कार्यक्रम के मुख्य अतिथि समर बहादुर सिंह रहे जबकि अध्यक्षता का दायित्व प्रो. वेद प्रकाश त्रिपाठी ने निभाया। दोनों ही विशिष्ट अतिथियों ने आयोजन की सराहना करते हुए कहा कि हास्य और व्यंग्य समाज को आईना दिखाने का सबसे सशक्त माध्यम है।

कवियों की शानदार प्रस्तुतियां

हास्य कवि पवन आगरी ने अपनी विशेष शैली में सामाजिक विसंगतियों पर प्रहार करते हुए कहा –

"गरीब आदमी यदि लोन नहीं चुका पाता तो वो जेल जाता है,

अमीर आदमी लोन नहीं चुका पाता तो वो विदेश जाता है।"

प्रस्तुति पर श्रोताओं ने तालियों की गड़गड़ाहट से स्वागत किया

व्यंग्यकार डॉ. अनुज त्यागी ने युवाओं की दोस्ती और कॉलेज जीवन की बारीकियों को मजाकिया अंदाज में पिरोते हुए सुनाया –

जो डब्बे में सबसे बढ़िया खाना लेकर आता

यारों की दावत मनती और वो भूखा घर जाता।"

इस कविता ने युवाओं में पुरानी यादें ताजा कर दीं।

श्रृंगार कवयित्री सलोनी राणा ने रिश्तों की सच्चाई और दिखावे पर व्यंग्य करते हुए कहा –

झूठी हमदर्दियाँ जताते हैं, लोग खुद को खुदा बताते हैं,

दो कदम साथ चल नहीं सकते, दूर के ख्वाब जो दिखाते हैं।"

उनकी पंक्तियों ने श्रोताओं के दिलों को गहराई तक छुआ।

ओज कवि मोहित सक्सेना ने देशभक्ति की भावना से ओत-प्रोत काव्य पाठ किया। उन्होंने शौर्य का बखान करते हुए कहा –

हुआ जो शहीद, मुझे मौत ने प्रणाम किया,

एक बार को तो मैंने मौत को डरा दिया।"

इस काव्य पाठ ने सभागार में देशभक्ति की ऊर्जा भर दी।

गीतकार अभिषेक शर्मा ने अपनी रचना से प्राकृतिक सौंदर्य और संवेदनाओं को स्वर दिए –

आज आकाश में है जो काली घटा, है बिखेरे हुए एक गज़ब की छटा।"

इस गीत को श्रोताओं ने बार-बार दोहराने की मांग की।

ये रहे मौजूद

कार्यक्रम में शहर के अनेक साहित्यप्रेमी मौजूद रहे जिनमें हरि नारायण चतुर्वेदी, अमितेश दीक्षित, करुणा नागर, गौरव सिंह, मनोज कुलश्रेष्ठ, संतोष कटारा, हरेंद्र सिंह, सोनू त्यागी, विशाल सहित कई अन्य सम्मानित नागरिक शामिल हुए।सभी ने कवियों की प्रस्तुतियों की खुलकर सराहना की और कहा कि इस प्रकार के आयोजन समाज को सांस्कृतिक धरोहर से जोड़ते हैं।

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