नई दिल्ली। भारतीय रेलवे ने एक और ऐतिहासिक कदम उठाते हुए अपने टिकट जांच कर्मचारियों यानी टीटीई के लिए बायोमेट्रिक साइन-ऑन और साइन-ऑफ प्रणाली लागू करना शुरू कर दिया है। यह पहल न केवल रेलवे के आधुनिकीकरण की दिशा में मील का पत्थर साबित होगी, बल्कि इससे यात्रियों के समग्र अनुभव में भी सुधार होगा। नई दिल्ली से प्राप्त जानकारी के अनुसार 29 अगस्त को पूर्व मध्य रेलवे के पंडित दीन दयाल उपाध्याय जंक्शन पर पहली बार डिजिटल टीटीई लॉबी का शुभारंभ किया गया। यह नई व्यवस्था रेलवे संचालन को अधिक पारदर्शी, जवाबदेह और तकनीक आधारित बनाने की दृष्टि से एक महत्वपूर्ण पहल है।
वर्किग का रिकॉर्ड हाेगा तैयार
भारतीय रेलवे लंबे समय से अपने कार्य तंत्र में पारदर्शिता और जवाबदेही लाने के लिए प्रयासरत रहा है। टिकट जांच कर्मचारियों की उपस्थिति, ड्यूटी आवंटन और यात्रियों से संबंधित सेवाओं की गुणवत्ता को बेहतर बनाने के लिए इस नए बायोमेट्रिक साइन-ऑन और साइन-ऑफ सिस्टम को तैयार किया गया है। पहले जहां उपस्थिति दर्ज करने और ड्यूटी शुरू करने की प्रक्रिया मैनुअल या परंपरागत तरीके से की जाती थी, वहीं अब आधार-सक्षम बायोमेट्रिक उपकरण के जरिये कर्मचारी अपनी पहचान की पुष्टि करेंगे और उसी आधार पर उनकी ड्यूटी, उपस्थिति और कार्य घंटों का पूरा रिकॉर्ड तैयार होगा।
अटेंडेंस में नहीं होगी गड़बड़ी
रेलवे बोर्ड के अधिकारियों का कहना है कि इस नई प्रणाली का सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि कर्मचारियों की वास्तविक उपलब्धता का सटीक रिकॉर्ड रखा जा सकेगा। इससे न केवल कार्यकुशलता बढ़ेगी, बल्कि यात्रियों को भी समय पर सेवाएं मिलेंगी। पारंपरिक व्यवस्था में कभी-कभी उपस्थिति दर्ज करने में गड़बड़ी या देरी की शिकायतें सामने आती थीं। कई बार ड्यूटी समय और वास्तविक उपस्थिति में फर्क पाया जाता था। लेकिन बायोमेट्रिक साइन-इन और साइन-आउट प्रणाली लागू होने के बाद ऐसे मामलों पर पूरी तरह रोक लग सकेगी।
इन मंडलों में लागू हो चुकी है व्यवस्था
रेलवे ने बताया है कि इस अभिनव प्रणाली को कई महत्वपूर्ण मंडलों में पहले ही लागू किया जा चुका है। इनमें उत्तर रेलवे का बनारस मंडल, पूर्व मध्य रेलवे का सोनपुर मंडल, पश्चिम रेलवे का रतलाम मंडल, मध्य रेलवे के सीएसएमटी, पुणे और सोलापुर स्थित टीटीई लॉबी, पूर्व रेलवे का मालदा मंडल, दक्षिण पश्चिम रेलवे का मैसूर मंडल, पश्चिम मध्य रेलवे का भोपाल, दक्षिण रेलवे के मदुरै, पालघाट और त्रिची मंडल, इसके अलावा पश्चिम मध्य रेलवे का कोटा लॉबी शामिल है। इन सभी जगहों पर डिजिटल टीटीई लॉबी सफलतापूर्वक काम कर रही है और सकारात्मक परिणाम भी सामने आ रहे हैं।
पूरे देश में लागू होगा सिस्टम
रेलवे सूत्रों के मुताबिक, उत्तर मध्य रेलवे, पूर्वोत्तर रेलवे और उत्तर पश्चिम रेलवे ज़ोन ने भी अपने विभिन्न मंडलों में इस प्रणाली को चरणबद्ध तरीके से लागू करना शुरू कर दिया है। जल्द ही उत्तर रेलवे का जम्मू मंडल भी इस प्रणाली को अपना लेगा। इस तरह देखा जाए तो आने वाले कुछ महीनों में देश के लगभग हर महत्वपूर्ण मंडल में डिजिटल टीटीई लॉबी व्यवस्था लागू हो जाएगी और पूरे देश के टिकट जांच कर्मचारियों के लिए यह प्रणाली अनिवार्य हो जाएगी।
आएगी कार्य में पारदर्शिता
नई प्रणाली की सबसे खास बात यह है कि यह बायोमेट्रिक प्रमाणीकरण को सीधे टीटीई लॉबी सिस्टम के साथ जोड़ती है। इसका मतलब है कि जब कोई कर्मचारी ड्यूटी पर आता है तो उसे आधार आधारित बायोमेट्रिक मशीन में अपना अंगूठा या फिंगरप्रिंट लगाकर खुद को प्रमाणित करना होगा। इसके बाद ही वह अपनी ड्यूटी के लिए पंजीकृत माना जाएगा। इसी तरह ड्यूटी खत्म करने के बाद भी उसे बायोमेट्रिक डिवाइस के माध्यम से लॉग-आउट करना होगा। इस पूरी प्रक्रिया से एक छेड़छाड़ रहित, पारदर्शी और गोपनीयता-अनुपालन उपस्थिति रिकॉर्ड तैयार होता है, जो वास्तविक समय में कर्मचारियों के कार्य घंटों और ड्यूटी की स्थिति को सटीक रूप से दर्शाता है।
कौन टीटीई किस ट्रेन में है तैनात, मिल सकेगी जानकारी
रेलवे अधिकारियों का कहना है कि इस प्रणाली से न केवल प्रामाणिक उपस्थिति सुनिश्चित होगी, बल्कि रीयल-टाइम ट्रैकिंग भी संभव हो पाएगी। उदाहरण के लिए किसी भी समय यह देखा जा सकेगा कि कितने टीटीई ड्यूटी पर हैं, कौन किस ट्रेन में तैनात है और किसका ड्यूटी समय कब शुरू और कब समाप्त हुआ है। इससे ड्यूटी रोस्टर को मैनेज करना और भी आसान हो जाएगा। साथ ही हैंडहेल्ड टर्मिनल (एचएचटी) और ड्यूटी रोस्टर सिस्टम के साथ यह तकनीक जुड़ जाएगी, जिससे कर्मचारियों की तैनाती अधिक सुव्यवस्थित ढंग से हो सकेगी।
रेलवे प्रशासन का मानना है कि इस व्यवस्था से निगरानी भी पहले से बेहतर हो जाएगी। अब तक कार्य घंटों और लॉबी संचालन की निगरानी पारंपरिक रजिस्टर और रिपोर्ट के आधार पर होती थी, लेकिन बायोमेट्रिक प्रणाली के आने के बाद हर गतिविधि का डिजिटल रिकॉर्ड मौजूद रहेगा। यह रिकॉर्ड न केवल सुरक्षित रहेगा बल्कि छेड़छाड़ से भी पूरी तरह सुरक्षित होगा।
नई प्रणाली का एक बड़ा फायदा यह भी है कि कर्मचारियों के कामकाज और समय पालन को लेकर यात्रियों में विश्वास बढ़ेगा। कई बार यात्रियों को यह शिकायत रहती थी कि टीटीई समय पर ड्यूटी पर नहीं पहुंचते या फिर कामकाज में लापरवाही बरतते हैं। लेकिन जब पूरी प्रक्रिया बायोमेट्रिक सिस्टम से जुड़ जाएगी तो यात्रियों को यह भरोसा रहेगा कि ड्यूटी पर मौजूद हर टीटीई की उपस्थिति और कार्य समय का वास्तविक रिकॉर्ड रेलवे प्रशासन के पास मौजूद है।
बढ़ेगी जवाबदेही
रेलवे बोर्ड के अधिकारियों ने यह भी कहा कि आने वाले समय में इस प्रणाली को और अधिक परिष्कृत बनाया जाएगा। फिलहाल यह व्यवस्था मुख्य रूप से उपस्थिति दर्ज करने और ड्यूटी प्रबंधन पर केंद्रित है, लेकिन भविष्य में इसमें और कई फीचर्स जोड़े जाएंगे। जैसे कर्मचारियों की ट्रेन अलॉटमेंट, उनके प्रदर्शन का आकलन और यात्रियों की प्रतिक्रिया को भी इस डिजिटल सिस्टम से जोड़ा जा सकता है।रेलवे के जानकारों का कहना है कि यह कदम केवल तकनीकी बदलाव भर नहीं है, बल्कि रेलवे की कार्यप्रणाली में एक बड़ा सुधार है। यह दिखाता है कि रेलवे आधुनिक तकनीक को अपनाने में अब तेजी दिखा रहा है। इससे न केवल कर्मचारियों की जवाबदेही बढ़ेगी, बल्कि यात्रियों का भरोसा भी मजबूत होगा।
यात्रियों के लिए यह कदम अप्रत्यक्ष रूप से बेहद फायदेमंद साबित होगा। जब टीटीई समय पर ड्यूटी पर होंगे, उनकी उपस्थिति का सटीक रिकॉर्ड होगा और प्रशासन उन्हें लगातार मॉनिटर करेगा तो सेवाओं की गुणवत्ता में निश्चित रूप से सुधार आएगा। यात्री अनुभव बेहतर होगा और रेलवे की छवि भी और सुदृढ़ होगी।रेलवे ने पहले ही कई तकनीकी सुधारों को अपनाया है, जैसे ऑनलाइन टिकट बुकिंग सिस्टम, ई-कैटरिंग, डिजिटल डिस्प्ले बोर्ड और एआई आधारित ट्रेन संचालन। बायोमेट्रिक साइन-ऑन और साइन-ऑफ प्रणाली भी इन्हीं सुधारों की कड़ी है। इससे रेलवे के कार्य करने के तरीके में पारदर्शिता आएगी और यह सुनिश्चित होगा कि हर कर्मचारी पूरी जिम्मेदारी और ईमानदारी के साथ अपनी ड्यूटी निभाए।
तैयार हो सकेगा ड्यूटी रजिस्टर
अधिकारियों का मानना है कि एक बार जब यह प्रणाली पूरे भारत में लागू हो जाएगी तो रेलवे प्रशासन के लिए कर्मचारियों की ड्यूटी की निगरानी, रोस्टर तैयार करने और सेवाओं की गुणवत्ता का आकलन करने का काम बेहद आसान हो जाएगा। इससे रेलवे को आधुनिक और तकनीक-आधारित संगठन के रूप में स्थापित करने में मदद मिलेगी।बायोमेट्रिक साइन-ऑन और साइन-ऑफ प्रणाली भारतीय रेलवे की पारदर्शिता, कार्यकुशलता और जवाबदेही बढ़ाने की दिशा में एक ऐतिहासिक पहल है। यह न केवल कर्मचारियों की तैनाती को सुव्यवस्थित करेगी बल्कि यात्रियों को मिलने वाली सेवाओं में भी उल्लेखनीय सुधार लाएगी।
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