Agra News:गुरु शिष्य परंपरा का सम्मान : रोटरी क्लब ऑफ आगरा नीओ ने 27 शिक्षकों को किया सम्मानित

आगरा: गुरु शिष्य परंपरा भारतीय संस्कृति की आत्मा है। गुरु त्याग, तपस्या और दधीचि की मूरत माने जाते हैं, जो राष्ट्र निर्माण की दिशा तय करते हैं। इसी परंपरा को जीवित रखते हुए रोटरी क्लब ऑफ आगरा नीओ ने शिक्षक दिवस के उपलक्ष्य में रविवार को पथ प्रदर्शक सम्मान समारोह आयोजित किया। इस मौके पर विभिन्न क्षेत्रों से जुड़े 27 शिक्षकों को स्मृति चिन्ह और अंगवस्त्र प्रदान कर सम्मानित किया गया। कार्यक्रम की मुख्य अतिथि एसएन मेडिकल कॉलेज की पूर्व प्राचार्य प्रो. सरोज सिंह ने कहा कि गुरु कुम्भकार और शिष्य कुम्भ यानी घड़ा है। गुरु अपने ज्ञान और अनुभव से शिष्य की कमियों को दूर कर उसे हीरा बना देता है। उन्होंने कहा कि इस तरह के आयोजन शिक्षकों को और बेहतर करने के लिए प्रेरित करते हैं।

Prof. Saroj Singh addressing Teachers Day 2025 felicitation program in Agra
 प्रशस्ति पत्र के साथ  सम्मानित डॉक्टर्स व आयोजक

मां सरस्वती की वंदना के साथ शुरुआत

समारोह का शुभारंभ मां सरस्वती की प्रतिमा के समक्ष दीप प्रज्ज्वलन के साथ हुआ। इसके बाद सम्मान समारोह का क्रम शुरू हुआ। अतिथियों का स्वागत करते हुए क्लब अध्यक्ष डॉ. योगेश सिंघल ने कहा कि शिक्षक समाज और देश के विकास की रीढ़ होते हैं। वह केवल पढ़ाते ही नहीं, बल्कि संस्कारों का बीजारोपण कर राष्ट्र की नींव को मजबूत बनाते हैं।

शिक्षक ही राष्ट्र निर्माता

मुख्य वक्ता डॉ. जे.एन. टंडन ने कहा कि शिक्षक ही देश की नींव और निर्माता होते हैं। वह विरासत हैं, जिन्हें हम राष्ट्र निर्माता कह सकते हैं। उन्होंने कहा कि तक्षशिला और नालंदा की गौरवशाली परंपरा से लेकर आज तक शिक्षक शिक्षा को उद्देश्यपूर्ण बनाते आए हैं। पथ प्रदर्शक सम्मान समारोह इसी परंपरा का संदेश है।

शिक्षक आधुनिक दधीचि

कार्यक्रम के समन्वयक डॉ. पंकज नगायच ने कहा कि शिक्षक अपने विद्यार्थियों के भविष्य के लिए खुद दधीचि की तरह तपस्या करते हैं। वे अपने शिष्यों के लिए ज्ञान और मूल्यों का संचार करते हैं। उन्होंने कहा कि जब हम डॉ. राधाकृष्णन, डॉ. सी.वी. रमन, प्रो. हरगोबिंद खुराना और प्रो. एपीजे अब्दुल कलाम जैसे महान शिक्षकों की परंपरा को याद करते हैं, तो शब्द भी फीके पड़ जाते हैं।समारोह के विशिष्ट अतिथि प्रो. अरुण चतुर्वेद, असिस्टेंट गवर्नर मीना सिंह और डॉ. पवन गुप्ता ने कहा कि शिक्षकों को केवल पढ़ाई तक सीमित न रहकर अपने विद्यार्थियों के साथ समय बिताना चाहिए। तभी गुरु-शिष्य का संबंध मजबूत होगा और शिक्षा सार्थक बनेगी।

इन शिक्षकों को मिला पथ प्रदर्शक सम्मान

वाईपी गुप्ता, रेनू मल्होत्रा, डॉ. रेनू अग्रवाल, डॉ. नीरज कुमार, विनोद दुबे, प्रो. शिखा सिंह, मनीषा शर्मा, डॉ. पारुल सिन्हा, करन सिंह धाकड़, अलका अग्रवाल, दिनेश चंद शर्मा, सुमा कुमारी, डॉ. के. गुरुराज, अंशु छाबरा, संगीता रानी, सुरजीत सिंह, डॉ. अनुभव खंडेलवाल, जितेन्द्र कुमार मित्तल, वीरेश कुमार, कपिल देव शर्मा, बीना सिंह, मौहम्मद रेहान, वंदना कौर, मीनाक्षी टीखा, माधवी सिंह, शिप्रा सारस्वत और पंकज पचौरी।

ये रहे मौजूद

कार्यक्रम का संचालन डॉ. पूजा नगायच, डॉ. अर्चना सिंहल और डॉ. संजना अरोरा ने किया। समारोह में मुख्य रूप से पवित्र शर्मा, डॉ. आरके शर्मा, डॉ. अभिनव चतुर्वेदी, डॉ. अजय अरोरा, डॉ. एके दौनेरिया, राजू डेनियल, डॉ. विवेक गुप्ता, डॉ. खुशबू, कविता, नेहा, डॉ. अभय गर्ग, डॉ. राजेश गोयल, इंद्रेश सोलंकी, डॉ. डीके शर्मा, मनोज बजाज, अनिल गोयल सहित कई शिक्षाविद, चिकित्सक और समाजसेवी मौजूद रहे।

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