Agra Crime News:पत्नी और साले ने मिलकर बैंक मैनेजर की हत्या की, कोर्ट ने सुनाया फैसला, पत्नी-भाई को उम्र कैद ,कलेक्ट्रेट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष को सात साल की सजा

आगरा।आगरा के चर्चित बैंक मैनेजर सचिन उपाध्याय हत्याकांड में दो साल बाद अदालत ने ऐतिहासिक फैसला सुनाया है। अदालत ने बुधवार को पत्नी प्रियंका रावत और साले कृष्णा रावत को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है, जबकि प्रियंका के पिता और कलेक्ट्रेट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष बिजेंद्र रावत को सात वर्ष का कठोर कारावास दिया गया है।



तीनों को सजा सुनाने के बाद जेल भेज दिया गया है। यह फैसला एडीजे–17 नितिन ठाकुर की अदालत ने सुनाया। अदालत ने माना कि यह हत्या अत्यंत क्रूरता से की गई थी और इसे आत्महत्या बताने की कोशिश न्याय और मानवता दोनों के खिलाफ थी।

मामला जिसने पूरे आगरा को झकझोर दिया

यह घटना 11 अक्टूबर 2023 की रात की है। बैंक मैनेजर सचिन उपाध्याय का शव उनके घर रामरघु एग्जॉटिका कॉलोनी में मिला था। शुरुआत में मामला आत्महत्या का बताया गया, लेकिन जब पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट सामने आई, तो परत-दर-परत सच्चाई उजागर होती गई। रिपोर्ट में साफ हुआ कि सचिन की मौत फांसी से नहीं, बल्कि पीट-पीटकर हत्या से हुई थी। शरीर पर गहरी चोटों के निशान थे, गर्म सरिए से दागने और डंडों से प्राइवेट पार्ट्स पर हमले के प्रमाण मिले थे।

पति की मौत को आत्महत्या बताने की कोशिश

हत्या की रात प्रियंका रावत और उसका भाई कृष्णा, सचिन को उनके ही घर में बंधक बनाकर पीट रहे थे। वारदात के बाद कृष्णा ने खुद फोन कर सचिन के पिता को बताया कि “लड़ाई हो गई थी, अब सो गया है। जब पिता ने बात कराने को कहा तो फोन काट दिया गया और मोबाइल बंद कर दिया गया।अगले दिन दोपहर में जब परिवारजन पहुंचे तो घर का नजारा भयावह था। चादरें धुली हुई थीं, लेकिन खून के निशान अब भी झलक रहे थे। दीवारों और फर्श पर भी खून के धब्बे थे। सचिन की मौत को आत्महत्या बताने के लिए परिजनों ने पूरा नाटक रचा, लेकिन पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट ने सच को उजागर कर दिया।

एफआईआर में पत्नी, ससुर और साले के नाम

पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट और परिजनों के बयानों के बाद थाना ताजगंज में पत्नी प्रियंका उर्फ मोना, पिता बिजेंद्र रावत और भाई कृष्णा रावत के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज किया गया। बिजेंद्र रावत उस समय कलेक्ट्रेट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष थे।पुलिस ने पहले कृष्णा को 20 अक्टूबर 2023 को गिरफ्तार किया। इसके बाद 29 अक्टूबर को प्रियंका और बिजेंद्र रावत को प्रयागराज से पकड़ा गया।

9 साल पहले हुई थी शादी, मगर रिश्तों में दरार शुरू से

सचिन उपाध्याय की शादी नौ साल पहले बालूगंज निवासी प्रियंका रावत से हुई थी। प्रियंका एक प्रतिष्ठित वकील परिवार से थीं। शादी के बाद सचिन के माता-पिता ने बहू के लिए शहर में मकान दिला दिया ताकि वह आराम से रह सके। मगर, यही से दोनों के बीच मतभेद शुरू हो गए।सचिन अक्सर अपने गांव जाकर माता-पिता से मिलने जाते थे, जो प्रियंका को नागवार गुजरता था। हर बार सचिन के लौटने पर घर में झगड़ा होता था। कई बार मामला इतना बढ़ा कि पड़ोसियों को बीच-बचाव करना पड़ा।

पेट्रोल पंप की अर्जी बनी रंजिश की वजह

सचिन के पिता केशव देव शर्मा ने कुछ महीने पहले अपने छोटे बेटे के नाम पेट्रोल पंप के लिए आवेदन किया था। बस यही बात प्रियंका और उसके परिवार को बुरी लगी। उन्हें लगा कि सचिन के पिता संपत्ति और संसाधन छोटे बेटे को दे रहे हैं।इसी बात को लेकर प्रियंका, उसके पिता बिजेंद्र और भाई कृष्णा ने सचिन पर दबाव डालना शुरू किया। कई बार उसे घर में बंद कर पीटा गया। अंततः 11 अक्टूबर की रात सबने मिलकर एक सोची-समझी साजिश के तहत सचिन की हत्या कर दी।

जांच में सामने आया कि प्रियंका ने अपने पिता और भाई को बुलाकर सचिन को कमरे में बंद किया। चारों ने मिलकर सचिन को बुरी तरह पीटा। डंडे, रॉड और सरिए से वार किए गए।गर्म सरिए से दागने के निशान शरीर पर मिले। निजी अंगों पर गंभीर चोटें थीं। पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में दर्ज 21 चोटों में से 9 घातक थीं। यह साफ संकेत था कि सचिन की हत्या निर्ममता की सारी सीमाएं पार करते हुए की गई थी।

पोस्टमॉर्टम के दौरान परिवार ने डाला अड़ंगा

हत्या के बाद प्रियंका के परिवार ने पोस्टमॉर्टम का विरोध किया। लेकिन सचिन के पिता की जिद और पुलिस की मौजूदगी में डॉक्टरों के पैनल ने पोस्टमॉर्टम किया। इसमें पुष्टि हुई कि मौत दम घुटने और गंभीर चोटों से हुई थी, फांसी या आत्महत्या से नहीं।

18 गवाहों ने किया न्याय की दिशा में सहयोग

अभियोजन पक्ष ने अदालत में 18 गवाह पेश किए। इनमें पड़ोसी, घरेलू कर्मचारी, फॉरेंसिक विशेषज्ञ और जांच अधिकारी शामिल थे। सबने स्पष्ट रूप से कहा कि सचिन की हत्या की गई थी।वकील अवधेश शर्मा ने इस केस की पैरवी की और अदालत में सबूतों के साथ बताया कि कैसे आरोपियों ने सब कुछ योजना के तहत किया। अदालत ने सभी गवाहों के बयान को विश्वसनीय मानते हुए तीनों आरोपियों को दोषी करार दिया।

प्रियंका और कृष्णा को आजीवन, बिजेंद्र को 7 साल

बुधवार को अदालत ने फैसला सुनाते हुए कहा कि सचिन उपाध्याय की हत्या  पारिवारिक विवाद की आड़ में की गई एक योजनाबद्ध साजिश थी।अदालत ने प्रियंका रावत और कृष्णा रावत को आजीवन कारावास और बिजेंद्र रावत को 7 वर्ष की सजा सुनाई। अदालत ने यह भी कहा कि दोषियों ने संबंधों के पवित्र बंधन को कलंकित किया और न्याय व्यवस्था पर झूठ का पर्दा डालने की कोशिश की।

पिता बोले मैं तब तक लड़ूंगा, जब तक फांसी नहीं होगी

फैसले के बाद सचिन के पिता केशव देव शर्मा ने कहा मुझे इस बात का सुकून है कि अदालत ने उन्हें दोषी पाया, लेकिन मैं चाहता था कि इन्हें फांसी की सजा दी जाती। उन्होंने मेरे बेटे को बर्बरता से मारा। मैं हाईकोर्ट जाऊंगा, जब तक इन्हें फांसी नहीं होती, मैं लड़ाई जारी रखूंगा।उन्होंने बताया कि सचिन बेहद संस्कारी और परिवार से जुड़ा बेटा था। घटना वाले दिन भी वह गांव आया था। वह हमसे बहुत प्यार करता था, लेकिन उसकी पत्नी और ससुराल वाले उसे हमसे मिलने नहीं देते थे। वह चाहते थे कि सारा पैसा और संपत्ति उन्हीं को मिले।

वादी पक्ष के वकील अवधेश शर्मा ने कहा यह फैसला समाज को एक संदेश देता है कि सच को कितना भी दबाया जाए, वह सामने आता ही है। हमने न्याय के लिए पूरा सबूत अदालत में रखा, और अदालत ने न्याय किया। उन्होंने कहा कि अभियोजन की मेहनत और पुलिस जांच ने इस केस को मजबूत बनाया। अदालत ने साक्ष्यों के आधार पर सटीक निर्णय दिया।

जेल भेजे गए तीनों दोषी

सजा सुनाए जाने के बाद तीनों दोषियों को कोर्ट से सीधे जेल भेजा गया। जेल प्रशासन ने उन्हें अलग-अलग बैरकों में रखा है। पुलिस सूत्रों के अनुसार, प्रियंका रावत ने कोर्ट में फैसले के बाद रोना शुरू कर दिया था, जबकि उसके पिता और भाई ने चुप्पी साध ली।

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Avdhesh Bhardwaj, Senior Journalist with 22+ years of experience, has worked with Dainik Jagran, iNext, The Sea Express and other reputed media houses. He has reported on politics, administration, crime , defense, civic issues, and development projects. Known for his investigative journalism and sting operations, he is now contributing to Today NewsTrack as a leading voice in digital media.”

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